योगी सरकार के इशारे पर एसडीएम देवरिया ने बीआरडी महाविद्यालय की जमीन को फर्जी बता किया निरस्त
बीआरडी स्नातकोत्तर कृषि महाविद्यालय की जमीन साजिशन आवास योजना को दिए जाने पर छात्रों ने किया प्रदर्शन तो योगी पुलिस ने किया लाठीचार्ज, जवाबी कार्रवाई में छात्रों ने भी फेंके पत्थर, लगाया लंबा जाम, यातायात हुआ बाधित...
देवरिया से अरविंद गिरि की रिपोर्ट
जनज्वार। पूर्वांचल की पहचान के बतौर ख्यात देवरिया के बाबा राघव दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय का अस्तित्व को शासन—प्रशासन की मिलीभगत से पूरी तरह मटियामेट कर देने का षड्यंत्र साकार होता दिख रहा है। यह भी अब महाविद्यालय को उजाड़कर वहां आवास बनाए जाएंगे। हालांकि बीआरडी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के नाम दर्ज 11.258 हेक्टेयर भूमि को निरस्त किए जाने का मामला मीडिया में आने के बाद अब और ज्यादा जरूर तूल पकड़ने लगा है।
बीआरडी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बचाने की मांग को लेकर कॉलेज के छात्र-छात्राएं लंबे समय से आंदोलित रहे हैं। वो अपनी हर वो कोशिश कर रहे थे जिससे कि जिला प्रशासन कॉलेज की जमीन की बंदरबांट न हो सके, मगर लगता है उनका यह प्रयास असफल हो गया, नहीं तो ऐसा न होता कि 29 नवंबर को आंदोलनरत छात्रों पर योगी की पुलिस सत्ता के इशारे पर लाठीचार्ज करती।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के गृह क्षेत्र में पड़ने वाले देवरिया जनपद के बाबा राघव दास कृषि महाविद्यालय की भूमि निरस्त होने से छात्र लंबे समय से आक्रोशित हो सड़क पर प्रदर्शन कर रहे थे, जिन पर पुलिस बल द्वारा लाठीचार्ज किया गया।
गौरतलब है कि बाबा राघव दास ने दान में मिली जमीन पर आजादी के तुरंत बाद 1954 में तत्कालीन कलक्टर आर.बी.शुक्ल की मदद से इस जमीन को एग्रीकल्चर डिग्री कॉलेज के नाम से दर्ज कराया था। एग्रीकल्चर डिग्री कालेज के नाम दर्ज देवरिया खास के नगर बाहर 27 गाटा में 11.258 हेक्टेयर भूमि 1954 में दर्ज की गई थी, जिसे एसडीएम सदर रामकेश यादव ने फर्जी करार देते हुए निरस्त कर दिया है। इसी के बाद इस मामले ने और तूल पकड़ा है।
योगी सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से महाविद्यालय की जमीन निरस्त किए जाने से प्राचार्य की तरफ से कृषि विषयों की मान्यता खतरे में पड़ने की आशंका जाहिर की गई है जिसके बाद छात्र आक्रोशित हो गए। जिला प्रशासन के रवैये से नाराज सैकड़ों छात्र सड़क पर उतर आए। उन्होंने कॉलेज गेट व उसके बाद पुरवा चौराहे पर गोरखपुर-देवरिया रोड पर लगभग दो घंटे जाम कर प्रदर्शन किया।
छात्रों के इस धरना—प्रदर्शन से पांच किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिसके बाद पुलिस व पीएसी ने जाम हटाने के लिए छात्रों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसमें छात्रों के साथ-साथ कई राहगीर भी चोटिल हो गए। इस दौरान कुछ छात्रों ने पथराव भी किया। काफी मशक्कत के बाद जाम खत्म हुआ।
गौरतलब है कि कृषि संकाय की मान्यता खतरे में पड़ने की आशंका को लेकर छात्र 29 नवंबर को लामबंद हो गए। छात्रसंघ अध्यक्ष जयसिंह यादव, महामंत्री रविशंकर नाथ त्रिपाठी, उपाध्यक्ष श्रवण गुप्ता व छात्रनेता अश्वनी राय की अगुवाई में सैकड़ों छात्र सुबह करीब 11 बजे कालेज के सामने पहुंचे और गोरखपुर-देवरिया रोड जाम कर दिया।
छात्रों ने जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। करीब आधा घंटे तक प्रदर्शन किया। इसके बाद छात्रों का हुजूम पुरवा चौराहे पर पहुंचा और सड़क जाम कर दी। दोनों तरफ भारी जाम लग गया। वाहनों की लंबी कतारों के कारण आवागमन ठप हो गया।
छात्रों के प्रदर्शन से जाम लगने की जानकारी होने पर एडीएम प्रशासन राकेश कुमार पटेल, एसडीएम सदर रामकेश यादव, एएसडीएम डॉ. संजीव कुमार यादव, सीओ वरुण मिश्र पुलिस फोर्स के साथ धरनास्थल पर पहुंचे और छात्रनेताओं से जाम हटाने को कहा। करीब आधा घंटे तक छात्रों से बातचीत की मगर वे भूमि को महाविद्यालय के नाम वापस करने की मांग करते रहे।
बात अपने पक्ष में न होते देख एडीएम के निर्देश पर पुलिस ने बल प्रयोग शुरू कर दिया। छात्रों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा या। इसके चलते सड़क पर अफरा-तफरी मच गई। पुलिस की लाठी से बचने के लिए आम लोग भी भागने लगे। कई लोग अपनी मोटरसाइकिल छोड़कर भाग गए, बाद में माहौल शांत होने के बाद वहां से मोटरसाइकिलें हटाई गईं।
वहीं प्रशासन ने छात्रसंघ अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारियों को मौके पर रोक लिया और जिलाधिकारी अमित किशोर से वार्ता के लिए बुलाया। इस संबंध में एडीएम प्रशासन ने बताया कि जाम खत्म करने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। डीएम से वार्ता के लिए छात्रनेताओं के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया है।
छात्रसंघ पदाधिकारियों के साथ सड़क जाम कर रहे छात्र मरीजों को लेकर आने वाली एंबुलेंस के लिए रास्ता छोड़ रहे थे, मगर अन्य गाडियों को पुरवा चौराहे पर रोक दिया। इसके बाद सड़क जाम के कारण वाहनों का आवागमन ठप हो गया। इस दौरान करीब आधा दर्जन एंबुलेंस भी जाम में फंस गई। एंबुलेंस में गंभीर मरीजों को देवरिया से गोरखपुर ले जाया जा रहा था, जिसके बाद छात्रों ने उन्हें रास्ता दिया और पुलिस ने वाहनों को किनारे कराकर उन्हें जाने दिया।
कालेज की भूमि निरस्त होने की खबर को पहली बार समाचार पत्रों में 29 नवंबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। खबर प्रकाशित होने के बाद न सिर्फ प्रशासन के माथे पर बल पड़ गया, बल्कि कॉलेज के छात्र भी आक्रोशित हो गए और सड़क पर उतर आए। बाद में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद छात्र माने व जाम समाप्त किया।
छात्रनेताओं पर लाठीचार्ज की निन्दा करते हुए विभिन्न संगठनों ने सरकार और कृषि मंत्री पर जिलाधिकारी के माध्यम से जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। किसान नेता शिवाजी राय कहते हैं, मोदी ने कृषकों की जमीन को ही गुजरात मे नैनो की फैक्ट्री लगाने के औने पौने दाम में दिया था और योगी आदित्यनाथ ने गन्ना शोध संस्थान की जमीन एम्स बनाने के लिए दे दी है।
आंदोलित छात्र
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश सचिव संजय दीप कुशवाहा कहते हैं, बीआरडी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर विश्वविद्यालय से भी पहले का बना हुआ है। इस कृषि कालेज की जमीन को जिला प्रशासन द्वारा जालसाजी से खारिज किया गया, जिसके विरोध में एफआईआर दर्ज कर जमीन कालेज को वापस दिलाने की पहलकदमी लिए जाने की जरूरत है।
शिक्षक नेता चतुरानन ओझा कहते हैं, प्रदेश और देश में शिक्षा को चौपट कर कृषि और किसान की जमीन षड्यंत्रपूर्वक हड़प कालेज बंद कराने पर यहां के विधायक, सांसद और सरकार तुली हुई है। पूर्वांचल स्वराज के नेता जनार्दन शाही के मुताबिक कलक्टर से लेकर सरकार तक कमीशन का खेल धड़ल्ले से चल रहा है, जिसमें गरीब मिटाओ गरीबी हटाओ की पद्धति पर देश—प्रदेश चल रहा है।
प्रधानसंघ अध्यक्ष ब्रजेंद्र मणि त्रिपाठी के मुताबिक, सरकार और जिला प्रशासन कृषि कालेज की जमीन को लेकर वहां प्रधानमंत्री आवास बनाने जा रही है, जिससे कॉलेज बन्द हो जायेगा और जनप्रतिनिधियों को फ्लैट आवंटित हो जाएंगे। इसीलिए छात्रों के भविष्य और पढ़ाई को ताक पर रख इतना बड़ा कुचक्र रचा गया है, जिसके विरुद्ध व्यापक आन्दोलन होगा।