आर्थिक सर्वेक्षण में हुआ खुलासा 2020 में भी देश में बनी रहेगी आर्थिक तंगी
बात अगर 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण की जाए तो उसमें भी जीडीपी ग्रोथ रेट सात फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया था। लेकिन पांच फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट के साथ जीडीपी ग्रोथ पिछले 11 सालों का सबसे निचला स्तर पर रही थी...
जनज्वार। मोदी सरकार ने शुक्रवार को 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश कर दिया है। पिछले साल के हिसाब और अनुमान के साथ सरकार आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए संभवानाएं तलाशती नजर आ रही है। सर्वे में फिस्कल ईयर 2021 के लिए 6 से 6.5 फीसदी के बीच जीडीपी ग्रोथ रहने का अनुमान जताया गया है। वहीं, फिस्कल ईयर 2020 में जीडीपी ग्रोथ के पांच फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया है।
बात अगर 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण की जाए तो उसमें भी जीडीपी ग्रोथ रेट सात फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया था। लेकिन पांच फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट के साथ जीडीपी ग्रोथ पिछले 11 सालों का सबसे निचला स्तर पर रही थी। आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्तीय मोर्चे पर अगले साल भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
वहीं नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ को 7.5 फीसदी पर रखा गया था। जो अपने 42 सालों के सबसे निचले स्तर पर थी। नॉमिनल जीडीपी गुड्स और सर्विसेज के मौजूदा मार्केट प्राइस पर जीडीपी का आकलन करता है। जीडीपी सभी गुड्स और सर्विसेज का कुल मॉनेटरी वैल्यू होता है।
क्या खास बात रही सर्वे की?
आर्थिक सर्वे की मुख्य बातों की बात की जाए तो इसमें इंडस्ट्रियल ग्रोथ में बढ़त रहने का अनुमान जताया गया है। साथ ही सर्वे में फिस्कल ईयर 2021 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6 से 6.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया है। साथ ही सर्वे में कहा गया है कि जीएसटी कलेक्शन में उछाल होने पर ही केंद्र और राज्य सरकार के रेवेन्यू के लिए अहम हो सकता है। सर्वे में 2025 तक मेक इन इंडिया के तहत 4 करोड़ नौकरी बढ़ने का दावा किया गया है।
साथ ही US और ईरान तनाव के कारण रुपए में कमी आ सकती है। हांलाकि सर्वे में मौजूदा ग्लोबल माहौल को भारत के पक्ष में रहने के लिए बताया गया है। लेकिन ग्लोबल ट्रेड में चल रही चिंताओं के चलते भारत के निर्यात में असर पड़ने की संभावना जताई हुई है। अनुमान है कि खाड़ी देशों से तनाव के चलते क्रूड की कीमतों पर असर पड़ेगा
आर्थिक सर्वेक्षण के निर्माता और सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यमका मानना है कि इकोनॉमिक स्लो डाउन हो चुका है और अब यहां से हमें ग्रोथ देखने को मिलेगी। इकोनॉमी में अब तेजी का दौर आएगा। आर्थिक सर्वे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने पर फोकस किया गया है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णामुर्ति सुब्रमणियन ने सर्वे में थालिनॉमिक्स का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि देश के 28 राज्यों में लोगों के थाली खरीदने को लेकर जांच हुए जिसमें पाया गया कि शाकाहारी थाली 2015-16 के मुकाबले सस्ती हुई है। आम लोगों से जोड़ने के लिए सर्वे में थालीनॉमिक्स की बात की गई है। हालांकि 2019 में थाली के दाम में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी आर्थिक सर्वे में सुधार के साफ संकेत दिए है। उनका कहना है कि सरकार को एक्सपोर्ट बढ़ाने जैसे उपाय करने के लिए अभी वित्तीय घाटे में थोड़ा समझौता करना पड़े तो करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि स्लो डाउन अब खत्म हो चुका है। अब अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होगा। ग्रोथ के लिए वित्तीय घाटे की चिंता छोड़नी होगी। निर्यात को बढ़ाने जैसे उपाय काफी कारगर होंगे।
अपने अभिभाषण में क्या बोले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद?
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज बजट सत्र के पहले दिन संसद में नागरिकता संशोधन कानून का जिक्र करते हुए कहा कि विरोध के नाम पर हिंसा देश को कमजोर करती है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया है। राष्ट्रपति के इतना कहते ही संसद पूरी तरह से तालियों से गूज उठा। वहीं कुछ ही देर में विपक्ष की तरफ से हंगामा कर दिया गया। इस दौरान कुछ देर के लिए राष्ट्रपति के अभिभाषण में रुकावट भी पैदा हुई।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख समुदाय के लोग जो पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते है। वे भारत आ सकते है। उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है। बापू के इस विचार का सर्मथन करते हुए। समय समय पर अनेक राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने भी इसे आगे बढ़ाया। हमारे राष्ट्र निर्माताओं की उस इच्छा का सम्मान करना हमारा दायित्व है।
मुझे प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए विश्व समुदाय से इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की मांग करुगा।
रामनाथ कोविंद ने कहा, सरकार यह स्पष्ट करती है कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं। किसी भी पंथ का व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को पूरा करके, भारत का नागरिक बन सकता है। शरणार्थियों को नागरिकता देने से किसी क्षेत्र और विशेषकर नॉर्थ ईस्ट पर कोई सांस्कृतिक प्रभाव न पड़े, इसके लिए भी सरकार ने कई प्रावधान किए हैं।