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Yasin Malik : वो आतंकी जिसे वाजपेयी सरकार ने पासपोर्ट मुहैया कराया और मनमोहन सरकार ने मेहमान बनाया, अब जेल में कटेगी जिंदगी

Janjwar Desk
25 May 2022 9:15 PM IST
Yasin Malik : वो आतंकी जिसे वाजपेयी सरकार ने पासपोर्ट मुहैया कराया और मनमोहन सरकार ने मेहमान बनाया, अब जेल में कटेगी जिंदगी
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Yasin Malik : वो आतंकी जिसे वाजपेयी सरकार ने पासपोर्ट मुहैया कराया और मनमोहन सरकार ने मेहमान बनाया, अब जेल में कटेगी जिंदगी

Yasin Malik Profile : यासीन मलिक एक कश्मीरी अलगाववादी नेता और पूर्व मिलिटेंट हैं जो भारत और पाकिस्तान दोनों से कश्मीर को अलग करने की वकालत करता रहा है। वह जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का चेयरमैन है जिसने कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व किया था...

Who is Yasin Malik : टेरर फंडिंग मामले में एनआईए कोर्ट यासीन मलिक को उम्रकैद और 10 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनायी है। कोर्ट के फैसले पर दिनभर सभी की नजरें टिकी हुई थी। आइए जानते हैं कौन है आतंक का सरगना यासीन मलिक और उसने आतंक के कौन-कौन से काले कारनामे किए है?

यासीन मलिक एक कश्मीरी अलगाववादी नेता और पूर्व मिलिटेंट हैं जो भारत और पाकिस्तान दोनों से कश्मीर को अलग करने की वकालत करता रहा है। वह जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का चेयरमैन है जिसने कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व किया था। मलिक ने 1984 में हिंसा को कथित तौर पर त्याग दिया और कश्मीर संघर्ष पर समझौता करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके अपनाए। मई 2022 में उसे आपराधिक साजिश और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए दोषी ठहराया गया।

बीते 10 मई को उसने अदालत के सामने अपने जुर्म कबूल कर लिए थे और कहा था कि अदालत जो चाहे उसे सजा दे सकती है वह अपना बचाव नहीं करेगा। उसके इस कबूलनामे को कश्मीर और शेष भारत में अलग-अलग नजरिए से देखा गया था। जहां पूरे देश में आतंकी यासीन मलिक को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की गयी थी तो वहीं कश्मीर में उसके समर्थक कट्टरपंथियों का कहना था कि यासीन मलिक ऐसा कर खुद के नहीं नहीं झुकने का प्रमाण दे रहा है। वह सजा से घबराकर नहीं झुकेगा। हालांकि देशभर में उनके समर्थकों की इस दलील की जमकर आलोचना की गयी थी।

कश्मीर के मैसुमा इलाके में पैदा हुआ यासीन मलिक

यासीन मलिक का जन्म 3 अप्रैल 1966 को श्रीनगर की घनी आबादी वाले मैसुमा इलाके में हुआ था। मलिक के मुताबिक जब वह युवा था तब उसने सुरक्षा बलों द्वारा सड़कों पर की गई कथित हिंसा को देखा था। कहा जाता है कि 1980 में सेना और टैक्सी ड्राइवरों के बीच एक विवाद देखने के बाद वह एक विद्रोही बन गया था। मलिक ने ताला पार्टी नाम के एक संगठन का गठन किया जिसने राजनीतिक सामग्री की प्रिंटिंग और उसका वितरण किया और घाटी में अशांति पैदा की।

10 जनवरी 2001 को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी की गयी सूचना जिसमें यासीन मलिक को इलाज के लिए अमेरिका और ब्रिटेन जाने के लिए पासपोर्ट जारी करने की बात कही गयी है।

आपको बता दें कि यासीन मलिक को साल 2001 में तत्कालीन अटल बिहार वाजपेयी सरकार ने इलाज के लिए अमेरिका और ब्रिटेन जाने के लिए पासपोर्ट जारी किया था। उसके बाद मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में सरकार का मेहमान भी बन चुका है। जब कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया गया था।

मकबूल भट की फांसी का किया विरोध

उसका समूह साल 1983 में शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में वेस्टइंडीज के साथ क्रिकेट मैच को बाधित करने, श्रीनगर मे नेशनल कॉन्फ्रेंस की सभाओं को बाधित करने और अलगाववादी मकबूल भट की फांसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल था। इसके बाद मलिक को गिरफ्तार किया गया था और चार महीने तक हिरासत में रखा गया था।

इस्लामिक स्टुडेंट्स लीग का गठन

1986 में रिहा होने के बाद ताला पार्टी का नाम बदलकर इस्लामिक स्टुडेंट्स लीग (आईएसएल) कर दिया गया जिसके महासचिव मलिक ही थे। आईएसएल बाद में एक युवाओं का एक बड़ा आंदोलन बन गया। इसके सदस्यों में अशफाक मजीद वानी, जावेद मीर और अब्दुल हमीद शेख थे।

यासीन मलिक को नहीं भारतीय संविधान पर विश्वास

1987 के विधानसभा चुनावों के लिए यासिन मलिक के नेतृत्व में आईएसएल, मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट में शामिल हो गई। यासीन मलिक ने किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा क्योंकि उसे भारतीय संविधान पर विश्वास नहीं था। लेकिन उसने श्रीनगर के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंड के लिए प्रचार की जिम्मेदारी ली।

जमात-ए-इस्लामी के एक प्रवक्ता के मुताबिक मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट शामिल होने वाले सभी दल या तो 'आजादी' समर्थक थे या 'जनमत संग्रह' के समर्थक थे। जमात-ए-इस्लामी के एक अन्य सदस्य के अनुसार सत्तारूढ़ दल नेशनल कांफ्रेंस की कथित 'गुंडागर्दी' का मुकाबला करने के लिए स्ट्रीट पावर प्रदान करने के लिए आईएसएल को एमयूएफ में शामिल किया गया था।

1987 चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस पर लगा चुनाव में धांधली का आरोप

1986 में राजीव गांधी की सरकार ने कश्मीर घाटी में गुलाम मोहम्मद शेख की सरकार को बर्खास्त किया और फिर कांग्रेस पार्टी ने फारूक अब्दुल्ला की नैशनल कॉन्फ्रेंस से हाथ मिला लिया। 1987 के जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के दौरान यासीन मलिक ने मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट जॉइन कर लिया। इस संगठन ने कांग्रेस और नैशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में जमकर प्रचार किया। मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का एक उम्मीदवार मोहम्मद युसूफ शाह भी था, जो कि श्रीनगर के आमीराकदल से उम्मीदवार बनाया गया था। यासीन मलिक को मोहम्मद युसूफ शाह का बूथ एजेंट बनाया गया था।

युसूफ शाह बना सैयद सलाहुद्दीन

आमीराकदल के चुनाव का परिणाम घोषित होने के वक्त मोहम्मद युसूफ शाह दोपहर तक मतगणना में काफी आगे था और उसकी जीत तय थी। लेकिन बाद में मोहम्मद युसूफ को पराजित घोषित कर अमीराकदल से नैशनल कॉन्फ्रेंस कैंडिडेट गुलाम मोहिउद्दीन शाह को विजयी बना दिया गया। युसूफ शाह और यासीन मलिक को 1987 के इस चुनाव के बाद जेल में डाल दिया गया। जेल के रिहा होने के बाद मोहम्मद युसूफ शाह मोहम्मद एहसान डार के संपर्क में आया, जो कि हिज्बुल मुजाहिदीन का संस्थापक था। यूसुफ डार ने इसके बाद अपना नाम बदल लिया और खुद को सैयद सलाहुद्दीन घोषित कर लिया।

1987 के अंत तक यूसुफ शाह के साथ ही यासीन मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और अदालत में पेश किए बिना कैद कर लिया गया। उन्हें चुनावों में व्यापक धांधली और बूथ कब्जे की खबरें मिली थीं जो कथित तौर पर भारत सरकार के साथ मिलकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की ओर से की गयी थी। पुलिस ने किसी की शिकायत सुनने से इनकार कर दिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को विधानसभा में 62 सीटों के साथ विजेता घोषित किया गया और उसने सरकार बनाई।

1987 के धांधली वाले चुनाव को अधिकांश स्कॉलर कश्मीर विद्रोह के ट्रिगर के रूप में देखते हैं। हालांकि यासीन मलिक ने इसको लेकर कहा था कि मैं स्पष्ट कर दूं 1987 के चुनावों में धाधली के परिणामस्वरूप सशस्त्र उग्रवाद नहीं हुआ। हम 1987 से पहले भी वहां थे।

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में ली थी ट्रेनिंग

जेल से छूटने के बाद यासीन मलिक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी कैंपों में ट्रेनिंग लेने के लिए चला गया। इसके बाद वह अपने लक्ष्य 'कश्मीर की आजादी' के लिए वापस कश्मीर घाटी लौट आया। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से हथियारों की ट्रेनिंग लेने के बाद मलिक ने घाटी में हामिद शेख, अशफाक वानी और जावेद अहमद मीर के साथ जेकेएलएप उग्रवादियों के कोर समूह का गठन किया जिसे 'हाजी' समूह कहा जाता है।

कश्मीर घाटी की आजादी के लिए लोगों की प्रतिक्रिया से वे हैरान थे। कहा जाता है कि उन्होंने भारतीय सुरक्षा बोलों के साथ गुरिल्ला युद्ध छेड़ दिया था। उन्होंने तब के देश के गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सई का अपहरण कर लिया और सुरक्षा अधिकारियों पर हमले किए।

सेना के ऑपरेशन में ढेर हुए आतंकी

मार्च 1990 में अशफाक वानी को भारतीय सुरक्षाबलों ने लड़ाई में मार गिराया था। इसके बाद अगस्त 1990 में यासीन मलिक को घायल हालत में पकड़ लिया गया था। उसे मई 1994 तक जेल में रखा गया था। हामिद शेख को भी 1992 में पकड़ लिया गया था लेकिन पाकिस्तान समर्थित उग्रवादियों ने उनसे सुरक्षाबलों से उसे छुड़वा दिया था। 1992 तक जेकेएलएफ के अधिकांश आतंकी मारे गए या पकड़ लिए गए और वे सभी हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे पाकिस्तान समर्थक संगठनों के लिए जमीन तैयार कर रहे थे, जिन्हें पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के द्वारा समर्थन दिया जाता था।

जब हिजबुल बंद की टेरर फंडिंग

हालांकि बाद में पाकिस्तान ने अपना रंग बदल दिया। कहा जाता है कि पाकिस्तान ने बाद में जेकेएलएफ को अपनी वित्तीय सहायता बंद कर दी थी क्योंकि जेकेएलएप ने कश्मीर के पाकिस्तान के साथ एकीकरण का समर्थन हीं किया था।

1994 में जेल से जमानत पर छूटने के बाद यासीन मलिक ने जेकेएलफ के अनिश्चितकाली संघर्ष विराम की घोषणा की थी। हालाकि तब उनका कहना था कि जेकेएलएफ ने भारतीय सेना के अभियानों में अपने करीब सौ सदस्यों को खो दिया है। कहा जाता है कि हिजबुल मुजाहिद्दीन के ही कुछ सदस्यों ने सुरक्षा बलों को उनके ठिकानों की सूचना दी थी।

यासीन मलिक का परिवार

यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन से मुलाकात 2005 में हुई थी। यासीन कश्मीर के अलगाववादी मूवमेंट के लिए पाकिस्तान का समर्थन मांगने वहां गया था। वहां यासीन के भाषण को सुनने के बाद मुशाल हुसैन उससे प्रभावित हो गई। बाद में दोनों एक दूसरे के करीब आ गए। 22 फरवरी 2009 को यासीन मलिक ने पाकिस्तानी कलाकार मुशाल हुसैन से निकाह किया। मार्च 2012 में मुशाल और यासीन को एक बेटी हुई. उसका नाम रजिया सुल्ताना है। मुशाल हुसैन अपने शौहर यासीन से उम्र में 20 साल छोटी है। मुशाल हुसैन के पाकिस्तान में नेताओं और अधिकारियों के साथ संबंध है। मुशाल के पिता अंतरराष्ट्रीय स्तर के अर्थशास्त्री थे, जबकि उनकी मां पाकिस्तान मुस्लिम लीग महिला विंग की महासचिव थीं। मुशाल ने 6 साल की उम्र में पेंटिंग शुरू कर दी थी और वह सेमी न्यूड पेंटिंग बनाने के लिए प्रसिद्ध है।

भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने में एक्टिव रहती है पत्नी

यासीन मलिक की तरह उसकी पत्नी भी भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर में एक्टिव रहती है। यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक खुले तौर पर पति का समर्थन कर रही है और भारत विरोधी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती है। ट्विटर पर मुशाल हुसैन काफी एक्टिव रहती है और इस प्लेटफॉर्म पर ही उसके 80 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। ज्यादातर पाकिस्तानी उसे फॉलो करते हैं।

आपको बता दें कि यासीन मलिक ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि उसने देश के सात-सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। आपको बता दें कि कुछ समय पहले यासीन मलिक और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ साथ की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इसके साथ ही प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति राय के साथ की उनकी एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है।

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