संवैधानिक पद पर रहकर CM योगी ने मकानों के साथ कानून-संविधान और लोकतंत्र पर भी चलाया बुल्डोजर !
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लखनऊ। भाकपा (माले) ने बुल्डोजर एक्शन पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर कहा है कि अब प्रदेश में बुल्डोजर राज नहीं चलेगा। पार्टी ने पिछले सात सालों में बुल्डोजर कार्रवाइयों में देशभर में अव्वल बन चुकी योगी सरकार से सार्वजनिक माफी मांगने और नागरिकों को हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की है।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले से इस बात की पुष्टि हुई है कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज नहीं है। योगी सरकार ने कानून हाथ में लेकर मनमाने तरीके से घर व दुकानें तोड़ीं। किसी अपराध के महज आरोपी होने के चलते कइयों के घरों पर बुल्डोजर चलाया। अल्पसंख्यकों को खास निशाना बनाया गया।
गरीबों को आवास के मौलिक अधिकार से वंचित कर उनकी बेदखली की गई, उन्हें आश्रयहीन किया गया। बुल्डोजर एक्शनों में जिस तरह सरकार ने न्यायपालिका का अपहरण कर खुद ही जज बन कार्रवाइयां कीं, बुल्डोजर न्याय किया, वह अभूतपूर्व और लोकतंत्र का काला अध्याय है। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ को भी भाजपा सरकार में हो रही अंधाधुंध व गैरकानूनी बुल्डोजर कार्रवाइयों पर सवाल उठाना पड़ा।
माले नेता ने कहा कि बुल्डोजर को अपनी पहचान से जोड़ने वाली योगी सरकार पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला करारा हमला है। बुल्डोजर का पहिया पंक्चर हो चुका है। योगी के बुल्डोजर न्याय को मिशाल बताने वाले आला भाजपा नेता बगले झांकने लायक भी नहीं रहे।
उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर रह कर मुख्यमंत्री योगी और उनकी सरकार ने न सिर्फ मकानों पर, बल्कि कानून, संविधान और लोकतंत्र पर भी बुल्डोजर चलाने का काम किया है। ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का हक नहीं है।
वहीं बुलडोजर न्याय पर रोक सम्बंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वागतयोग्य बताते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि आवास परिवार का मौलिक अधिकार है, जिससे उसे कानूनी प्रक्रिया अपनाए बिना वंचित नहीं किया जा सकता। किसी व्यक्ति के आरोपित अथवा दंडित हो जाने पर आप उसके परिवार को सामूहिक तौर पर दंडित नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका और न्यायपालिका की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा है कि कार्यपालिका न्यायपालिका की भूमिका नहीं निभा सकती।
सर्वोच्च न्यायालय ने कानून के राज के महत्व पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि कानून का राज मनमानी कार्रवाही करने की अनुमति नहीं देता। इसी संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी संपत्ति नोटिस के बिना नहीं गिराई जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका की मनमानी तथा गैर कानूनी कार्रवाही रोकने के लिए अवैध रूप से विध्वंस करने वाले अधिकारियों को विभागीय, आपराधिक तथा आर्थिक रूप से दंडित करने का आदेश भी दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में किसी भी प्रकार के विध्वंस करने के संबंध में दिशा निर्देश दिए हैं जिनका अनुपालन करना अनिवार्य है। इसका अनुश्रवण करने के लिए संबंधित जिलाधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसआर दारापुरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह स्पष्ट है कि योगी राज में बुलडोज करने की कार्रवाई गैरसंवैधानिक थी, इसलिए इस तरह की सभी कार्रवाई की जांच कराकर जबावदेही तय करेगी और इसे करने वाले दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाएगा। साथ ही गैर कानूनी कार्रवाही के मामलों में मकान मालिकों को उचित मुआवजा दिया जाए। एआईपीएफ यह भी आशा करता है कि सुप्रीम के उक्त निर्णय का योगी सरकार सम्मान करेगी और उत्तर प्रदेश में बुलडोजर राज की पूर्णतया समाप्ति कर कानून के राज की स्थापना करेगी।