Uttar Pradesh News : 'भगवा कपड़े नहीं, ब्रह्मदंड के साथ नहीं दिया गया प्रवेश', जगद्गुरु परमहंस दास को ताजमहल में एंट्री ना देने पर एएसआई का बयान
Uttar Pradesh News : भगवा कपड़े नहीं, ब्रह्मदंड के साथ नहीं दिया गया प्रवेश
Uttar Pradesh News : अयोध्या (Ayodhya) के तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास (Saint Jagadguru Paramhans Das) मंगलवार को ताजमहल (Tajmahal) पहुंचे थे। महंत और उनके शिष्यों ने भगवा पहने होने की वजह से प्रवेश से रोके जाने के आरोप लगाए है। अब इस मामले में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। बुधवार सुबह हिंदू महासभा ने संत को ताजमहल में प्रवेश करने से रोकने को लेकर रोष प्रकट किया है। वहीं अब इस मामले में पुरातत्वविद ने बयान जारी करते हुए बताया है कि भगवा कपड़े का कोई मामला नहीं है। गाइडलाइंस के अनुसार जगद्गुरु परमहंस दास को ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश है प्रतिबंधित
अधीक्षण पुरातत्विद राजकुमार पटेल ने बताया कि 26 अप्रैल को ताजमहल में कुछ लोग भगवा वस्त्र में वेस्ट गेट पर आए थे। उनमें से एक साधु के हाथ में दंड था। ताजमहल परिसर में इस प्रकार की वास्तु ले जाना प्रतिबंधित है। गेट पर साधु को दंड को बाहर रखकर आने के लिए बताया, जिसको सुनकर वे गेट से चले गए और वापस नहीं आए। 27 अप्रैल को ताज सुरक्षा से ट्वीट प्राप्त हुआ, तब पता चला कि ये साधु जगद्गुरु परमहंस आचार्य थे और ट्वीट महंत धर्मेंद्र गिरी द्वारा किया गया था।
ब्रह्मदंड लेकर प्रवेश करना चाहते थे जगद्गुरु
बात दें कि जगद्गुरु परमहंस दास ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश करना चाहते थे लेकिन सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ ने उनसे ब्रह्मदण्ड को गेट पर रखने और ताज देखने के बाद लौटने पर वापस लेने का आग्रह किया था लेकिन वह ब्रह्मदंड के साथ ही ताज में प्रवेश करना चाहते थे। रोकने पर वह वापस चले आए। उन्होंने इस मामले में प्रवेश के नियमों को लेकर नाराजगी जताई।
ताजमहल में प्रवेश के नियम हैं तय
जगद्गुरु परमहंस दास ने कहा कि ताजमहल शिव मंदिर है और वह इसे देखने आए थे लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इस मामले में एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि ताजमहल में प्रवेश के नियम तय हैं। संत अपने साथ अंदर लोहे का दंड ले जाना चाहते थे, जिसके लिए उन्हें मना किया गया। उनके प्रवेश पर कोई मनाही नहीं थी। ब्रह्मदंड गेट पर रखने का आग्रह किया गया था लेकिन वह तैयार नहीं हुए।
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