कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से नहीं, मोदी की टैक्स वसूली से बढ़ा है डीजल-पेट्रोल का दाम
आंकड़ों को खुद देखिए और तब तय कीजिए कि असल में लूट कहां मची है और फकीर किसके लिए लुटेरा बना घूम रहा है
असली बात तथ्यों के साथ बता रहे हैं रवींद्र गोयल
मोदी भक्त और संघी इस बात पर बहुत दुखी हैं कि तेल के दाम में अभूतपूर्व बढ़ोतरी पर लोग उनकी आलोचना क्यों कर रहे है। अगर मूर्खों की बकवास को छोड़ भी दिया जाये तो गंभीर लोगों का तर्क है कि जब दुनिया में तेल के दाम बढ़ रहे हों तो मोदी क्या करें।
आइये देखते हैं कि ये कितना सच है
पेट्रोल के दाम | मई 2014 प्रति लीटर | मई 2018 प्रति लीटर |
टैक्स से पहले दाम | 47.12 | 37.16 |
केंद्रीय कर | 10.39 | 19.48 |
राज्य कर | 11.90 | 16.27 |
डीलर कमीशन | 2.00 | 3.62 |
खुदरा बिक्री मूल्य | 71.41 | 76.53 |
डीजल के दाम | मई 2014 प्रति लीटर | मई 2018 प्रति लीटर |
टैक्स से पहले दाम | 44.98 | 39.95 |
केंद्रीय कर | 4.50 | 15.33 |
राज्य कर | 6.19 | 9.97 |
डीलर कमीशन | 1.61 | 2.52 |
खुदरा बिक्री मूल्य | 57.28 | 67.77 |
तथ्यों को देखते हुए ये समझने के लिए कोई रॉकेट वैज्ञानिक होना जरूरी नहीं कि तेल की आसमान छूती कीमतों के पीछे दुनिया में बढ़ते तेल के दाम कारण नहीं है। कारण है तो सरकारों की पैसों की भूख। अब ये बात सही है कि सरकार चलाने के लिए पैसा तो चाहिए तो भाई टैक्स वसूलों उन लोगों से जो टैक्स दे सकते हैं या टैक्स चोरी करते हैं। बेकार तेल के दाम क्यों बढाये जा रहे हो।
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मूर्खों को यह भी समझना होगा की कारों में अय्याशी के लिए कुल तेल की खपत का थोड़ा हिस्सा ही इस्तेमाल होता है। बाकि तेल औद्योगिक, खेती या अन्य जरूरी कामों में लगता है. यदि कार वालों से भी टैक्स वसूलना हो तो वसूलो. केवल कारों के लिए तेल के ज्यादा दाम ले लो। बाकि को तो बख्श दो.
इन पंक्तियों के लेखक को पता है कि कई मोदी भक्त और घोर संघी अनपढ़ हैं, पर जो जानते भी हैं कि सच क्या है या जान सकते हैं कि सच क्या है, उनकी न जाने सच कहने में नानी क्यों मर रही है।