उत्तराखंडः देर रात सीएम तीरथ सिंह का इस्तीफा, आज होनेवाली बैठक में चुना जायेगा विधायक दल का नेता
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंपते सीएम रावत
जनज्वार देहरादून। उत्तराखंड की सियासी हलचल के बीच शुक्रवार 2 जुलाई की देर रात मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया। महज चार महीने में अब राज्य को नया सीएम मिलने जा रहा है। तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार रात करीब साढ़े 11 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। अब शनिवार 3 जुलाई को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक दल की बैठक होनी है। जिसमें वर्तमान विधायकों में से ही किसी को विधायक दल का नेता चुना जाएगा। बता दें कि तीरथ सिंह रावत ने इससे पहले दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की थी।
देर रात सौंपा इस्तीफा
रावत के इस्तीफे से पहले दिल्ली से लेकर देहरादून तक दिन भर मुलाकातों और बैठकों का दौर चला। फिर शुक्रवार रात करीब साढ़े ग्यारह बजे रावत ने अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा दिया। इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री रावत ने मीडिया को बताया कि उनके इस्तीफा देने का मुख्य कारण संवैधानिक संकट था, जिसमें निर्वाचन आयोग के लिए चुनाव कराना मुश्किल था।
"Uttarakhand Chief Minister Tirath Singh Rawat submitted his resignation letter from the post of Chief Minister at Raj Bhawan," tweets Uttarakhand Governor Baby Rani Maurya pic.twitter.com/XkHE0nByGF
— ANI (@ANI) July 2, 2021
उन्होंने कहा कि संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए मैंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा। इस दौरान रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने उन्हें उच्च पदों पर सेवा करने का मौका दिया।
हालांकि, उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलें उसी दिन लगने लगी थीं जब रावत को बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली बुलाया था। बुधवार 30 जून को वो दिल्ली गये थे। अपने तीन दिन के दौरे में उन्होंने एक जुलाई गुरुवार की रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। वहीं शुक्रवार को रावत नड्डा से फिर मिले थे।
चार महीने सीएम रहें रावत
पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने 10 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह महीने के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक, निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो। यही कानूनी बाध्यता तीरथ सिंह रावत के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आई। क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है। और कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की कराने की परिस्थितियां नहीं बन पाईं।
शनिवार को चुना जायेगा विधायक दल का नेता
शनिवार को बीजेपी विधायक दल की मीटिंग बुलाई गयी है। इस्तीफे के दौरान मुख्यमंत्री रावत के साथ मौजूद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि चुनाव आयोग ने कहा कि उपचुनाव नहीं करा पाएंगे। इसलिए हम लोगों ने यही उचित समझा कि संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न न हो। उन्होंने बताया कि नए नेता के चयन के लिए शनिवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है।
दोपहर तीन बजे होनेवाली इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रदेश अध्यक्ष कौशिक करेंगे जबकि केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा महासचिव व उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम भी मौजूद रहेंगे। पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दे दी गई है। इस्तीफे के बाद नये मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि राजपूत या फिर सिंह जाति से ही अगला मुख्यमंत्री हो सकता है। ऐसे में सतपाल सिंह और धनसिंह रावत के नामों की चर्चा है। हालांकि, इन दोनों के नाम पहले भी सीएम पद के दावेदार के तौर पर सामने आते रहे हैं।