Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Pilibhit News : दरोगा की जांच में झूठे साबित हुए डीएम व डिप्टी कलेक्टर !, जालसाजी के आरोप से पेशकार बरी, जानिए पूरा मामला

Janjwar Desk
30 Jan 2022 10:23 AM IST
Pilibhit News : दरोगा की जांच में झूठे साबित हुए डीएम व डिप्टी कलेक्टर !, जालसाजी के आरोप से पेशकार बरी, जानिए पूरा मामला
x
Pilibhit News: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के बेहद तेजतर्रार और सख्त कलेक्टर (DM) की पहचान रखने वाले आईएएस पुलकित खरे (Pulkit Khare) ने भले ही डिप्टी कलेक्टर से जांच कराने के बाद मातहत अपने न्यायालय (Court) के पेशकार को एक मुकदमे का आदेश पलटने का प्रथम दृष्टया दोषी माना लेकिन दरोगा (Sub Inspector) की जांच में ना सिर्फ कलेक्टर बल्कि एफआईआर (FIR) दर्ज कराने वाले डिप्टी कलेक्टर भी झूठे साबित हुए।

पीलीभीत से निर्मल कांत शुक्ल की रिपोर्ट

Pilibhit News: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के बेहद तेजतर्रार और सख्त कलेक्टर (DM) की पहचान रखने वाले आईएएस पुलकित खरे (Pulkit Khare) ने भले ही डिप्टी कलेक्टर से जांच कराने के बाद मातहत अपने न्यायालय (Court) के पेशकार को एक मुकदमे का आदेश पलटने का प्रथम दृष्टया दोषी माना लेकिन दरोगा (Sub Inspector) की जांच में ना सिर्फ कलेक्टर बल्कि एफआईआर (FIR) दर्ज कराने वाले डिप्टी कलेक्टर भी झूठे साबित हुए। दरोगा ने पेशकार को क्लीन चिट दे दी। मुकदमे की विवेचना समाप्त कर दरोगा ने न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी। दरोगा की जांच के बाद अब प्रशासन की जमकर किरकिरी हो रही है।

7 अक्टूबर, 2021 को तत्कालीन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट विजय कुमार त्रिवेदी ने सदर कोतवाली में जिलाधिकारी न्यायालय के पेशकार रामपाल के विरुद्ध एक तहरीर दी थी। तहरीर के आधार पर कोतवाली पुलिस ने पेशकार के विरुद्ध आईपीसी की धारा 466, 471 के तहत अभियोग दर्ज कर लिया था। इस मुकदमे की विवेचना उप निरीक्षक प्रवीण कुमार को सौंपी गई थी।

दर्ज रिपोर्ट में कहा गया था कि जनपद बरेली से थाना नवाबगंज अंतर्गत तहसील बहेड़ी के ग्राम मिलक पिछौड़ा निवासी रामपाल पुत्र स्व. उमराव जिलाधिकारी के न्यायालय में पेशकार के पद पर नियुक्त हैं। न्यायालय के वाद संख्या 1905/2019 कंप्यूटरीकृत वाद संख्या - डी 201912560001905 सरकार बनाम श्री श्याम जी मेडिसिटी फाउंडेशन डायरेक्टर वीना गोयल अंतर्गत धारा 47 क भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 लंबित था, जिसमें जिलाधिकारी द्वारा 10 सितंबर 2021 को पारित आदेश में विपक्षी पर विलेख संख्या - 8731/2019 के सापेक्ष अंकन रुपये 25 लाख 23 हजार 780 रुपये का कम स्टाम्प पाते हुए इतनी राशि स्टांप अदा करने एवं 25 लाख 23 हजार 780 रुपये का अर्थदंड विलेख (बैनामा) के निष्पादन के माह सितंबर 2019 से अदा करने के माह तक कम स्टांप की राशि पर 1.5 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज अधिरोपित किया था। इस निर्णय एवं आदेश को पेशकार रामपाल ने अपनी लॉगिन आईडी से राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली ( राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश) पर जब अपलोड किया, तो मूल निर्णय को अपलोड ना करते हुए फर्जी एवं कूटरचित निर्णय तैयार कर उसे अपलोड कर दिया गया, जिसमें मूल निर्णय में अधिरोपित अर्थदंड की राशि 25 लाख 23 हजार 780 रुपये के स्थान पर कूटरचित एवं फर्जी धनराशि 12 लाख 50 हजार रुपये अंकित कर दी गई जोकि न्यायालय के अभिलेखों में कूट रचना की श्रेणी में आता है।


मुकदमे के विवेचक ने इस चर्चित प्रकरण में अतिरिक्त मजिस्ट्रेट विजय कुमार त्रिवेदी की जांच रिपोर्ट को झुठलाते हुए जिलाधिकारी न्यायालय के तत्कालीन पेशकार रामपाल को उन पर लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया। विवेचक ने 16 नवंबर को ही कोतवाली के रिकॉर्ड में इस चर्चित मुकदमे की विवेचना को समाप्त करते हुए अंतिम रिपोर्ट संख्या - 92/21 मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में दाखिल कर दी। सवाल यह उठता है कि अगर दरोगा की विवेचना सही है तो फिर उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद की वेबसाइट पर 25 लाख 23 हजार 780 रुपये के स्थान पर कूटरचित एवं फर्जी धनराशि 12 लाख 50 हजार रुपये अंकित कर न्यायालय का आदेश किसने अपलोड किया।

यह था जिलाधिकारी न्यायालय का आदेश

बरेली की प्रतिष्ठित एवं नामचीन फर्म श्री श्याम जी मेडीसिटी फाऊन्डेशन शहर में टनकपुर हाईवे पर जजेज कॉलोनी से बिल्कुल सटी जगह पर एक अत्याधुनिक सुविधाओं वाला आलीशान अस्पताल खोलने जा रही है। इसके लिए शहर के एक प्रतिष्ठित डॉ. एसके अग्रवाल के बेटे सौरभ अग्रवाल से यह जमीन वर्ष 2019 में खरीदी गई लेकिन जमीन के सौदे के बाद कराए गए बैनामे में उत्तर प्रदेश सरकार को 25 लाख 23 हजार 780 रुपए का कम स्टांप लगाकर राजस्व का चूना लगा दिया गया। सहायक महानिरीक्षक निबंधन ने मामला पकड़ा तो जिलाधिकारी न्यायालय में स्टांप चोरी का मुकदमा चला। मुकदमा निस्तारित कर जिलाधिकारी ने श्री श्याम जी मेडीसिटी पर 25 लाख 23 हजार 780 रुपए की स्टांप चोरी घोषित कर 25 लाख की पेनाल्टी ठोंकी है। यह समस्त राशि ब्याज सहित भू राजस्व की भांति वसूल किए जाने के आदेश पारित किए थे।

समाचार पत्र ने किया था फर्जीवाड़े का खुलासा

प्रमुख दैनिक समाचार पत्र में पिछले वर्ष 27 सितंबर को जिलाधिकारी न्यायालय के स्टांप चोरी के इस मुकदमे में पारित आदेश पर जब खबर का प्रमुखता से प्रकाशन किया, तो खबर में कमी स्टांप के इस मुकदमे में श्री श्याम जी मेडीसिटी पर 25 लाख 23 हजार 780 रुपए की स्टांप चोरी में 12 लाख 50 हजार की पेनाल्टी ठोंकने की बात कही गई। तब पता चला कि जिलाधिकारी पुलकित खरे ने भरी अदालत में 12 लाख 50 हजार नहीं बल्कि 25 लाख रुपए पेनाल्टी लगाए जाने का आदेश सुनाया था लेकिन राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर जो निर्णय की कॉपी अपलोड की, उसमें 12 लाख 50 हजार की पेनाल्टी लगाया जाना ही प्रदर्शित हो रहा था। खबर में पेनाल्टी की राशि आधी देख जिलाधिकारी सन्न रह गए थे।

डिप्टी कलेक्टर ने की थी प्रारंभिक जांच

राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर अपलोड निर्णय की कॉपी अपलोड में मात्र 12 लाख 50 हजार की पेनाल्टी लगाया जाना ही प्रदर्शित होने के मामले की प्रारंभिक जांच जिलाधिकारी पुलकित खरे ने उस समय जनपद में तैनात अतिरिक्त मजिस्ट्रेट विजय कुमार त्रिवेदी से कराई थी। साथ ही अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) देवेंद्र प्रताप मिश्र से मामले में मौखिक रिपोर्ट ली थी। उस समय अधिकारियों से कराई गई जांच से यह साफ हो गया था कि पेशकार से कोई मानवीय भूल नहीं हुई बल्कि ऐसा इरादतन किया गया। इसीलिए जांच अधिकारी ने जांच में माना कि पेशकार ने मूल निर्णय को अपलोड ना करते हुए फर्जी एवं कूटरचित निर्णय तैयार कर उसे अपलोड कर दिया। अतिरिक्त मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद जिलाधिकारी पुलकित खरे ने न सिर्फ पेशकार रामपाल को तत्काल अपने न्यायालय के कार्य से मुक्त किया बल्कि पुलिस में पूरे मामले की एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को दिए थे। रामपाल को डीएलआरसी व विविध लिपिक का कार्य सौंपा गया था। नए पेशकार संजीव सक्सेना ने डीएम कोर्ट में कार्य भार संभाल लिया था।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध