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उत्तर प्रदेश

मुजफ्फरनगर दंगा : संगीत सोम, साध्वी प्राची सहित अन्य भाजपा नेताओं से केस वापस लेगी योगी सरकार

Janjwar Desk
24 Dec 2020 4:53 AM GMT
मुजफ्फरनगर दंगा : संगीत सोम, साध्वी प्राची सहित अन्य भाजपा नेताओं से केस वापस लेगी योगी सरकार
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(संगीत सोम व साध्वी प्राची)

योगी सरकार ने भाजपा विधायकों व हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्राची का नाम मुजफ्फरपुर दंगों से वापस लेने के संबंध में याचिका दायर कर दी है, जिस पर सुनवाई होना बाकी है...

जनज्वार। उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगा मामले से तीन भाजपा विधायकों सहित अन्य भाजपा नेताओं से केस वापस लेगी। सितंबर 2013 में नगला मंदोर गांव में आयोजित महा पंचायत में इन पर भड़काउ भाषण देने का मामला दर्ज है। इस मामले में शिखेड़ा थाने में दर्ज केस में मेरठ के सरधना से विधायक संगीत सोम, शामली के विधायक सुरेश राणा और मुजफ्फरनगर सरद के विधायक कपिल देव सहित अन्य का नाम शामिल है।

दर्ज केस में हिंदुत्ववादी नेता साध्वी प्राची का नाम भी शामिल है। इन पर प्रशासन से भिड़ने और ऐहतियाती निर्देशों का पालन नहीं करने का आरोप है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने मुजफफ्नगर गवर्नमेंट काउंसिल के राजीव शर्मा के हवाले से खबर दी है कि सरकार ने इन पर दर्ज केस वापस लेने की याचिका दी है जिस पर सुनवाई होना बाकी है।

आरोप के अनुसार, सात सितंबर 2013 को नगला मंदोर गांव के इंटर काॅलेज में महापंचायत बुलायी गयी थी। यह महापंचायत 27 अगस्त को दो युवकों की हत्या किए जाने के बाद आगे का कदम उठाने पर विचार के लिए बुलायी गयी थी। एक मुसलिम युवक शहनवाज कुरैशी की हत्या के बाद भीड़ ने युवकों सचिन व गौरव की हत्या कर दी थी।

महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमला कर दिया गया और इसके बाद मुजफ्फरनगर व आसपास के इलाके में दंगे भड़क गए। इन दंगों में 65 लोगों की मौत हुई और 40 हजार से भी अधिक लोग बेघर हुए। मामले में 510 केस दर्ज हुए और 175 पर चार्जशीट दायर की गयी।

चरण सिंह यादव नामक शख्स ने शिखेड़ा पुलिस थाने में महापंचायत आयोजन को लेकर केस दर्ज कराया था, जिसमें 40 लोगों का नाम था। इसमें संगीत सोम, साध्वी प्राची एवं पूर्व सांसद नरेंद्र सिंह मलिक का भी नाम था। इन पर सांप्रदायिक दंगे भड़काने वाले भाषण देने का आरोप लगाया गया था। आरोप में यह भी कहा गया था कि बिना अनुमति के महापंचायत बुलायी गयी और सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को काम से रोका गया। उस समय राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और उसने भाजपा पर इन दंगों के लिए आरोप लगाए थे।

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