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राजनीति

ATS चीफ हेमंत करकरे की शहादत को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने ठहराया जायज, कहा उन्हें लगा था मेरा श्राप

Prema Negi
19 April 2019 6:37 AM GMT
ATS चीफ हेमंत करकरे की शहादत को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने ठहराया जायज, कहा उन्हें लगा था मेरा श्राप
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BJP MP Pragya Singh Thakur File Photo.

मालेगांव ब्लास्ट की आरोपित साध्वी प्रज्ञा बोलीं, 'पूर्व एटीएस चीफ हेमंत करकरे को संन्यासियों का श्राप लगा था। जिस दिन मैं जेल गई थी, उसके 45 दिन के अंदर ही आतंकियों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया...

जनज्वार। मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर फिलहाल जमानत पर बाहर हैं और भोपाल से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल संसदीय सीट से बीजेपी की टिकट से चुनाव मैदान में हैं। अपने भड़काउ बयानों के चलते चर्चित रहीं साध्वी ने फिर एक बार आग उगलनी शुरू कर दी है।

एक सभा के दौरान साध्वी प्रज्ञा ने अब एटीएस के पूर्व चीफ रहे स्वर्गीय हेमंत कररके पर ही कड़वे बोल बोले हैं। मालेगांव सीरियल ब्लास्ट की जांच भी हेमंत करकरे के पास ही थी। उनकी मौत को एकदम जायज ठहराते हुए प्रज्ञा ने कहा कि 'पूर्व एटीएस चीफ हेमंत करकरे को संन्यासियों का श्राप लगा था। जिस दिन मैं जेल गई थी, उसके 45 दिन के अंदर ही आतंकियों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया।'

गौरतलब है कि एटीएस चीफ हेमंत करकरे 26/11 के हमले में शहीद हुए थे। मीडिया से बातचीत के दौरान साध्वी बोलीं, एटीएस मुझे 10 अक्टूबर 2008 को सूरत से मुंबई लेकर गई थी, जहां मुझे 13 दिन तक बंधक बनाकर रखा गया। क्योंकि पुरुष एटीएस कर्मियों ने इस दौरान मुझे खूब प्रताड़ित किया, इसलिए पूर्व एटीएस चीफ हेमंत करकरे को संन्यासियों का श्राप लगा और मेरे जेल जाने के करीब 45 दिन बाद ही वह 26/11 के आतंकी हमले में मारे गए।

बकौल साध्वी प्रज्ञा सरेआम बोलीं कि मालेगांव ब्लास्ट मामले में जांच अधिकारी सुरक्षा आयोग का सदस्य था, जिसने हेमंत करकरे को बुलाकर साध्वी को छोड़ने के लिए कहा था, मगर हेमंत करकरे ने ने कहा था, मैं कुछ भी करूंगा लेकिन सबूत लाउंगा और साध्वी को नहीं छोड़ूंगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2008 में 26/11 को मुंबई हमला हुआ था जिसमें 166 लोगों के अलावा आतंकियों की गोलियों से मुंबई एटीएस चीफ हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे और एनकाउंटर विशेषज्ञ विजय सालस्कर सहित 17 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए थे।

प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि हेमंत करकरे ने मुझे गलत तरीके से फंसाया था, इसलिए मैंने उनसे कहा था कि तुम्हारा पूरा खानदान खत्म हो जाएगा। कहा था तेरा सर्वनाश होगा, तो उसने मुझे गालियां दी थीं। जिस दिन मैं गई उसके घर पर सूतक लगा था और जब उसे आतंकियों ने मारा तो सूतक खत्म हो गया।'

हालांकि साध्वी प्रज्ञा की भाजपा की टिकट पर भोपाल से उम्मीदवारी को लेकर भी लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं, लोग कहने लगे हैं कि अब राजनीति में आने का पहली और शर्त कहीं क्रिमिनल बैकग्राउंड ही न हो जाए, क्योंकि भाजपा में दर्जनों नेता क्रिमिनल बैकग्राउंड से ही हैं और वह लगातार आपराधिक मामलों में संलिप्त रहे नेताओं को टिकट और पार्टी समस्यता भी दे रही है। जहां तहसीन पूनावाला ने उनकी ज़मानत रद्द करने की अपील की है, वहीं अब मालेगांव धमाके के पीड़ित के पिता ने NIA की कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी ज़मानत पर ही सवाल उठा दिए है।।

गौरतलब है कि एनआईए कोर्ट में दायर की गई याचिका में दर्ज है कि साध्वी प्रज्ञा को कोर्ट ने स्वास्थ्यगत कारणों के चलते जमानत दी है, ऐसे में सवाल उठना शुरू हो गया है कि बीमारी में वह भोपाल से लोकसभा का चुनाव कैसे लड़ सकती हैं।

तहसीन पूनावाला ने चुनाव आयोग से कहा था कि साध्वी के खिलाफ आतंकवादी घटनाओं में लिप्त होने का मामला चल रहा है, वे जमानत पर बाहर हैं, ऐसे में उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। मगर इस शिकायत पर कोई कदम उठाने के बजाय चुनाव आयोग ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर किसी भी मामले में दोषी साबित नहीं हुई हैं। कानूनन दोष सिद्ध होने पर चुनाव न लड़ने का प्रावधान है, जब तक दोष सिद्ध न हुआ हो चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती।

प्रज्ञा को भाजपा से टिकट दिए जाने पर रक्षा मामलों के विशेषज्ञ पूर्व आईपीएस विकास नारायण राय कहते हैं, 'भाजपा द्वारा मालेगांव ब्लास्ट की आरोपित प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बनाने के बाद अब बस गोडसे को चुनाव प्रतीक घोषित करने की देर है।'

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