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आंदोलन

जांच में हुआ खुलासा, जदयू नेता और पंचायत मुखिया ने रची थी आरटीआई कार्यकर्ता और साथी की हत्या की साजिश

Prema Negi
7 July 2018 5:29 PM IST
जांच में हुआ खुलासा, जदयू नेता और पंचायत मुखिया ने रची थी आरटीआई कार्यकर्ता और साथी की हत्या की साजिश
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जदयू नेता सुरेश महतो ने हत्या करते हुए कहा था, 'साले को मार दो गोली, बहुत बड़ा कागज़ी आदमी है, जिन्दा रहने पर हमलोगों को नहीं जीने देगा चैन से, गोलियों से भूनने के बाद भी मन नहीं भरा तो बुरी तरह कुचल दिया था पत्थरों से...

जनज्वार, पटना। बिहार में पिछले दिनों एक के बाद एक दो आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। पहली घटना में जमुई जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सिकंदरा प्रखंड के बिछवे पंचायत में एक आरटीआई कार्यकर्ता वाल्मिकी यादव एवं उनके सहयोगी धर्मेन्द्र यादव की हत्या कर दी गयी तो दूसरी घटना को 18 जून 2018 को पूर्वी चंपारण जिले में अंजाम दिया गया। यहां आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह की हत्या कर दी गयी थी।

दोनों मामलों की जांच के लिए NCPRI और NAPM द्वारा फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया गया। 4 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम 4 जुलाई को बिछवे पंचायत, जमुई गयी। टीम में आशीष रंजन, उज्ज्वल कुमार, ग़ालिब कलीम, अशोक और अनीश कुमार शामिल थे। टीम ने हत्या से जुड़े सभी पहलुओं की गहनता से जाँच के लिए गाँव के लोगों से बातचीत की। दोनों मृतकों के परिजनों और सिकंदरा थाना जाकर थानेदार से बातचीत की और फोन से जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से भी बात की गई।

आरटीआई एक्टिविस्ट वाल्मिकी यादव और साथी की हत्या

एफआईआर में दर्ज बयानों के मुताबिक 1 जुलाई की शाम बिछवे गाँव के नजदीक वाल्मिकी यादव एवं धर्मेन्द्र यादव की हत्या कर दी गयी। इस बाबत जमुई के सिकंदरा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है, जिसकी संख्या 152/18 तारीख 01.07.2018 है। एफआईआर वाल्मीकि यादव के चाचा सरयुग यादव द्वारा पुलिस को दिए गये बयान पर आधारित है।

इसके मुताबिक वाल्मीकि यादव 1 जुलाई की शाम 6 बजे जब सिकंदरा बाज़ार से मोटर साइकिल से घर वापस लौट रहे थे। गाँव के नजदीक विनोद महतो के घर से करीब 100 गज उतर सड़क पर पहले से घात लगाये हमलावरों ने उनकी मोटर साइकिल को रोका। इसके बाद बिछवे पंचायत के मुखिया कृष्णदेव रविदास ने लोहे की रॉड से वाल्मीकि यादव के कनपट्टी पर हत्या की नियत से वार किया। इससे गाड़ी चला रहे वाल्मिकी यादव एवं उनके साथ बैठे धर्मेन्द्र यादव असंतुलित होकर मोटर साइकिल सहित जमीन पर गिर गए तो उन्हें पिस्तौल से भून दिया गया जिससे उनकी मौत हो गई।

बिहार में सरेआम आरटीआई कार्यकर्ता और उसके साथी की हत्या, संदिग्ध हत्यारों में जदयू नेता

एफआईआर के मुताबिक जदयू नेता सुरेश महतो भी हमलावरों की टोली में शमिल थे। उन्होंने कहा, 'साले को गोली मारो दो, बहुत बड़ा कागज़ी आदमी है, जिन्दा रहने पर हमलोगों को चैन से जीने नही देगा।' विनोद महतो ने वाल्मिकी यादव पर गोली चलायी, जबकि अवधेश यादव ने धर्मेन्द्र यादव की हत्या को अंजाम दिया। मौके पर दोनों की मौत हो गयी, इसके बावजूद उनके शरीर को पत्थर से मार-मार कर कुचला गया। दोनों के दम तोड़ देने के बाद सभी आरोपी गाली-गलौज और धमकी देते हुए गाँव की तरफ भागे।

एफआईआर में विनोद महतो पिता नंदकिशोर महतो,अवधेश यादव, कृष्णदेव रविदास, पंकज रविदास, नीरज रविदास, नरेश यादव, श्री यादव, सुरेश महतो और श्रवन महतो को आरोपी बनाया गया है। बिछवे पंचायत में विभिन्न योजनाओं में भारी गड़बड़ी एवं अनियमितता बरती जा रही थी और आंगनबाड़ी सेविका की बहाली भी अवैध तरीके से की गयी थी, वाल्मीकि यादव इन गड़बड़ियों पर सवाल उठा कर गड़बड़ी करने में व्यवधान पैदा कर रहे थे, इसलिए उनको मार दिया गया।

वाल्मिकी यादव द्वारा दायर किये गए शिकायत पत्र एवं आरटीआई के अवलोकन और दोनों मृतकों के परिवार और गाँव वालों से बातचीत के आधार पर कई चौंकाने वाले तथ्य उभरकर सामने आते हैं।

जांच दल

मृतक वाल्मिकी यादव और धर्मेन्द्र यादव एक ही गाँव बिछवे के निवासी थे। हत्या के दिन ये दोनों धान का बिचड़ा लाने सिकंदरा गये थे। बोरी लेकर लौटते वक़्त गाँव के नजदीक हमलावरों ने उनके मोटर साइकिल को रोका और लोहे की रॉड से वाल्मिकी यादव के सर पर हमला किया गया। दोनों को घसीटकर गाड़ी से नीचे उतार अलग-अलग पिस्तौल से गोली मार हत्या कर दी गयी। मृतकों के परिजनों की मानें तो हत्या की घटना पूर्व नियोजित थी। उनकी मोटर साइकिल को रोकने के लिए सड़क पर दो अस्थायी रोड ब्रेकर बनाये गये थे। हत्या के बाद ब्रेकर हटा दिया गया।

गौरतलब है कि आरटीआई कार्यकर्ता वाल्मिकी यादव पिछले कुछ महीनों से स्थानीय योजनाओं में चल रहे भ्रष्टाचार को आरटीआई के जरिये उजागर कर रहे थे। इनकी सक्रिय पहल से गबन, अवैध निकासी, सरकारी कामों में अनियमितता, पंचायती राज के प्रतिनिधियों द्वारा भ्रष्टाचार समेत कई मामले प्रकाश में आया और कुछ में कार्यवाई भी हुई। वे पंचायत में हो रही गड़बड़ी की जाँच के लिए सम्बंधित विभाग को पत्र लिखा करते थे।

एक मामले में उन्होंने प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र लिखकर बिछवे पंचायत में पंचम वित्त योजना के अंतर्गत किये गये कार्यों की जाँच की मांग की। जांच नही होने पर उन्होंने आरटीआई के जरिए अपनी शिकायत पर क्या कार्यवाई की गयी, इस जानकारी की मांग की। फिर भी जानकारी नही दी गयी तब उन्होंने अनुमंडल पदाधिकारी के पास प्रथम अपील की। उसके बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा प्रभारी कृषि पदाधिकारी से जांच करायी गयी, जांच में यह यह बात आई की स्थानीय मुखिया और पंचायत सचिव द्वारा भ्रष्टाचार (सरकारी पैसे का दुरुपयोग) किया गया|

एक अन्य मामले में उन्होंने सुरेश महतो जो जद (यू) प्रखंड अध्यक्ष हैं, के खिलाफ पंचायत भवन के अतिक्रमण की शिकायत की थी। वे कई मामलों में पंचायत की तमाम योजनों की करीब से निगरानी कर रहे थे और गड़बड़ी की आशंका पर अधिकारियों को लगातार पत्र लिख रहे थे, सूचना का अधिकार कानून का इस्तमाल कर जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे थे।

हाल में उन्होंने वर्तमान मुखिया कृष्णदेव रविदास द्वारा आम गैरमजरुआ जमीन के अतिक्रमण को लेकर भी प्रखंड विकास पदाधिकारी से शिकायत की और शौचालय एवं मनारेगा योजना में हो रही धांधली के बारे में भी आरटीआई एवं शिकायत की थी। वाल्मीकि यादव ने प्रखंड स्तर के अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखा हुआ था। यह सब करते हुए उनको स्थानीय जनप्रतिनिधियों और बिचौलियों द्वारा मारने की धमकी भी मिली, जिसकी शिकायत 24 मार्च 2018 को जमुई के आरक्षी अधीक्षक और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर की गई थी। इस पत्र में उन्होंने मुखिया कृष्णदेव दास और पंचायत सचिव के खिलाफ आरोप लगाया है कि वह उन्हें मारने की धमकी दे रहे हैं।

हत्या का तात्कालिक कारण

लोगों के अनुसार हत्या का तात्कालिक कारण वाल्मिकी यादव द्वारा आंगनबाड़ी सेविका रजनी कुमारी की अवैध नियुक्ति के मामले को उजागर करना था। लोगों ने बताया कि रजनी कुमारी के पति अवधेश यादव हैं, जो बिचौलिया का काम करते हैं। अवधेश यादव का मुखिया कृष्णदेव रविदास से दोस्ताना सम्बन्ध है।

अवधेश यादव ने फर्जी प्रमाण पत्र दिखाकर अपनी पत्नी रजनी कुमारी को आंगनबाड़ी सेविका पर नियुक्त कराया था। स्थायीन लोगों ने यह भी बताया कि अवधेश यादव ने 1.5 लाख रुपये घूस देकर अपनी पत्नी रजनी कुमारी की नियुक्ति आगनबाडी सेविका के रूप में कराया था और इस बात से बहुत नाराज था कि वाल्मिकी यादव द्वारा नियुक्ति पर सवाल उठाया जा रहा है। इस पद के लिए मृतक धर्मेन्द्र यादव की पत्नी रेनू कुमारी ने भी आवेदन दिया था। धर्मेन्द्र यादव के पिता सुरेश यादव से पता चला कि हत्या से करीब महीने भर पहले वाल्मिकी यादव के पिता साधू यादव को श्री यादव ने चेतावनी देते हुए कहा की अपने बेटे की खैर चाहते हो तो उसे ये सब काम बंद करने के लिए कहो। बाद में इसकी पुष्टि साधु यादव ने भी की।

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने सिकंदरा थाना पहुंचकर पुलिस द्वारा इस मामले में अब तक हुई कार्यवाई की जानकारी ली और जमुई जिलाधिकारी धर्मेन्द्र कुमार से फ़ोन पर बातचीत की। जिलाधिकारी को पंचायत का विशेष सामाजिक अंकेक्षण कराने और भ्रष्टाचारियों को सजा देने समेत मृतकों के परिवार को दस लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की मांग भी की।

मारे गए धर्मेंद्र यादव की पत्नी रेनू देवी

उल्लेखनीय है कि वाल्मिकी यादव द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ किये जा रहे कार्यों को गाँव की आम जनता का समर्थन प्राप्त था। लोक शिकायत के आवेदनों में दर्जनों हस्ताक्षर से भी यह बात प्रमाणित होता है। ग्रामीणों ने बताया कि वाल्मीकि यादव न केवल भ्रष्टाचार की शिकायत करते थे और सूचना के अधिकार से उन्हें प्रकाश में लाते थे, बल्कि अपने पंचायत के लिए सड़क, पानी, और विकास के कार्यों को लेकर प्रयास किया करते थे। सांसदों-विधायकों को भी समय-समय पत्र लिखकर उन्होंने पंचायत की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया।

पिछले तीन महीने में तीन आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या से पता चलता है कि भ्रष्टाचार किस हद तक बढ़ गया है और इसके खिलाफ लड़ने वाले किस प्रकार का जोखिम झेल रहे हैं। वाल्मिकी यादव की हत्या का कारण पंचायत में हो रही भ्रष्टाचार और अनियमितता को उजागर करना और उन पर बराबर निगरानी रखना है।

धर्मेन्द्र यादव की हत्या आगनबाड़ी सेविका की बहाली के प्रकरण और वाल्मिकी यादव का साथ देने की वजह से हुई। हत्यारे पंचायत के ही लोग हैं, जो वाल्मीकि यादव के काम से नाराज थे। मुखिया, पंचायत सचिव और बिचौलियों द्वारा सरकारी योजनाओं में लूट की जा रही थी।

चूँकि सत्ताधारी दल जद(यू) के प्रखंड अध्यक्ष का नाम भी स्पष्ट रूप से आ रहा है, शंका है कि स्थानीय पुलिस कहीं दवाब में न आ जाए। वाल्मिकी यादव जैसे सजग और कर्मठ आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या यह बताती है कि एक आम नागरिक के पत्र और शिकायत पर यह पूरी व्यवस्था संवेदनहीन है। आरटीआई में इन्हें बिना अपील किये सूचना नहीं दी जा रही थी। अधिकारी आरटीआई कानून का पालन नहीं कर रहे हैं।

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