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लोग कोरोना से जूझ रहे, प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने गुप-चुप ढंग से स्मार्ट सिटी का कराया टेंडर
प्रयागराज से जे.पी.सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। कोरोना संकट पर मोदी सरकार ने फैसला किया है कि मार्च 2021 तक कोई नई स्कीम शुरू नहीं होगी। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए किसी नई योजना की शुरुआत पर रोक लगा दी है। मोदी के कार्यकाल की शुरुआत में पूरे देश के चुनिन्दा शहरों में स्मार्ट सिटी परियोजना शुरू की गयी थी मगर इसके लिए कोई फंड विशेष नहीं दिया गया था न ही योजना के अनुरूप किसी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग एजेंसियों से ही फंड का करार हो पाया था।मोदी सरकार के दोबारा सतारूढ़ होने के बाद भी स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए बजट में कोई भी आवंटन नहीं किया गया। इसके बावजूद प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने गुप चुप ढंग से कोरोना के लॉकडाउन के दौरान सौन्दर्यीकरण, सड़क चौड़ीकरण व विद्युतीकरण का लगभग 85 करोड़ रूपये मूल्य का 22 टेंडर करा लिया है।
कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल नजर आ रही है। इस वजह से राजस्व का नुकसान तो हुआ ही है, सरकार का खर्च भी बढ़ा है। इस हालात का असर सरकार की नई योजनाओं पर पड़ने लगा है।दरअसल केंद्र सरकार ने नई योजनाओं की शुरुआत पर रोक लगा दी है। वित्त मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा अगले 9 महीनों या मार्च, 2021 तक स्वीकृत नई योजनाओं की शुरुआत को रोक दिया है। यह आदेश उन योजनाओं पर भी लागू होगा जिनके लिए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने सैद्धांतिक अनुमोदन दे दिया है। अब स्मार्ट सिटी परियोजना भी केंद्र सरकार की है और बजट भी आवंटित नहीं है फिर किस बजट के सहारे प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने ये टेंडर कराएँ हैं वो भी तब जब पूरा शहर लॉकडाउन में है। प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने ये टेंडर 14 मई को निकला और २ मई को खोल भी दिया।
गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी परियोजना की कार्यदायी संस्था प्रयागराज नगर निगम है लेकिन पूर्व मंडलायुक्त आशीष गोयल ने इसे हाईजैक करके प्रयागराज विकास प्राधिकरण को दिलवा दिया क्योंकि मंडलायुक्त विकास प्राधिकरण के चेयरमैन होते हैं। इसका कर्यलय भी नगरनिगम में नहीं है बल्कि सीविललाईन्स बस स्टेशन के बगल के एक व्यावसायिक भवन में स्थित है जिसका किराया प्रतिमाह लाखों में है।इसमें इतनी गोपनीयता है की नगर निगम के किसी अधिकारी /कर्मचारी या चुने गये सभासदों को भी नहीं मालुम कि स्मार्ट सिटी परियोजना में क्या गोरखधंधा चल रहा है । प्रधानमन्त्री तको भेजे गये शिकायती पत्रों में यहाँ तक आरोप है कि कुम्भ के दौरान स्मार्ट सिटी और कुम्भ के नाम पर दर्जनों सडकों का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग और प्रयागराज/इलाहाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा कराया जाना दिखाकर अलग अलग भुगतान कराया गया है ।
दरअसल प्रयागराज को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित और अनुमोदित सिटी डेवलपमेंट प्लान फॉर इलाहाबाद 2041(फ़ाइनल सिटी डेवलपमेंट प्लान) अप्रैल 2015 का खुला उल्लंघन प्रयागराज/इलाहांबाद में प्रयागराज विकास प्राधिकरण और प्रयागराज नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। सड़कों के चौड़ीकरण, सुंदरीकरण के नाम पर निजी फ्रीहोल्ड जमीनों पर बने दशकों पुराने मकान तोड़ दिए गये। अधिकारियों ने न अधिग्रहण किया न कोई मुआवजा दिया।
अब सवाल है कि चौड़ीकरण और सुंदरीकरण आखिर हो किसकी जमीन पर होगा ,अबतक किसकी जमीन पर हुआ है? कुंभ मेला के दौरान शहर की कई सड़कों पर तोड़फोड़ करने के बाद सड़कों को चौड़ा करने वाले प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) के अधिकारियों को अब न निगलते बन रहा है न उगलते। सितंबर 2019 से पीडीए 14 सड़कों के चौड़ीकरण और सुंदरीकरण की प्लानिंग कर रहा है। बार-बार टेंडर करा रहा है, लेकिन हर बार पीडीए अधिकारियों को मुंह की खानी पड़ रही है।
पहली बार 7 सितंबर 2019 को पीडीए ने पहली बार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सिटी की 14 सड़कों के चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण और सुंदरीकरण का टेंडर नोटिस जारी किया था। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम सेवा समर्पण संस्थान के प्रांत संपर्क प्रमुख अनुराग शुक्ला ने टेंडर में वित्तीय घोटाले का आरोप लगाया था। तकनीकी बिड में ठेकेदारों के डॉक्यूमेंट सही न होने पर अयोग्य बताया गया था। फर्स्ट टेंडर कैंसिल होने के बाद दूसरा टेंडर तीन नवंबर को टू बिड प्रणाली के तहत प्रकाशित किया गया। जिसमें इस बार सात नहीं, बल्कि 14 सड़कें शामिल थीं।30 नवंबर टेंडर डालने की लास्ट डेट थी, लेकिन टेंडर को बेचा नहीं जा सका।
तीसरी बार 30 नवंबर की विज्ञप्ति और 14 सड़कों के टेंडर को तोड़कर चार चरणों में कर दिया गया। 16, 17 और 18 दिसंबर को सड़कों का टेंडर कराया और फिर टेक्निकल बिड खोला गया। 28 दिसंबर को म्योर रोड का टेंडर कराया गया, जिसका टेक्निकल बिड उसी दिन खोला गया। 16, 17, 18 और 28 दिसंबर को हुए टेंडर को टेक्निकल जांच के बाद अधिकारियों को फाइनल करना था, लेकिन टेंडर फाइनल करने के बजाय कुछ दिन पहले टेंडर को बहुत ही गोपनीय तरीके से कैंसिल कर दिया गया। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 14 सड़कों के चौड़ीकरण, ब्यूटीफिकेशन का टेंडर एक बार फिर कैंसिल हुआ है, ये तो तय है, लेकिन इस बार किन कारणों से टेंडर कैंसिल किया गया है, अधिकारी इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर रहे हैं।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जिन 14 सड़कों के ब्यूटीफिकेशन, चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण का इस्टीमेट बनाया गया, उसमें पीडीए को यही नहीं पता है कि इस्टीमेट सरकारी भूमि पर बना है या लोगों की निजी भूमि पर, म्योर रोड पर तो फ्री होल्ड जमीन पर चौड़ीकरण का इस्टीमेट बना दिया गया, जिसको लोगों ने चैलेंज करने के साथ ही पीएमओ से लेकर मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव आवास तक शिकायत की है।
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम सेवा समर्पण संस्थान के प्रांत संपर्क प्रमुख अनुराग शुक्ला ने प्रधानमंत्री कार्यालय, प्रमुख सचिव आवास से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायत की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि स्मार्ट सिटी के टेंडर को तोड़-मरोड़ कर कराने के साथ ही पीडीए अधिकारियों द्वारा एडवांस कमिशन लेकर टेंडर कराया जा रहा है। दो-दो ठेकेदारों से एक रेट डलवा कर टेंडर बेचने की प्लानिंग की गई है।