दो दिवसीय भारत दौरे से क्या हासिल करना चाहते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ?
व्यापार समझौते की सफलता को ट्रंप अपनी उपलब्धि के रुप मे अपने राष्ट्रपति चुनाव मे दिखाना चाहते हैं कि किस प्रकार अमेरीकी उत्पादों और अर्थव्यवस्था को उनकी नीतियों से अपेक्षित लाभ हुआ है...
भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर जगदीप सिंह सिंधु की टिप्पणी
व्यापार व प्रगति की पृष्ठभूमि मानव समाज के उत्थान के समय से ही महत्वपूर्ण सभी देशों के लिए रही है और व्यापर सम्बंध व समझौते भी। आधुनिक प्रगातिशील तकनीकी विकास के दौर में आत्मनिर्भरता व प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए महत्वपूर्ण है जो किसी भी देश की प्राथमिकताओं मे होती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24, 25 फरवरी 2020 को भारत की अधिकारिक व्यापरिक यात्रा पर रहेंगे। भारत की अपनी यात्रा के उदेश्य को परिभाषित करते हुये अमेरिकी राष्ट्रपति ने विश्व के दो बड़े लोकतंत्र के बीच बेहतर दोस्ताना संबंधों को आधार बनाया है।
विश्व मे किसी भी पूंजीवादी व्यवस्था के लिए भारत एक वृहद उपलब्ध बाजार है जिसको पूंजीवादी अपने मुनाफे के लिए जितना संभव हो उपयोग करने को तत्पर रहेगा। भारत स्वयं गुणवत्ता उत्पादन की श्रेणी में संसाधनों व तकनीकी कुशलता की कमी के कारण प्रतिस्पर्धा मे पिछड़ता रहा है। विभिन्न उत्पादों व खपत के लिए भारत एक तैयार बाजार है। इसका प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी विदेश व्यापार नीतियों में बड़े जोर-शोर से प्रचारित किया था।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमत्रंण पर ही अपने की बेहतरी के लिए अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंम्प 24-25 फरवरी को भारत की भारत की यात्रा पर आ रहे हैं।
व्हाइट हाऊस की प्रेस सचिव स्टेफेनी ग्रीश्म ने अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा की घोषणा करते हुए बताया कि विगत सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के में टेलीफोन पर हुई बात में ये सहमति जतायी गयी कि यह यात्रा अमेरिका और भारत के बीच सामरिक भागीदारी को मजबूत करेगी तथा अमेरिका व भारत के नागरिकों के संबंधों को सशक्त व प्रगाढ़ करेगी।
यात्रा की घोषणा होने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने भी कहा है 'हम कुछ करना चाहते हैं, हम देखेंगे यदि हम सही सौदा कर सकें, हम करेंगे।' व्यापार समझौता राष्ट्रपति ट्रंम्प के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी वर्ष फिर से अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव होने जा रहे हैं।
व्यापार समझौते किन-किन क्षेत्रों में होंगे ये अभी तक पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है क्योंकि अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि रॉबट लिथिजर ने अपना भारत दौरा सौदेबाजी की लम्बी प्रक्रिया के बाद भी बिना नतीजा रहने के कारण रदद कर दिया था।
अमेरिका कई अन्य वस्तुओं को भी इस समझौते में शामिल करना चाहता है जिनपर अभीतक कोई स्पष्ट सहमति दोनों पक्षों में नहीं बन पायी है लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप के अर्थिक सलाहकार लैरी कुंडलोव ने कहा है कि व्यापार समझौते को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में रक्षा उपक्रण एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसमें भारतीय वायु सेना के लिए 114 लडाकू विमान F-15 Ex Eagel और नौसेना के लिए 24 Multi Role-MH-60R सीहाक मेरीटाइम हेलीकाप्टर शामिल है। ये सौदा करीब 2.6 मिलियन का हो सकता है।
लेकिन कुछ क्षेत्रों मे अमेरिका के निहित स्वार्थ केन्द्रित हैं तेल व प्राकृतिक गैस, रक्षा उपकरण व आधुनिक हथियार, ऊर्जा उपयोग, कृषि उत्पाद व यंत्र, पशुपालन उत्पाद, आयात शुल्क दरें, 5जी मोबाइल तकनीक आदि।
अमेरिका चाहता है कि अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल सेवाओं जैसे क्रेडिट कार्ड आदि के लिए भारत प्रतिस्पर्धी समतल मैदान उपलब्ध कराये जबकि भारत ने इस बिन्दु पर टालमटोल रैवया अपना रखा है क्योंकि भारत अमेरिका द्वारा उपलब्ध करवाये जाने वाले पोल्ट्री उत्पादों में अनुवांशिक तत्व की संजीवता पर परीक्षण करने की अपनी आजादी चाहता है जिस पर अमेरिका सहमत नहीं है।
ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका अब और अधिक व्यापार भारत के साथ बढ़ाना चाहता है। कुछ वर्ष पहले तक ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका से भारत को निर्यात लगभग शून्य था, जो वर्तमान में करीब 8 बिलियन पहुंच चुका है जिसे अमेरिका अब 10 बिलियन तक ले जाना चाहता है।
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अमेरिका के चीन से बिगड़े व्यापार संबंधों के चलते ट्रंम्प के लिए भारत से व्यापारिक समझौता करना अपने आर्थिक हितों की रक्षा व वृद्धि के लिये आवश्यक हो जाता है तथा चीन की कंपनियों के साथ भारत के संबंधों पर रोक लगाने के लिये दबाव बनाना भी उद्देश्य है। ये व्यापार समझौता भारत के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस हद तक अपनी दोस्ती ट्रंप से निभायेंगे ये आने वाला वक्त ही बताएगा।