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संघी गिरोह के असली चरित्र की झांकी है राम मंदिर भूमि घोटाला

Janjwar Desk
14 Jun 2021 4:52 PM IST
संघी गिरोह के असली चरित्र की झांकी है राम मंदिर भूमि घोटाला
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(आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई भूमि के मामले में 16.5 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है।)

विश्व हिन्दू परिषद ने इस पर कोई सीधी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। संगठन ने कहा है कि वह आरोप के सभी दस्तावेजों को एकत्र कर उसकी सच्चाई पता करेगी....

वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार की टिप्पणी

जनज्वार। हिन्दू धर्म का स्वयंभू ठेकेदार बनकर संघी गिरोह हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए एक खुशहाल देश भारत को सीरिया, इराक, अफगानिस्तान आदि उजड़े हुए देशों की श्रेणी में पहुंचा चुका है। इस गिरोह ने शुरू से आस्था का व्यापार किया है और राम के नाम का इस्तेमाल धर्म भीरु हिंदुओं के मन में मुसलमानों के भय का संचार कर वोटों की फसल काटने के लिए करता रहा है। अभी राम के मंदिर के नाम पर हिंदुओं से बटोरे गए चंदे के घोटाले का जो मामला उजागर हुआ है उससे साबित हो जाता है कि राम मंदिर के बहाने संघी गिरोह चंदा हड़पने का खेल शुरू कर चुका है।

आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई भूमि के मामले में 16.5 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है। संजय सिंह ने 13 जून को कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए पहले एक भूमि 2 करोड़ रुपये में एक अन्य व्यक्ति द्वारा खरीदी गई। केवल 10 मिनट बाद वही भूमि राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा 16 करोड़ रुपये की अधिक राशि देकर 18.5 करोड़ रुपये में खरीदी गई। आप सांसद ने कहा कि यह राम भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है और प्रधानमंत्री को इस मामले में दखल देनी चाहिए। इस घोटाले के लिए उन्होंने राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारी चंपत राय को जिम्मेदार ठहराया।

विश्व हिन्दू परिषद ने इस पर कोई सीधी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। संगठन ने कहा है कि वह आरोप के सभी दस्तावेजों को एकत्र कर उसकी सच्चाई पता करेगी।

वहीं, संजय सिंह ने खरीद-बिक्री के कुछ कथित दस्तावेजों को दिखाते हुए कहा कि रवि मोहन तिवारी और सुलतान अंसारी नाम के दो व्यक्तियों से भूमि की खरीदी की गई। रजिस्ट्री के दस्तावेजों के अनुसार इसके लिए उन्हें दो करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। लेकिन उसी दिन केवल 10 मिनट बाद यही भूमि 16 करोड़ रुपये अधिक देकर उसी भूमि को राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा खरीदा गया। इससे साफ जाहिर होता है कि भूमि खरीद में भारी अनियमितता बरती गई है। उन्होंने इसे रामभक्तों की भावनाओं से खिलवाड़ बताते हुए इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

संजय सिंह के अनुसार इस मामले में अयोध्या के मेयर भी गवाह बने हैं, इसलिए इस मामले में उनकी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। इसके पूर्व सपा नेता पवन पाण्डेय ने भी इस मामले को लखनऊ में मीडिया के सामने उठाया और इसके जांच की मांग की।

इस मामले में आम आदमी पार्टी ने विहिप नेता चंपत राय को जिम्मेदार बताया है। लेकिन चंपत राय ने इन आरोपों पर कोई जवाब देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उनके ऊपर इसके पहले भी इसी तरह के आरोप लगते रहे हैं। वे इस तरह के आरोपों पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं समझते।

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर निर्माण कराया जा रहा है। निर्माण की तैयारियों की समीक्षा के लिए 13 जून को ही अयोध्या में राममंदिर निर्माण समिति की बैठक भी थी।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय पवन ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर जमीन खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दो करोड़ रुपए में बैनामा कराई गई जमीन को 10 मिनट के अंदर 18.50 करोड़ रुपए में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया गया। पवन ने पूरे मामले में दस्तावेज पेश करते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।

पूर्व मंत्री पवन पांडेय ने बताया कि यह भूमि सदर तहसील क्षेत्र के बाग बिजैसी में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 12 हजार 80 वर्ग मीटर है। यह भूमि रवि मोहन तिवारी नाम के एक साधु व सुल्तान अंसारी के नाम बैनामा हुई थी। ठीक 10 मिनट बाद इसी भूमि का ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के नाम 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया जाता है। बैनामा व रजिस्टर्ड एग्रीमेंट 18 मार्च, 2021 को किया गया।

आरोप है कि बैनामा व रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र और नगर निगम के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह हैं। उन्होंने आरटीजीएस की गई 17 करोड़ रुपए धनराशि की जांच कराने की मांग की है। कहा है कि यह धनराशि कहां-कहां गई इसका पता लगाया जाए और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि आज जो आरोप विश्व हिंदू परिषद पर लग रहे हैं, उसमें 2 करोड़ की जमीन 5 मिनट में 18 करोड़ की हो जा रही है। क्या राम के नाम पर धन की लूट का काम तो नहीं हो रहा है। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। सरकार इसकी उच्चस्तरीय जांच कराए। अगर ये लूट हुई है तो उन लोगों को साधारण लोगो से ज्यादा कई गुना ज्यादा सजा मिलनी चाहिए।

कांग्रेस ने सोमवार 14 जून को कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी को इस 'घोटाले' पर जवाब देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच होनी चाहिए। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट से यह अनुरोध भी किया कि वह मंदिर निर्माण के चंदे के रूप में प्राप्त राशि व खर्च का अदालत के तत्वाधान में ऑडिट करवाए तथा चंदे से खरीदी गई सारी भूमि की कीमत को लेकर भी जांच करे।

उन्होंने प्रेस वालों से कहा, 'भगवान श्री राम आस्था के प्रतीक हैं। लेकिन भगवान राम की अलौकिक अयोध्या नगरी में श्री राम मंदिर निर्माण हेतु करोड़ों लोगों से जुटाए गए चंदे का दुरुपयोग और धोखाधड़ी महापाप और घोर अधर्म है, जिसमें भाजपाई नेता शामिल हैं।'

सुरजेवाला ने दावा करते हुए कहा, 'जमीन की रजिस्ट्री के दोनों दस्तावेज़ों पर श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल मिश्रा गवाह के तौर पर मौजूद हैं। दोनों कागजों पर दूसरे गवाह भाजपा के मुख्य नेता और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय हैं। इसका मतलब स्पष्ट है कि 2 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन पांच मिनट में 18.5 करोड़ रुपये में खरीदने के फैसले की राममंदिर निर्माण ट्रस्ट के न्यासियों को पूरी जानकारी थी।'

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