भाई ने बहन को इसलिए काट डाला कि एक गाने में कर रही थी एक्टिंग
बुद्धिजीवी चुप हैं, अखबार ने एक दिन हादसा चिन्हित किया उसके बाद वह भी चुप है, पुलिस भी चुप है, समाज भी चुप है! चुप्पियों के दौर में लड़की कैसे बोल लेगी, असल सवाल यही है...
वीरेंदर भाटिया की रिपोर्ट
हरियाणा के सिरसा जिला के गाँव फग्गू में एक नाबालिग भाई खुशदीप ने अपनी बड़ी बहन कमलदीप कौर उर्फ गुरदीप कौर को धारदार हथियार से काट डाला! लड़की बुरी तरह जख्मी है और अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में उपचाराधीन है! हमला इतना घातक था की लड़की की बाजू लटक गयी, ऊँगली कट गयी और कान नाक चेहरे और टांग पर गहरे जख्म हैं!
गाँव चुप्प है, लड़की सहमी हुई है! अग्नि परीक्षाओं का काल गया नहीं है और उदारीकरण की २१वीं सदी में भी हम अनुदार इतने हैं की लामबंद हो लड़के को बचाने के तमाम उचित-अनुचित तरीके अपनाते हुए लड़की के विरोध में आ कर खड़े हो गए हैं! पुरुष सत्ता का खौफ इतना गहरा है कि कुछ मौजिज लोगों ने लड़के के कृत्य को सही ठहराते हुए लड़की पर तमाम आरोप रोपित कर दिए और लड़के को बचाने की एक तरफ़ा घोषणा कर दी है!
पुलिस की डायरी में अभी यह केस पक्का नहीं हुआ है, घटना 24 सितम्बर की है, पुलिस को कारवाही ना करने के संकेत जारी किये गए हैं! लड़की से बयान दिलवाया जा रहा है कि उसका हाथ चारा काटने वाली मशीन में आ गया था जिसकी वजह से दुर्घटना हुई!
जिला के हम तमाम बुद्धिजीवी चुप हैं, अखबार ने एक दिन हादसा चिन्हित किया उसके बाद वह भी चुप है, पुलिस भी चुप है, समाज भी चुप है! चुप्पियों के दौर में लड़की कैसे बोल लेगी, महत्ती सवाल सिर्फ एक है! पूरे गाँव की लड़कियों, महिलाओ को इस घटना के बाद कड़ा सांकेतिक सदेश दे दिया गया है कि उदारीकरण अर्थशास्त्र का ही विषय है, विचारो के संदर्भ में इससे दूर रहें , हम गाँव हैं, बंद ही रहेंगे हर परिवर्तन से!
मामला यह है कि लड़की के पिता नहीं हैं। लड़की अपने करियर को लेकर संजीदा है और नर्सिंग के कोर्स के साथ-साथ पार्ट टाइम रोजगार भी कर रही है। किसी पंजाबी गाने में उसे एक्टिंग का मौका मिला और उसने उस गाने में मुख्य किरदार निभाया, भाई को यह गंवारा नहीं हुआ और भाई ने बर्बरता पूर्वक हमला कर डाला!
एक लड़का जो अभी बालिग़ हुआ नहीं है, बालिग़ होने की कगार पर है, उसे आखिर किसने बताया कि लड़की का गाने में एक्टिंग करना चरित्रहीनता का मामला है! गाँव अगर इस गाने को केंद्र वजह मानकर यह घोषणा कर रहा है कि लड़की ठीक नहीं थी तो यह अधिकार गाँव के पास कहाँ से आ जाता है! समाज को भी यह अधिकार किसने दिए कि वह किसी को चरित्र का प्रमाण पत्र दे!
कमलदीप कौर सिरसा के सीडीएलयू में लाइब्रेरी एटेंडेंट हैं। एटेंडेंट क करते हुए कमलदीप ने सरदूलगढ़ के एक युवक के साथ एलबम में काम किया था। एलबम की शुटिंग सिरसा ओएचएम सिनेमा में की गई थी। एलबम यूट्यूब पर अपलोड होने के बाद समाज में तरह—तरह की चर्चाएं हुईं, जिसके बाद कमलदीप कौर के छोटे भाई खुशदीप ने अपनी बहन पर आठ बार हमला किया और जान से मारने की कोशिश की।
पंचायती लोगों का जघन्यता के पक्ष में खड़ा हो जाना समाज की संवेदनहीनता का घिनौना सच है! हम ऐतिहासिक सत्य जानते हैं कि आप वही लोग हैं जो सीता माता के निष्काषन पर भी तर्क खोज लेते हैं! आप वही लोग हैं जिन्होंने हजारो सालो में कोई न कोई तर्क गढ़कर मार-मार डाली बेटियां, काट-काट डाली स्त्रियां!
आप कहिए कि उदारीकरण के बाद मुल्क उदार हुआ है, आप कहिये कि यह 21वी सदी का भारत है, आप कहिये कि आधुनिक हो रहा है हमारा मुल्क और हम भी आधुनिक हो रहे हैँ साथ ही साथ।
सरकार जब कहती है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, तब उदार होने, आधुनिक होने औऱ 21वीं सदी में आ पहुंचने के हमारे तमाम दावे खुद सरकारी स्तर पर ही संदिग्ध हो जाते हैं। और सोच के आधुनिक होंने के तमाम दावों के विपरीत जब हम सोच के 100 साल पीछे होने का नँगा सच नँगे रूप में सामने देखते हैं तो हमारे शब्द हमारे गले में ही घुट कर मर जाते हैं।
गाँव ठीक ठाक साक्षर है, आधे फन्नेखां लोग अलग—अलग नशा करते हैं, तमाम बच्चे पढ़ रहे हैं, बहुत सालों से वहां सरकारी स्कूल होने की वजह से अक्षर ज्ञान अधिकतर लोगो को है!
क्या अक्षर ज्ञान ही हमारे उन्नत होने का सूचकांक है? सोचिये तो जरा ! क्या नशा किसी तरह की चरित्रहीनता में नहीं आता? सोचिये तो जरा! क्या गाँव के तथाकथित पुरुष ठेकेदारों ने अपने अपने जीवन में चरित्र की शुचिता के तमाम नियम निभाए? क्या लड़की की जगह लड़के पर हमला हुआ होता तब भी गाँव हमलावर लड़के की एक तरफ़ा पैरवी करता? सोचिये तो जरा
लड़की कहती है मुझे रहना तो भाई के पास ही है, अपाहिज भी हो गयी हूँ, मैं कहाँ जा सकती हूँ अब !
लड़के के पक्ष मे खड़े समाज के ठेकेदारों, बताओ लड़की के लिए रास्ता क्या है?
जिस गाने में लड़की ने एक्टिंग की उसका लिंक :