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चुनावी पड़ताल 2019

झारखंड चुनाव 2019 : दूसरे चरण में रघुवर दास, सरयू राय समेत कई दिग्गजों का एक ही दिन 7 दिसंबर को होगा फैसला

Nirmal kant
4 Dec 2019 7:02 AM GMT
झारखंड चुनाव 2019 : दूसरे चरण में रघुवर दास, सरयू राय समेत कई दिग्गजों का एक ही दिन 7 दिसंबर को होगा फैसला
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झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान संपन्न, 7 दिसंबर को बीस विधानसभा सीटों पर होगा मतदान, दूसरे चरण में बैलेट बॉक्स में बंद होगी 260 उम्मीदवारों की किस्मत..

रांची से अनिमेश बागची की रिपोर्ट

सात दिसंबर को झारखंड में होने वाले दूसरे चरण के मतदान के लिए सत्ताधारी भाजपा के अलावा कांग्रेस और झामुमो नीत महागंठबंधन और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाले झारखंड विकास मोर्चा के अलावा आजसू पार्टी ने कमर कस ली है। दूसरे चरण में राज्य की बीस विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। इस दौरान विभिन्न दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के 260 उम्मीदवारों की किस्मत बैलेट बाॅक्स में बंद होगी।

ल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दूसरे चरण के हुए मतदान में 223 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इस चरण के मतदान को हाई प्रोफाइल भी माना जा रहा है। सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास के अलावा विधानसभा स्पीकर दिनेश उरांव और मंत्री नीलकंठ मुंडा के अलावा सरयू राय सरीखे दिग्गज उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लगी है। अतएव लोगों की उत्सुकता चरम पर है।

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दिग्गज भाजपा नेता रहे सरयू राय को इस बार भाजपा ने टिकट देने से इंकार कर दिया है। ऐसे में सरयू राय ने पार्टी से दूरी बना ली। झारखंड की राजनीति का अदना सा ज्ञान रखने वाले भी इस बात से परिचित होंगे कि सरयू राय की बीते पांच वर्षों में मुख्यमंत्री से यदा-कदा ही पटी है। कैबिनेट की कई अहम बैठकों में हिस्सा न लेकर और समय पर विधानसभा से लेकर सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री के कार्यकलापों और निर्णयों के प्रति अप्रसन्नता व्यक्त कर सरयू राय ने वैसे भी मुख्यमंत्री रघुवर दास से बैर मोल लेने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी थी। जमशेदपुर पश्चिमी क्षेत्र से विधायक रहे सरयू को लेकर चुनाव की घोषणा होने के समय से ही राजनीतिक गलियारों में कई तरह की बातें हो रही थीं।

से में जब भाजपा की चुनाव समिति ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, तो उनकी उम्मीदवारी को होल्ड पर रखा गया। जब उनके नाम को लेकर देरी हुई, तो सरयू राय ने माजरा समझते हुए सार्वजनिक तौर पर यह बयान दे दिया कि भाजपा अब उनकी उम्मीदवारी पर विचार न करे और वे अपने समर्थकों के साथ मिलकर अपने भावी कदम की घोषणा करेंगे। बाद में उन्होंने जमषेदपुर पश्चिमी सीट की बजाय मुख्यमंत्री के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ने की ऐलान कर दिया। इससे जहां विपक्ष की बांछे खिल गयीं, वहीं जमशेदपुर में भाजपा में दो फाड़ साफ तौर पर दिखायी पड़ रहा है। सरयू राय ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा है।

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रयू राय वर्षों से भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं में सुमार रहे हैं और अविभाजित बिहार से लेकर झारखंड में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की पोल खोलने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लालू प्रसाद और मधु कोड़ा के खिलाफ जांच होने और उनके जेल जाने में सरयू की भूमिका उल्लेखनीय रही है। इस बार वे मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ ताल ठोंककर खड़े हैं। इस सीट पर रिकाॅर्ड संख्या में कुल 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। इसमें कांग्रेस के चर्चित प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ के अलावा झाविमो के अभय सिंह भी शामिल हैं।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी ने इस बार भी एकला चलो की राह पकड़ी है। झामुमो और कांग्रेस से चुनाव पूर्व समझौते को लेकर उनकी बात परवान नहीं चढ़ पायी। इसके बाद मरांडी ने झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों से अपने पार्टी के चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ऐसे में इस चरण के मतदान में भी बीस में से कई सीटों में त्रिकोणीय, तो किसी में चतुष्कोणीय संघर्ष के आसार नजर आ रहे हैं। मरांडी की तरह ही आजसू ने भी भाजपा से अलग अपनी जुदा राहें पकड़ ली हैं। सरदार जनजाति बहुल चर्चित पोटका सीट पर आजसू ने इस बार कद्दावर महिला नेता और जिला परिषद सदस्य बुलुरानी सिंह को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। बुलुरानी के चुनाव पूर्व भाजपा से भी लड़ने की चर्चा जोर पकड़ रही थीं, लेकिन अंत में उनको टिकट ना देकर भाजपा ने विधायक मेनका सरदार पर ही भरोसा कायम रखा। इससे खफा बुलु ने आजसू का दामन पकड़ लिया।

दालत के द्वारा चुनाव के लिए अयोग्य ठहराये गये पूर्व मंत्री और लंबे समय तक भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में रहे चर्चित नेता एनोस एक्का ने कोलेबिरा सीट पर इस बार अपनी बेटी आइरिन एक्का को चुनाव में उतारा है। एनोस की तरह ही पूर्व मुख्यमंत्री रहे मधु कोड़ा को भी अदालत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा चुकी है। महागठबंधन ने मधु कोड़ा की परंरागत जगन्नाथपुर सीट पर इस बार कांग्रेस के सोनाराम सिंकू को उतारा है। उनका सीधा मुकाबला भाजपा के सुधीर कुमार सूंडी से है।

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क्रधरपुर सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ का मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुखराम उरांव से है। वहीं झारखंड विकास पार्टी के शशिभूषण समद भी रेस में बने हुए हैं। पार्टी बदलने में माहिर समझे जानेवाले बन्ना गुप्ता इस बार महागठबंधन के चेहरे के तौर पर जमशेदपुर पश्चिम से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनके मुकाबले में भाजपा के देवेंद्र नाथ सिंह हैं। कई अलग-अलग पार्टियों में रहे बन्ना गुप्ता रिकाॅर्ड छह बार पार्टी बदल चुके हैं और वर्तमान में कांग्रेस में हैं। चुनाव पूर्व इस बार उनके भाजपा में जाने की चर्चा भी जोर पकड़ रही थी, लेकिन आखिर में बात नहीं बन पायी और भाजपा ने देवेंद्र सिंह को टिकट देने की घोषणा कर दी। बहरागोरा सीट पर जहां झामुमो छोड़ भाजपा में आये कुणाल शाड़ंगी मजबूती से लड़ रहे हैं, वहीं भाजपा छोड़ झामुमो में आये समीर मोहंती को टिकट देकर झामुमो, भाजपा से अपना हिसाब बराबर करने को बेताब दिख रही है। ऐसे में इस सीट पर भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ गयी है।

कुख्यात नक्सली नेता कुंदन पाहन ने तमाड़ सीट पर लड़ने की घोषणा कर इस सीट पर रोमांच बढ़ाने का काम किया है। कुंदन पर विभिन्न थानों में सौ से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं और वे इस समय जेल में हैं। तमाड़ सीट का इतिहास उलटफेर वाला रहा है। इसी सीट पर मुख्यमंत्री रहते हुए साल 2008 में शिबू सोरेन की हार राजा पीटर के हाथों हुई थी। इस बार झामुमो से आजसू छोड़कर आये विकास मुंडा चुनावी रेस में हैं। दूसरी ओर भाजपा ने रीता देवी मुंडा और आजसू ने रामदुर्लभ मुंडा को मुकाबले में उतारा है।

भाजपा से अलग राह पकड़कर चुनाव में उतरने का निर्णय लेकर आजसू ने भी झाविमो की तरह राज्य की राजनीति में अपना अलग ठौर तलाशने की चेष्टा की है। ऐसे में दूसरे चरण में राज्य की कई महत्वपूर्ण सीटों पर होनेवाले चुनावी मुकाबले का नतीजा राज्य की राजनीति में किस कदर करवट बदलेगा, यह देखना वाकई दिलचस्प होगा।

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