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चुनावी पड़ताल 2019

झारखंड चुनाव 2019 : 6 हजार में 24 घंटे खटते हैं कोयला मजदूर, लेकिन चुनाव में नहीं कोई सवाल

Nirmal kant
30 Nov 2019 8:03 AM GMT
झारखंड चुनाव 2019 : 6 हजार में 24 घंटे खटते हैं कोयला मजदूर, लेकिन चुनाव में नहीं कोई सवाल
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file photo

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के लिए पहले चरण का मतदान जारी, झरिया विधानसभा के कोयला मजदूरों का नहीं कोई सवाल, मजदूरों को 24 घंटे की नौकरी में मिलती है केवल छह हजार सैलरी...

जनज्वार। दुनियाभर में झारखंड के झरिया का नाम कोयला खदानों के लिए विख्यात है। लोग जानते हैं कि यहां के कोयले से हीरा पैदा होता है। इस कोयले से माफिया पैदा होते हैं, नेता पैदा होते हैं, देश की सत्ता और सल्तनत चलती है। दिल्ली से लेकर रांची तक की हलक बनती है, लेकिन इन कोयला मजदूरों की कहानी आप जानेंगे तो कोयले से सिर्फ इन मजदूरों की जिंदगी काली हुई है, चमक तो सिर्फ उन गाड़ियों में दिखती है जो संसद तक जाती हैं। जनज्वार की टीम ने झरिया के कोयला खदानों वाले इलाकों का दौरा किया और कोयला मजदूरों से ही जाना कैसा है उनके जीवन का संघर्ष-

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए आज 30 नवंबर को मतदान जारी है। पहले चरण में राज्य के के छह जिलों की 13 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है। पहले चरण में लोहरदगा, घुमला, लातेहार, पलामू, गढ़वा और चतरा की सीटों पर मतदान हो रहा है। झरिया सीट झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से एक है। इस सीट पर 16 दिसंबर को मतदान होना है।

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क कोयला मजदूर ने बताया कि हमें छह हजार रुपये प्रतिमाह सैलरी मिलती है। इस महीने छह सौ रुपये बढ़कर मिला है। इस दौरान एक दूसरे कोयला मजदूर विनोद निषाद से जब पूछा गया कि आपके इलाके में चुनाव होने वाले हैं, एक कोयला मजदूर होने के नाते आपकी क्या उम्मीदें हैं तो इसके जवाब में वह कहते हैं, हम लोग यही चाहते हैं कि हमें सैलरी सही मिले, हम लोग 24 घंटे काम करते हैं इसे कम करके 8 घटे की ड्यूटी करें। हमारी मात्र छह हजार रुपये सैलरी है। हम लोग महीने के तीसों दिन काम पर आते हैं।

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कोयला खदान में काम करने वाले एक अन्य मजदूर बताते हैं, 'मैं नौ साल से ड्यूटी कर रहा हूं, मेरी सैलरी 6 हजार 800 रुपया है। ये तो हमारी दास्तान है साहब, दुखभरी कहानी है। 12 घंटे की ड्यूटी है। ड्यूटी भी ऐसी है कि गाड़ी छोड़कर कहीं नहीं जा सकते।'

क मजदूर ने कहा कि हम लोगों की आठ दस हजार तनख्वाह है। हम लोगों के लिए अंदर ही दुकान होना चाहिए। आठ हजार रुपये वाले मजदूरों को 2 रुपये किलो चीनी होनी चाहिए। विधायक संजीव सिंह हमसे मिल जाएं तो काम हो जाए। विधायक नहीं मिलते हैं।

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नबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली झरिया विधानसभा सीट राज्य गठन के बाद 2005 में अस्तित्व में आई। 2014 के चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी थी। तब संजीव सिंह झरिया के विधायक बने। झरिया अपनी समृद्ध कोयला खदानों के लिए प्रसिद्ध है।

2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव में झरिया विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार संजीव सिंह ने बाजी मारी थी। उन्हें कुल 74062 वोट पड़े थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के नीरज सिंह को 33692 मतों से हराया था। 2009 और 2004 में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी कुंती देवी की जीत हुई थी।

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