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उत्तर प्रदेश

जेल से लौटे बेरोजगार युवक ने योगी सरकार से मांगी मां समेत इच्छामृत्यु, घोटाले में पुलिस पर फंसाने का लगाया आरोप

Janjwar Desk
1 April 2021 6:39 AM GMT
जेल से लौटे बेरोजगार युवक ने योगी सरकार से मांगी मां समेत इच्छामृत्यु, घोटाले में पुलिस पर फंसाने का लगाया आरोप
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युवक को 2019 में आर्यावर्त बैंक में हुए घोटाले में जेल भेज दिया गया था, किसी तरह मां ने कर्जा लेकर उसकी जमानत कराई, उसने पहले राष्ट्रपति फिर जनसुनवाई पोर्टल पर आर्थिक मदद या इच्छा मृत्यु की मांग की थी, सुनवाई न होने पर उसने अपनी मां सहित फोटो व बैनर सोशल मीडिया पर डाल दिया...

जनज्वार, हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस स्थित सहपऊ क्षेत्र के गांव महरारा निवासी एक युवक ने योगी आदित्यनाथ से मां सहित इच्छामृत्यु मांगी है। युवक की बैनर के साथ फोटो वायरल होने पर प्रशासन हरकत में आया। एसडीएम राजेश कुमार ने आनन-फानन एडीओ पंचायत के साथ युवक के घर जाकर जांच की।

महरारा गांव निवासी राजपाल सिंह कुशवाहा का कहना है कि वह घर में अकेला कमाने वाला है। मां काफी बुजुर्ग हैं। पिता चार साल पहले दुनिया छोड़ गए। उसे 2019 में आर्यावर्त बैंक में हुए घोटाले में जेल भेज दिया गया था। किसी तरह मां ने कर्जा लेकर उसकी जमानत कराई। जमानत पर आकर उसने जलेसर रोड से दुकान बदलकर कस्बा सहपऊ में फिर कर्ज लेकर कॉस्मेटिक की दुकान खोली। कर्जा बढ़ता जा रहा था। उसने पहले राष्ट्रपति फिर जनसुनवाई पोर्टल पर आर्थिक मदद या इच्छामृत्यु की मांग की थी। सुनवाई न होने पर उसने अपनी मां सहित फोटो व बैनर सोशल मीडिया पर डाल दिया।

पीड़ित का कहना है कि उसके मुकदमे में दोबारा जांच हो व एसआइ बिजेंद्र सिंह को जिले से हटाकर कहीं दूसरे जिले में भेज दिया जाए, जिससे वह जांच को प्रभावित न कर सकें। सोशल मीडिया में फोटो व बैनर वायरल होते ही सादाबाद एसडीएम राजेश कुमार, बीडीओ अरविंद दुबे, एडीओ पंचायत राजीव कुमार, ग्राम पंचायत सचिव रूप किशोर, वंशी वाला व इरसाद उसके आवास पर पहुंचे। युवक का जॉब कार्ड बनवाया गया है।

यह है मामला

2019 के अप्रैल व मई में जलेसर रोड मानिकपुर स्थित आर्यावर्त बैंक में 58 लाख 60 हजार रुपये का घोटाला हुआ था। इस घोटाले में बैंक मैनेजर व कैशियर आरोपित थे। जिन खाताधारकों के खाते से पैसे की हेराफेरी हुई थी, उन्होंने धरना-प्रदर्शन आदि किए थे। मैनेजर एवं कैशियर फरार हो गए। बैंक अधिकारियों ने उन लोगों का भुगतान कर दिया, जिन्होंने अधिकारियों को बैंक में जमा करने की रसीद उनको दिखाई। इसके बाद कमल वार्ष्णेय ने 31 मई 2019 को अज्ञात बैंक कर्मियों के विरुद्ध खाते से दो लाख चालीस हजार रुपये गबन का आरोप लगाते हुए कोतवाली में एक तहरीर दी।

पुलिस ने तहरीर के मुताबिक रिपोर्ट दर्ज कर उसकी जांच कोतवाली में तैनात एसआइ बिजेन्द्र सिंह को दी। जांच में विवेचना अधिकारी ने गांव महरारा निवासी राजपाल सिंह व महेश को आरोपित मानते हुए 28 मई 2020 को जेल भेज दिया। जेल जाने के बाद दोनों आरोपित 20 सितंबर 2020 को जमानत पर रिहा हो गए। राजपाल उस समय बैंक मित्र व महेश दूध का काम करता था। इसी घोटाले में उसे बैंक मित्र के पद से हटा दिया था।

आरोप है कि युवक को बताया गया की उसके खाते से 72 लाख का फर्जी लेनदेन हुआ है, जबकि महेश के खाते से दो लाख चालीस हजार रुपये कुछ समय बाद ही वापस चले गए। पीड़ित युवक का कहना है कि हम दोनों को गलत फंसाया गया है। आरोप है कि बैंक मैनेजर को बरी कर दिया और कैशियर को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

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