युवा शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने यह तस्वीर शेयर कर मोदी सरकार से पूछा है कि क्या देश का किसान पुलिस के जूतों के नीचे रौंदा जाता रहेगा
जनज्वार। इमरान इस फोटो को शेयर करते हुए लिखते हैं, 'इस तस्वीर पर कुछ लिखने की हिम्मत नहीं हुई... एक पुलिस वाले के जूते के नीचे इस देश का अन्नदाता। वाह मोदी जी वाह।'
इमरान प्रतापगढ़ी द्वारा ट्वीटर पर शेयर की गयी इस तस्वीर पर कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां भी आई हैं।
RAVI SHANKAR MISHRA @goshpurkothi लिखते हैं 'पुलिस की निरंकुशता और इसको बढ़ावा देने वाली शासकीय सोच को समझने के लिए यह तस्वीर काफी है लेकिन यह आने वाले तूफान को भी इंगित करता जिसके जद में हम सभी आएंगे! इन्तजार कीजिए और मुस्कुराइए कि हम निरंकुश शासन के अधीन जी रहे हैं!'
Shahfahad iqbal @IqbalShahfahad सवाल करते हैं, क्या सच में ये २१वीं सदी है ? क्या ये पुलिस जो श्रद्धेय लाल बहादुर जी के सपनों को 'जय जवान जय किसान' को फॉलो कर रहे हैं? ये वही किसान है जिनका आज भी हमारी जीडीपी में अहम योगदान है? क्या ये सरकार किसानों की हितैषी है? क्यों इतना बर्बर जुल्म ढाया जा रहा है पितातुल्य जैसों से?
हालांकि लोगों ने इस तस्वीर की विश्वनीयता पर सवाल उठाया है कि यह तस्वीर 2 अक्टूबर को किसानों पर हुए हमले की नहीं है, बल्कि कभी और की है।
Md.Danish Siddiqui @sidddanish99 कहते हैं, 'गलत बात ये। कौशाम्बी में हुए एक मर्डर की फ़ोटो है, जिसे थाने से पोस्टमार्टम हाउस ले जाया जा रहा था।'
संभव है यह बात सच हो, लेकिन यह तस्वीर यूपी पुलिस की है, इसमें कोई शक नहीं है, वर्दी से साफ है और दोनिश सिद्दीकी के ट्वीट से भी।
पर बड़ा सवाल ये है कि पुलिस को क्या हक है ऐसे किसी को ले जाने का, चाहे वह मृत ही क्यों न हो? क्या आपका कोई सगा ऐसे ले जाया जाएगा तो आपको अच्छा लगेगा, जरा सोचकर देखिए। क्या इस देश में गुलामी के 70 वर्षों बाद भी पुलिस का रवैया आम आदमी के लिए अंग्रेजों वाला ही रहेगा या इसे तोड़ा जाएगा।