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योगी का चुनावी वर्ष: फिर किया एक लाख रोजगार देने का वादा, युवा ही उठा रहे सवाल

Janjwar Desk
16 Jun 2021 10:36 AM GMT
योगी का चुनावी वर्ष: फिर किया एक लाख रोजगार देने का वादा, युवा ही उठा रहे सवाल
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(सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य में अब तक 1 लाख से अधिक महिलाओं को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। जबकि, 1.50 करोड़ श्रमिकों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार से जोड़ा गया है।)

युवा हल्ला बोल' के संस्थापक और बेरोजगारी को राष्ट्रीय बहस बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवा नेता अनुपम का कहना है कि झूठे प्रचार की जगह सच्चे रोजगार पर सरकार काम करे, वरना बेरोजगार युवाओं का आक्रोश आगामी विधानसभा चुनाव में बहुत भारी पड़ेगा...

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश सरकार एक बार फिर वर्ष के अंत तक एक लाख युवाओं को रोजगार देने का ऐलान किया है। ऐसी ही घोषणा 8 माह पूर्व भी सरकार ने की थी। चुनावी वर्ष में सरकार के वादे नारे ही बनकर रह जाएंगे या हकीकत बनेंगे? यह सवाल रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे संगठन व युवा उठा रहे हैं।

आठ माह पूर्व जो वादे किए गए थे उसे दोहराने के पीछे छुपे राजनीतिक गति विज्ञान की ओर कुछ लोग इशारा करते हैं। इनके अनुसार पिछले 17 सितंबर को देशभर में कुछ राजनीतिक संगठनों व युवा संगठनों के आहवान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन बेरोजगार दिवस के रूप में मनाया गया। इस बहाने युवाओं ने सरकार को उनके किए गए वादे पर घेरने की कोशिश की। एक बार फिर 5 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर कुछ संगठनों ने रोजगार दिवस मनाते हुए अपना आक्रोश जताया। ऐसे ही दोनों पलों को संज्ञान में लेते हुए सरकार रोजगार की बात कर रही है। लेकिन पूर्व के अनुभव के अनुसार यह वादे कितना हकीकत में बदल पाएगा इस पर संदेह है।

दूसरा पहलू यह है कि कोरोना की दूसरी लहर ठंड पड़ते ही उत्तर प्रदेश में राजनीतिक तापमान गरम हो गया है। इसके पीछे कहा जा रहा है कि यूपी पंचायत चुनाव में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन से आगामी विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर पार्टी नेतृत्व के सिर पर चिंता की लकीरें पड़ गई हैं। नेतृत्व की परेशानी उस समय और बढ़ गई जब सरकार व प्रदेश के मुखिया के संबंध में फीडबैक लेने आए केंद्रीय पर्यवेक्षको को निराशाजनक सूचना मिली। इसके बाद से कैबिनेट से लेकर नेतृत्व तक के परिवर्तन को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। इस पूरे कदम ताल के पीछे एक बात तो सत्य है कि सरकार आगामी विधानसभा चुनाव में फिर एक बार वापसी के लिए हर तरह की तैयारी करने में जुट गई है। इसी का हिस्सा माना जा रहा है युवाओं को रोजगार देने की घोषणा को।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यालय के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल से एक सप्ताह पूर्व एक लाख ही युवाओं को रोजगार देने की तैयारी संबंधित जानकारी दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि चालू वर्ष में कम से कम 1 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी। इस प्रकार से पिछले लगभग पांच वर्षों में सरकारी भर्तियों की कुल संख्या 5 लाख तक हो जाएगी। सरकार एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती प्रक्रिया दिसंबर, 2021 तक पूरी करने की तैयारी कर रही है। जिन विभागों में कोरोना के कारण भर्ती प्रक्रिया ठप पड़ी थी, वहां युद्धस्तर पर कार्य शुरू कर चयनित युवाओं को नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। आने वाले दिनों में शिक्षा, पुलिस, स्वास्थ्य, ऊर्जा और आबकारी विभागों में सबसे अधिक भर्तियां की जानी हैं। सरकार के दावे के मुताबिक वर्ष के अंत तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में 5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने की योजना है। पिछले चार वर्षों में विभिन्न विभागों में लगभग 4 लाख सरकारी नौकरियां दी जा चुकी हैं।

सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य में अब तक 1 लाख से अधिक महिलाओं को सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। जबकि, 1.50 करोड़ श्रमिकों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार से जोड़ा गया है। स्टार्टअप इकाइयों से 5 लाख से अधिक और औद्योगिक इकाइयों से 3 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार दिया गया है। ओडीओपी के माध्यम से 25 लाख लोगों को रोजगार मिला है। यूपी में 50 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयों के जरिये 1 करोड़ 80 लाख लोगों को रोजगार मिला है। राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति से 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया है। वहीं, 40 लाख से अधिक श्रमिकों की स्किल मैपिंग के बाद उन्हें रोजगार से जोड़ा गया है।

उत्तर प्रदेश युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह सरकार के दावे पर सवाल खड़ा करते हैं। उनका कहना है कि अखिलेश सरकार में निकली शिक्षक भर्ती में बहाल किए गए शिक्षामित्रों की भर्ती को सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। इन्हीं रिक्त स्थानों पर योगी सरकार ने दो बार में वैकेंसी निकालकर भर्ती प्रक्रिया शुरु की, जो प्रक्रिया पूरी भी नहीं हुई है। इसे प्रदेश सरकार अपने कार्यकाल की भर्ती बताकर युवाओं को छलने का काम कर रही है। एलटी जीआईसी के 10,000 पदों पर भर्ती के लिए 29 जुलाई 2018 को परीक्षा कराया गया। यह भक्ति प्रक्रिया भी अखिलेश सरकार में शुरु हुई थी। जिस पर एकेडमीक आधार पर भर्ती की बात कही गई थी , जिसका कुछ संगठनों ने विरोध किया। जिसे रद्द कर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पुनः बहाली निकाली। ये प्रक्रिया भी अभी पूरी नहीं हुई है।

''अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में पुलिस भर्ती की प्रक्रिया शुरु की जिसमें 39000 भर्ती का प्रस्ताव तैयार किया गया। हालाकि बजट का अभाव समेत अन्य कारणों से 20 हजार पदों पर भर्ती के लिए आवेदन निकाले गए। यह प्रक्रिया भी लंबित है। मौजूदा सरकार में दरोगा के 4000 पदों पर भर्ती के लिए सुबह व शाम दो पाली में अलग-अलग अभ्यर्थियों की परीक्षा आयोजित की गई। परीक्षा के एक पाली में सरल और दूसरी पाली में कठिन प्रश्न पत्र देने का आरोप लगने पर मामला कोर्ट चला गया। इसके बाद सरकार ने भी मूल्यांकन में सरलीकरण का फॉर्मूला अपनाते हुए विवाद का निस्तारण करने की कोशिश की। लेकिन अभी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।''

युवा हल्ला बोल' के संस्थापक और बेरोजगारी को राष्ट्रीय बहस बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवा नेता अनुपम का कहना है कि झूठे प्रचार की जगह सच्चे रोजगार पर सरकार काम करे, वरना बेरोजगार युवाओं का आक्रोश आगामी विधानसभा चुनाव में बहुत भारी पड़ेगा। 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय समन्वयक गोविंद मिश्रा ने कहा कि युवाओं ने आईटी सेल के प्रचार को पछाड़कर अपनी आवाज बुलंद कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर 'यूपी बेरोजगार दिवस' के रूप में मनाते हुए लाखों ट्वीट को गोविंद ने बेरोजगार युवाओं में व्याप्त आक्रोश का परिणाम बताया। यदि सरकार अब भी रोजगार के अवसरों और सरकारी भर्तियों पर ध्यान नहीं देती है तो युवाओं का यह असंतोष आंदोलन की शक्ल ले लेगा।

युवा हल्ला बोल' के संस्थापक अनुपम ने बताया कि सीएम आदित्यनाथ चार साल में चार लाख सरकारी नौकरी देने का प्रचार करते हैं। जब आरटीआई से इन नौकरियों का विभागवार ब्यौरा पूछा गया तो उन्हीं की सरकार के पास कोई जवाब नहीं था। सवाल है कि जब सरकार खुद नहीं जानती कि चार लाख सरकारी नौकरी कहां दी गई हैं तो प्रचार में किस आधार पर ये दावा किया जा रहा है।

अनुपम के अनुसार, सरकार अन्य अवसरों पर भी ऐसे दावे करती रही है जिनका वास्तविकता से लेना देना नहीं है। जैसे महराजगंज के दुर्गेश को लेखपाल की नौकरी देने का भ्रामक वीडियो जारी करवा दिया गया, जिसे बाद में डिलीट करना पड़ा। गोविंद मिश्रा ने बताया कि यूपीएसएसएससी की कई भर्तियां वर्षों से पूरी नहीं हुई हैं। सवाल पूछने पर उचित जवाब नहीं दिया जाता। एक तरफ सरकार जवाबदेही से भागती है तो दूसरी तरफ बार बार गलत दावे किए जाते हैं। जनता के पैसे से ही जनता को गुमराह करने की कोशिश हो रही है।

युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह प्रदेश सरकार पर भर्तियों में भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हैं। उनका कहना है की 69 हज़ार शिक्षक भर्ती की परीक्षा का पेपर ही 3 घंटे पहले वायरल हो गया। एलटी ग्रेड जीआईसी परीक्षा में प्रश्न पत्र लिक होने के मामले में लोक सेवा आयोग के पूर्व परीक्षा नियंत्रक अंजु लता कटियार 8 माह तक जेल में रहने के बाद पेरोल पर बाहर आई हैं।

कोलकाता के प्रिंटिंग प्रेस कौशिक कुमार के द्वारा पेपर लिक करने का मामला उजागर हुआ था। भर्ती में गड़बड़ी का ही मामला है कि इस परीक्षा में प्रयागराज के इस्लामिया मजीदिया इंटर कॉलेज व नैनी के बाल विद्या मंदिर केंद्र पर सीरियल रोल नंबर से 40- 40 अभ्यर्थियों का चयन सूची में नाम आ गया। सीटीईटी की परीक्षा में पेपर लीक होने का मामला सामने आया था। वीडीओ के 379 पर भर्ती का मामला भ्रष्टाचार के खेल में फंसा हुआ है। इस सरकार के भर्ती के दावे हकीकत से काफी दूर नजर आते हैं।

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