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Breaking : वाराणसी कोर्ट ने ज्ञापवापी मामले में सुनाया बड़ा फैसला, कहा - शिवलिंग की नहीं होगी कार्बन डेटिंग
ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट का अहम फैसला, हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई के लिए मंजूर
Varanasi News : उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के वाराणसी की अदालत ( Varanasi Court ) ने ज्ञापवापी मस्जिद मामले ( Gyanvapi mosque case ) में शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है। वाराणसी कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में स्थित शिवलिंग ( Shivlinga Carbon Dating ) की कार्बन डेटिंग नहीं होगी। बता दें कि हिंदू पक्ष के लोग इस मामले में कार्बन डेटिंग ( Carbon dating ) की मांग कर रहे थे। वाराणसी जिला जज अजय कुमार विश्वेश की अदालत ने 11 अक्टूबर को इस मामले में फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था।
वाराणसी जिला अदालत ( Varanasi District Court ) ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद ( Gyanvapi mosque case ) में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग ( Carbon dating ) कराकर इसकी उम्र के संबंध में वैज्ञानिक साक्ष्य हासिल नहीं किए जाएंगे। जबकि हिंदू पक्ष इस शिवलिंग को प्राचीन विश्वेश्वर महादेव करार दे रहा है तो वहीं, मुस्लिम पक्ष इसे लगातार फव्वारा बताते हुए कार्बन डेटिंग का विरोध कर रहा है। फिलहाल, कार्बन डेटिंग की मांग वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दी है।
हाल ही में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में ( Gyanvapi mosque case ) कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए दैनिक पूजा से संबंधित याचिका को सुनवाई के लिए मंजूरी दी थी। इसके बाद कार्बन डेटिंग ( Carbon dating ) पर पक्ष में फैसला आने की उम्मीद हिंदू पक्ष कर रहा था। इससे पहले माता श्रृंगार गौरी के दैनिक पूजन की मांग को लेकर पांच महिलाओं की याचिका पर कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था। केस की पोषणीयता को लेकर चली सुनवाई में हिंदू पक्ष को जीत मिली। मुस्लिम पक्ष निचली अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गई, जहां उन्हें वहां झटका लगा था। अब कार्बन डेटिंग न कराने का फैसला आने को मुस्लिम पक्ष अपनी बड़ी जीत मान रहा है।
कार्बन डेटिंग क्या है
कार्बन डेटिंग ( Carbon dating ) ऐसी तकनीकी है जिसकी सहायता से संबंधित वस्तु की मूल उम्र का अंदाजा लगाया जाता है। जैसे कोई पुरातात्विक खोज होती है या वर्षों पुरानी कोई मूर्ति मिल जाती है तो कैसे पता चलेगा कि वह कितनी पुरानी है। इस बात का पता कार्बन डेटिंग से ही लगाया जाता है। यानि कार्बन डेटिंग ( Carbon dating ) से उसकी उम्र की गणना की जाती है। हालांकि, यह पूरी तरह से एग्जैक्ट नहीं होता पर, उसे करीब होने का दावा किया जाता है। इसको लेकर भी कई सवाल है भी उठाए जाते हैं। इसकी सहायता से 40 से 50 हजार साल की सीमा का पता लगाया जा सकता है।