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2013 मुजफ्फरनगर दंगा: साध्वी प्राची समेत 6 को कोर्ट ने किया बाइज्जत बरी, पीड़ित बोले अब हमारे पास नहीं कोई चारा
[2013 मुजफ्फरनगर दंगों की तस्वीर]
जनज्वार ब्यूरो। साल 2013 के अगस्त महीने से मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगा शुरु होता है जंहा पर जाट और मुस्लिम सुमदाय के बीच झड़प शुरु होती है। कवाल गाँव में एक जाट समुदाय की लड़की के साथ एक मुस्लिम युवक ने कथित तौर पर छेड़खानी की जिसके बाद लड़की के दो ममेरे भाइयों (गौरव और सचिन) ने उस मुस्लिम युवक को कथित तौर पर पीट-पीटकर मार डाला और जवाबी हिंसा में मुस्लिमों ने दोनों युवकों गौरव और सचिन को मौत के घाट उतार दिया था। इस पूरे मामले को राजनीतिक उबाल देने के आरोप में भापजा के कई नेताओं को आरोपी माना गया था।
एक लंबे इंतजार के बाद मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगा के भाजपा के आरोपियों को एडीजे कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आज बरी कर दिया है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में वर्ष 2013 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान गांव सिंभालका में घर में घुसकर आगजनी व लूट के मामले में 6 आरोपी कोर्ट से बरी हुए हैं।
आपको बताते चलें कि कवाल गांव में 27 अगस्त 2013 को मलिकपुरा निवासी के ममेरे भाईयों सचिन और गौरव की हत्या की गई थी। इसके विरोध में 7 सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ में महापंचायत हुई थी। इस पंचायत के बाद ही जिले में दंगा भड़क गया था।
२4 अगस्त 2013 मुज़फ़्फ़रनगर जिले के कवाल गाँव में हिन्दू -मुस्लिम हिंसा के साथ यह दंगा शुरू हुआ जिसके कारण अब तक 43 जानें जा चुकी हैं और 93 हताहत हुए हैं। दंगा पीड़ित कसीमुद्दीन ने शामली कोतवाली पर यह मुकदमा दर्ज कराया था जिसमें स्पेशल इंवेस्टीगेशन सेल (एसआईसी) ने 6 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।
इस पूरे मामले में पुलिस ने सिखेड़ा थाने में महापंचायत में शामिल गन्ना मंत्री सुरेश राणा, संगीत सोम विधायक सरधना, बिजनौर के पूर्व सांसद भारतेंद्र सिंह, साध्वी प्राची, श्यामपाल चेयरमैन आदि समेत 11 लोगों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मुकदमा दर्ज कराया था। प्रदेश सरकार ने गत वर्ष इस मुकदमे को वापस लेने की मंजूरी दी थी।
'जनज्वार' संंवाददाता तोषी मैंदोला ने दंगे के आरोपी और पीड़ितों से बात करने की कोशिश की। भड़काऊ भाषण देने की आरोपी रही साध्वी प्राची से जब हमने बात की तो उन्होने कोर्ट का धन्यवाद करते हुए सपा सरकार पर निशाना साधा। साध्वी प्राची ने कहा कि सपा सरकार ने राजनीतिक द्वेष के कारण हम पर यह आरोप लगाए थे। हमारी तरफ से कोई भड़काऊ भाषण नही दिए गए थे बल्कि बसपा का कादिर राणा है जिसने यह सब किया था। इलाके में पहले मुस्लिम ही तो भड़के थे, हथियार लेकर पहले मुस्लिम गए थे और एंबुलेंस कादिर राणा ने भेजी थी।
'एंबुलेस पकड़ी गई थी उस दौरान सपा का राज था और आरोपी हमें बना रहे थे। हिन्दुओं को तो मुस्लिमों ने मारा था, काट-काटकर हिंदुओं को नहर में फेंक दिया था। उनकी किसने सुनवाई की है। मरने वाले सचिन और गौरव कौन थे। दोनों हिंदू ही तो थे। सपा ने ही इनको मरवाया था। ये सारे सपा और बसपा के कार्यकर्ता थे जिन्होनें दंगे करवाए थे। अपनी बात खत्म करते हुए साध्वी प्राची ने कोर्ट का धन्यावाद किया और कहा कि हमें सम्मानीय तरीके से कोर्ट ने रिहा कर दिया है, इसके साथ ही मैं योगी जी का भी धन्यवाद करती हूं।'
दंगाई न मुस्लिम थे और न ही हिंदू, दंगाईयों का न कोई धर्म होता है और न ही इमान। दंगाईयों का कोई मजहब भी नहीं होता हैं। दंगाई सिर्फ दंगाई होते है। मुजफ्फरनगर में कई लोगों की जाने गई। कोई औरतें बेवा हो गईं तो कई परिवारों ने अपने बेटे, पिता को खो दिया। मुजफ्फरनगर से 35 किलो मीटर दूर कुटबा गांव के रहने वाले मौलाना फिरोज ने बताया कि 'दंगाईयों ने उनके ताया तराबुद्दीन (60 वर्षीय) को भी मौत के घाट उतार दिया। उनके गांव कुटबा से लगभग 8 लोगों की मौतें हुई। माहौल गर्म साथा और अचानक से हमला हो गया'।
भाजपा के कई आरोपी नेताओं को आज एडीजे कोर्ट से तमाम आरोपों से बरी कर दिया है, इसपर वो क्या सोचते है, का जवाब मौलाना फिरोज ने कुछ इस तरह दिया कि तमाम आरोपी आरोपों से रिहा हो गए हैं लेकिन अब हमारे पास इसके अलावा कोई और चारा ही नहीं है। लेकिन हमें सरकार और कोर्ट पर पूरा भरोसा है।