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Ishrat jahan Case : SC का IPS वर्मा को राहत देने से इनकार, कहा - चिंता न करें, सच्चाई आपके साथ है तो न्याय मिलेगा

Janjwar Desk
29 Sep 2022 9:28 AM GMT
SC का IPS वर्मा को राहत देने से इनकार, कहा - चिंता न करें, सच्चाई आपके साथ है तो न्याय मिलेगा
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SC का IPS वर्मा को राहत देने से इनकार, कहा - चिंता न करें, सच्चाई आपके साथ है तो न्याय मिलेगा

Ishrat Jahan Case : गुजरात पुलिस सेवा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा ( IPS Satish Chandra Verma ) को गृह मंत्रालय ने उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्ख़ास्त कर दिया था। केंद्र के फैसले के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी लेकिन वहां से तत्काल राहत नहीं मिली।

Ishrat jahan Case : गुजरात ( Gujrat ) के इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में वरिष्ठ आईपीएस सतीश चंद्र वर्मा ( IPS Satish Chandra Verma ) को सेवानिवृति से एक माह पूर्व केंद्र सरकार ने सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) में याचिका दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले तत्काल राहत देने और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। बता दें कि सतीश चंद्र वर्मा वर्मा की 30 सितंबर यानि कल पुलिस सेवा से सेवानिवृत्ति होने वाले थे। शीर्ष अदालत के इस आदेश से आईपीएस वर्मा को निराशा हाथ लगी।

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर आईपीएस ऑफिसर सतीश चंद्र वर्मा ( IPS Satish Chandra Verma ) से कहा है कि इस स्टेज में अदालत दखल नहीं देना चाहता, लेकिन आप चिंता न करें। अगर सच आपके साथ है तो आपको न्याय जरूर मिलेगा। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं हैं। साथ ही अदालत ने इस मुद्दे पर केंद्र के आदेश पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के जस्टिस जोसेफ और जस्टिस रॉय ने कहा कि यह अभी अंतरिम आदेश है। दो सदस्यीय बेंच ने इस मामले को 22 नवंबर को उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि तब तक दलीलें पूरी हो जाएंगी। हम उच्च न्यायालय से अपील करते हैं कि इस मामले का शीघ्र निपटारा करे। अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर अभी कोई राय व्यक्त नहीं की है।

कम से कम सम्मानपूर्वक रिटायर तो होने दें

इससे पहले आईपीएस एससी वर्मा ( IPS Satish Chandra Verma ) के वकील ने कहा कि अधिकारी ने 36 साल की सेवा पूरी कर ली है। 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। उन्होंने आग्रह किया है कि कम से कम मुझे सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्त होने दें। इसे जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आप न्याय के हकदार हैं तो आपको यह जरूर मिलेगा। आपको कई कष्टों, समस्याओं से गुजरना पड़ा है। अगर सच्चाई आपके साथ है तो आपको न्याय मिलेगा। चिंता न करेंं। अभी हम इस मामले में कुछ नहीं कर सकते।

26 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को उनकी निर्धारित सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्खास्त करने के केंद्र के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि हमारा विचार है कि इस स्तर पर 30 अगस्त 2022 के बर्खास्तगी के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता को किसी भी स्थिति में 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त होना है, इसलिए हम बर्खास्तगी के आदेश को रोकने या हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं।

अब वर्मा नहीं होंगे पेंशन और अन्य लाभ के हकदार

उच्चतम न्यायालय ( Supreme court ) के आदेश के बाद वर्मा ने उच्च न्यायालय का रुख किया था जिसमें उन्हें अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दी गई थी। शीर्ष अदालत ने 19 सितंबर को केंद्र के बर्खास्तगी आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी और कहा था कि यह उच्च न्यायालय के ऊपर है कि वह इस सवाल पर विचार करे कि बर्खास्तगी के आदेश पर रोक जारी रहेगी या नहीं। बर्खास्तगी प्रभावी होने पर वर्मा पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ के हकदार नहीं होंगे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वर्मा आखिरी बार तमिलनाडु में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में महानिरीक्षक के रूप में तैनात थे। वर्मा ने अप्रैल 2010 से अक्टूबर 2011 के बीच इशरत जहां मामले की जांच की थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी लेकिन वर्मा अदालत के आदेश पर जांच दल का हिस्सा बने रहे। जांच में गुजरात के छह पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया जिनमें आईपीएस अधिकारी पीपी पांडे, डीजी वंजारा, जीएल सिंघल और एनके अमीन शामिल हैं।

वर्मा की गलती बस इतनी है

दरअसल, वर्मा ( IPS Satish Chandra Verma ) के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने 2 और 3 मार्च 2016 को मीडिया के साथ बातचीत की और गुवाहाटी में नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन के आधिकारिक परिसर में एक समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार में बिना किसी सक्षम प्राधिकारी के इजाजत के उन मामलों पर अनधिकृत रूप से बात की जो उनके कर्तव्यों के दायरे में नहीं थे।

SIT ने बताया था मुठभेड़ को फर्जी

Ishrat Jahan Fake encounter : दरअसल, अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को गुजरात पुलिस के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ में इशरत जहां जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे। इशरत जहां मुंबई के समीप मुंब्रा की 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा थीं। पुलिस ने दावा किया था कि ये चारों लोग गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की आतंकी साजिश रच रहे थे। हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच टीम ने मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था। इसके बाद सीबीआई ने कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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