उत्तराखंड में 20 दरोगा सस्पेंड, दरोगा भर्ती धांधली का मामला, 2015 में हुई थी परीक्षा
Daroga Bharti Ghotala uttarakhand : साल 2015 में हुई दरोगा भर्ती धांधली मामले में सोमवार 16 जनवरी को बड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस मुख्यालय से राज्य के विभिन्न जनपदों में तैनात बीस दरोगाओ को सस्पेंड करने के ऑर्डर जारी कर दिए गए। कार्यवाही से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है, जिस दरोगा सीधी भर्ती धांधली मामले में यह कार्रवाई की गई है उसके बारे में बीते साल 8 अक्टूबर को विजिलेंस हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसमें कुल 12 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
बताते चलें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कराई गई भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधली की जांच के दौरान 2015 में हुई दरोगा सीधी भर्ती के मामले में भी धांधली की बात सामने आई थी। जांच कर रही एजेंसी को पता चला था कि इस भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों ने नकल करने के बाद दरोगा बनने में सफलता पाई थी। मामला उजागर होने के बाद इस मामले की जांच शासन के निर्देश पर विजिलेंस को दी गई थी। विजिलेंस सेक्टर हल्द्वानी ने मामले की जांच के दौरान मिले इनपुट की तस्दीक की तो वह सही पाए गए।
इसके बाद विजिलेंस ने मुकदमें की इजाजत मांगी तो शासन के निर्देश के बाद 8 अक्टूबर 2022 को विजिलेंस हल्द्वानी सेक्टर में इस संबंध में मुकदमा दर्ज करते हुए शुरुआती तौर पर इसमें एक दर्जन लोगों को आरोपी बनाया गया था। यह परीक्षा पंतनगर विश्वविद्यालय ने कराई गई थी। इसकी धांधली में विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारी भी शामिल थे। जांच के दौरान विजिलेंस ने नकल करके पास हुए अभ्यर्थियों की छानबीन की तो कई अभ्यर्थी विजिलेंस के राडार पर आ गए। विजिलेंस ने जांच रिपोर्ट को पुलिस मुख्यालय से साझा किया तो मुख्यालय स्तर से नकलची दरोगाओं को फिलहाल सस्पेंड करने का निर्णय ले लिया गया।
एडीजी कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन ने बताया कि मामले में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मिली है। इसमें बीस दरोगाओं का नाम सामने आया है, जो वर्तमान में राज्य के विभिन्न जनपदों में तैनात हैं, जिसके बाद मुख्यालय स्तर से इन बीस दरोगाओं को सस्पेंड किया गया है। सस्पेंड किए गए दरोगाओं की सूची संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भी जरूरी कार्यवाही के लिए भेज दी गई है। साल 2015 में भर्ती हुए यह दरोगा अब जांच पूरी होने तक निलंबित रहेंगे।
आजीवन कारावास की होगी सजा : CM धामी
सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षाओं के लिए नकलचियों के लिए स्वर्ग बन चुके उत्तराखंड में सरकार के नकल रोकने के लिए बनाए जाने वाले सख्त कानून के दावे अभी हवा में ही हैं। बताया जा रहा है प्रस्तावित कानून के ड्राफ्ट पर कई विभागों को आपत्ति है। नौकरशाही भी ड्राफ्ट में सुझाए गए जुर्माने और कारावास की सजा की अवधि से सहमत नही है, जिससे लगता है कि सरकार के सख्त नकल विरोधी कानून की मंशा शायद ही परवान चढ़े। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दावा है कि प्रस्तावित नकल विरोधी कानून में नकल कराने और धांधली में शामिल होने वालों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नकल करने में शामिल होने वाले अभ्यर्थी भी अगले दस साल तक किसी भी भर्ती परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे।