कुश्ती में दंगल जारी, अब विनेश फोगाट ने PM ऑफिस के आगे सड़क पर रखा अर्जुन अवार्ड
पहलवानों को सरकार की बनायी यौन शोषण कमेटी पर नहीं भरोसा, कहा भाजपा नेता को बृजभूषण शरण सिंह को बचाने के लिए कमेटी से रखा गया हमें दूर
जनज्वार। पहलवान बजरंग पुनिया की तरह महिला कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट ने भी प्रधानमंत्री आवास के बाहर अपने सम्मान खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड रख दिये हैं। 3 दिन पहले विनेश फोगाट ने सम्मान लौटाने की घोषणा की थी। साक्षी मलिक ने प्रेस कांफ्रेंस में ही कुश्ती को अलविदा कह दिया था, जिसके बाद से लगातार कुश्ती खिलाड़ी इस्तीफा देकर अपना अवार्ड लौटा रहे हैं।
विनेश फोगाट ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम लिखे खुले खत में लिखा था, 'प्रधानमंत्री जी, साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने पद्मश्री लौटा दिया है। अब मैं पुरस्कार लेती उस विनेश की छवि से छुटकारा पाना चाहती हूं, क्योंकि वो एक सपना था और हमारे साथ जो हो रहा है, वो एक हकीकत है। मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड दिया गया था, लेकिन उनका कोई मतलब नहीं रहा है। हर महिला सम्मान से जीना चाहती है, इसलिए मैं अपने अवॉर्ड लौटा रही हूं, ताकि ये हमारे ऊपर बोझ न बन सके।'
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— JanjwarMedia (@janjwar_com) December 30, 2023
अपना खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड प्रधानमंत्री आवास के बाहर रखने वाली #विनेशफोगाट ने 3 दिन पहले ही कर चुकी थीं कुश्ती से संन्यास लेने और अपने अवॉर्ड लौटाने की घोषणा@TribalArmy @HansrajMeena pic.twitter.com/UzvA7TDIns
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में WFI प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए आंदोलन किया गया था, मगर बावजूद इसके खिलाड़ियों को न्याय नहीं मिला। बृजभूषण शरण सिंह लंबे अरसे से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे और पहलवानों के लंबे आंदोलन के बाद उन्हें अध्यक्ष पद की कुर्सी खाली करनी पड़ी थी। इसके बाद हुए चुनाव में बृजभूषण के बहुत करीबी संजय सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है। यानी एक बार मोदी सरकार ने यह संदेश दे दिया कि पहलवानों का पिछले 11 महीने से बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ चलाया गया आंदोलन किसी काम का नहीं है। ऐसे में विरोधस्वरूप बजरंग पूनिया ने अपना पदक लौटाने का ऐलान किया। हालांकि इसके बाद संजय सिंह को हटाकर नई WFI भंग करने का ऐलान किया गया है, मगर उस पर भी संजय सिंह अपनी जिद पर अड़े हुए हैं कि कार्यकारिणी को गलत ढंग से भंग किया गया और वह इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे।
संजय ने कहा कि सरकार डब्ल्यूएफआई का पक्ष सुने बिना उनकी स्वायत्त और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई संस्था को निलंबित नहीं कर सकती है। हमने लोकतांत्रिक तरीके से डब्ल्यूएफआई के चुनाव जीते। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश निर्वाचन अधिकारी थे, इसमें भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और यूनाईटेड विश्व कुश्ती (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के भी पर्यवेक्षक थे। चुनावों में 22 राज्य इकाईयों (25 राज्य संघ में से तीन अनुपस्थित थे) ने हिस्सा लिया था, 47 वोट मिले थे जिसमें से मुझे 40 मिले थे। इसके बावजूद अगर हमें निलंबित कर दिया जाता है तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी संस्था को अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया जो न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है, जबकि भारतीय संविधान के अंतर्गत हर कोई इसका हकदार होता है। डब्ल्यूएफआई एक स्वायत्त संस्था है और सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। हम सरकार से बात करेंगे और अगर सरकार निलंबन वापस नहीं लेती है तो हम कानूनी राय लेंगे और अदालत का रूख करेंगे।’