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कांग्रेसी कलह और अभिनंदन वापसी के बीच उत्तराखंड की पांचों सीटों पर फिर भाजपा मार सकती है बाजी
न्यूज चैनलों ने राष्ट्रवाद की जो दुहाई दी और जल्द ही वह सीमा लांघकर सैन्यवाद तक की बातें करने लगे, न्यूज एंकर सैनिक की वर्दी में स्टूडियो में पहुंचने लगे, इस अति माहौल का असर उत्तराखंड की जनता पर भी जरूर पड़ेगा...
हल्द्वानी, जनज्वार। उत्तराखंड में लोकसभा के लिये 11 अप्रैल को वोट पड़ेंगे। यहां प्रमुख दो पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच ही असल लड़ाई है, जो हमेशा से रही भी है।
जहां तक भाजपा की बात करें तो कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ज्यादा जोश में है। पांचों लोकसभा सीट पर भाजपा की जीत का दावा मजबूत दिखता है, जिसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पुलवामा हमले के बाद देश में जो माहौल बना है, उसका असर यहां देखने को मिलेगा।
न्यूज चैनलों ने राष्ट्रवाद की जो दुहाई दी और जल्द ही वह सीमा लांघकर सैन्यवाद तक की बातें करने लगे, न्यूज एंकर सैनिक की वर्दी में स्टूडियो में पहुंचने लगे। इस अति माहौल का असर उत्तराखंड की जनता पर पड़ेगा, यह तय है।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड से अच्छी—खासी तादाद सेना में हैं, जिस कारण यहां की जनता का सेना से बहुत जुड़ाव होता है। फिलहाल पुलवामा के बाद पाकिस्तान में बम गिराने का दो दावा चैनलों ने किया कि भारत ने पाकिस्तान के 300—350 आतंकियों को जमींदोज कर दिया है, उस फेक न्यूज का असर यहां पर पूरी तरह कायम है। इस खबर को फेक इसलिए कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने असलियत वीडियो के साथ दिखा दी है। साथ ही संबंधित मंत्रालय की तरफ से भी मीडिया में ऐसा कोई बयान नहीं आया, जिससे पुष्टि हो कि पाकिस्तान में 300 आतंकी मारे गए हैं।
मीडिया ने बढ़—चढ़कर भाजपा प्रवक्ता की भूमिका में आ प्रचारित किया कि मोदी ने पाकिस्तान को सबक सिखाया है। एक तो वहां 350 आतंकी मार जैश—ए—मोहम्मद के ठिकाने नेस्तनाबूद किए हैं, वहीं पाक के कब्जे में रहे भारतीय पायलट अभिनंदन को सुरक्षित देश वापस ले आए हैं। इस मामले में कांग्रेस ने भी जनता को सच का आइना दिखाने का काम नहीं किया है, अगर किया होता तो जन—जन के बीच पुलवामा के बाद मोदी का इतना ज्यादा महिमामंडन नहीं होता और न ही मोदी सरकार की नाकामियां ही उसका वोट बैंक का आधार बचाने के काम आतीं।
मगर उत्तराखण्डी जनता को चैनलों द्वारा गढ़े गए झूठे माहौल से निकालना लगभग नामुमकिन है, इसलिए इसका पूरा फायदा भाजपा को मिलेगा।
भाजपा को यहां इसलिए भी फायदा मिलता नजर आ रहा है, क्योंकि कांग्रेस संगठन की आपसी खींचतान भी सडक़ पर उतर आयी है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व सीएम हरीश रावत सबके अपने अपने सुर तो हैं ही, साथ ही मौका मिलने पर ये नेता एक दूसरे पर भी खुलेआम निशाना साधते रहते हैं।
कांग्रेस भाजपा के मुकाबले ज्यादा बिखरी है, इसलिये कांग्रेस के मुकाबले उत्तराखंड में भाजपा ज्यादा मजबूत दिख रही है। कांग्रेस एकजुट होकर विपक्ष की भूमिका निभाने में भी नाकामयाब रही है। इन सब बातों का फायदा भाजपा को मिलेगा।
उत्तराखण्ड में भाजपा ने पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए रणनीति बनानी भी शुरू कर दी है। यहां पार्टी प्रत्येक संसदीय सीट पर 24 से 26 मार्च तक जनसभाएं आयोजित करेगी, साथ ही पिछड़ी जातियों के वोट बैंक के लिए अनुसूचित जाति मोर्चे के भी 52 सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के मुताबिक, 'पार्टी की देशभर में 24, 25 और 26 मार्च को 500 सभाएं होने जा रही हैं। इनमें लगभग 250 नेता रहेंगे। उत्तराखंड में भी पांचों संसदीय सीटों पर ये बड़ी-बड़ी सभाएं होंगी, जिनकी तैयारियां शुरू की जाएंगी।
इन सभाओं के जरिए भाजपा पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का काम करेगी। राज्यभर में अनुसूचित जाति मोर्चे के भी 52 सम्मेलन होंगे। 50 विधानसभा क्षेत्रों में ये सम्मेलन अलग-अलग होंगे, जबकि हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिलों के अलग से सम्मेलन करने पर निर्णय हुआ है। मोर्चा पदाधिकारियों को ये सम्मेलन सफल बनाने के निर्देश दे दिए हैं।'
यह भाजपा की वोट बैंक को किसी भी तरह अपने पक्ष में करने की रणनीति ही है कि पहली बार वह पन्ना प्रमुखों और सहप्रमुखों का अलग से सम्मेलन करने जा रही है। चूंकि बूथस्तर के ये कार्यकर्ता सीधे वोट देने वाली जनता से जुड़े रहते हैं, ऐसे में पार्टी इनके जरिए सीधे वोटरों के परिवारों तक पहुंच बना रही है। इसी के तहत 28-29 मार्च को टिहरी, गढ़वाल व अल्मोड़ा संसदीय सीट के पन्ना प्रमुखों के सम्मेलन आयोजित किए जायेंगे, जबकि एक और दो अप्रैल को हरिद्वार और नैनीताल संसदीय सीटों में पन्ना प्रमुखों के सम्मेलन आयोजित किए जायेंगे।