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बढ़ती मौतों से हलकान हुआ कानपुर, डॉक्टर-दवाई के अभाव में चौंकाने लगे हैं श्मशान घाट के आंकड़े
जनज्वार/कानपुर। कोविड-19 की महामारी ने दुनिया का संस्कार तक बदल दिया है। भारतीय संस्कारों के मुताबिक रात में शवदाह नहीं किया जा सकता है लेकिन कोरोना काल मे देर रात तक चिताओं को जलाने का सिलसिला जारी है। शहर के घाटों पर वीरवार को रिकॉर्ड 476 शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
इस फैले संक्रमण के पांचवें दिन घाटों पर जगह कम पड़ने से रात आठ बजे तक गंगा किनारे रेत और पार्कों में चिताएं जलानी पड़ीं, जबकि विद्युत शवदाह गृहों में रातभर अंतिम संस्कार चलता रहा। हमारा मकसद यहां आप सबको सावधान करना है ना कि डराना। हम आपको बस सरकारी आंकड़ों और श्मशान घाट पर पहुंचने वाले शवों के आंकड़ों की जानकारी दे रहे हैं क्योंकि ये तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं।
मृतकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए घाटों पर टोकन सिस्टम शुरू कर दिया गया है। यह बात और है कि सरकारी आंकड़ों में गुरुवार को कोरोना से महज तीन मौतें हुईं। इसके अलावा छह मौतें देरी से पोर्टल पर अपडेट करने की जानकारी दी गई है। घाटों पर एक साथ दर्जनों चिताओं से उठतीं लपटें दिल को झकझोर दे रही हैं। सामान्य दिनों में इन घाटों पर 90 से 100 शवों का अंतिम संस्कार होना बताया जाता है।
लेकिन अब के दिनों में यह संख्या पांच गुना तक अधिक होने से स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो रही हैं। भैरोघाट विद्युत शवदाह गृह में दूसरे दिन भी कोरोना संक्रमित मरीजों समेत 62 शव पहुंचे। यहां दोनों भट्ठियों में शाम 6 बजे तक 16 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। 15 अन्य शव कतार में थे, जबकि कोरोना संक्रमित मरीजों सहित 31 का अंतिम संस्कार लकड़ियों से कराया गया। भैरोघाट श्मशानघाट में दाह संस्कार की पर्चियां बनाने वाले जितेंद्र कुमार ने बताया कि तड़के से रात 8 बजे तक 90 शव आए।
लकड़ियों की कमी भी आड़े आ रही है। उसपर घाट पर जगह कम पड़ने से गंगा किनारे रेत में भी अंतिम संस्कार किये जा रहे हैं। यही कंडीशन भगवतदास घाट के विद्युत शवदाह गृह में आठ और लकड़ियों से 45 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। स्वर्गाश्रम के प्रधान बल्देव राज मेहरोत्रा ने बताया कि 50 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। यह अब तक का इस घाट का सर्वाधिक शवों का रिकॉर्ड है।
चिताएं ज्यादा आने के कारण पार्क में भी अंत्येष्टि करनी पड़ रही है। सिद्धनाथ घाट का प्रबंधन देख रहे भगत गुजराल ने बताया कि घाट पर 16 शवों का अंतिम संस्कार हुआ, जबकि इससे लगभग डेढ़ गुना ज्यादा चिताएं गंगा किनारे जलाई गईं। ड्योढ़ी घाट में भी रात आठ बजे तक अंतिम क्रिया चलती रही। बिठूर सहित अन्य घाटों और उनके आसपास गंगा किनारे अंतिम संस्कार किए गए।
शहर के भगवतदास शमशान घाट 90, भगवतदास विद्युत शवदाह गृह 62, भगवतदास शमशान घाट 45, भगवतदास घाट विद्युत शवदाह गृह 8, स्वर्गाश्रम 50, सिद्धनाथ घाट 40, बिठूर 80, ड्योढ़ी घाट 70 नजफगढ़ घाट 16, सफीपुर, नागापुर, ढोमनपुर घाट 15। इसके साथ कल तक कुल 476 चिताएं जल चुकी हैं।