पेट्रोल प्रति लीटर शतक के करीब तो डीजल की कीमत में भी हुआ भारी इजाफा, जिस महंगाई का रोना रोकर भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने में निभाई भी महत्वपूर्ण भूमिका, वही पहुंच गई है चरम पर मोदीराज में, मगर मीडिया को सूंघ गया है सांप, नहीं है पेट्रोल—डीजल की बढ़ती कीमतें खबर
गिरीश मालवीय का विश्लेषण
आज यह बताने में मीडिया की नानी मर रही है कि मोदीराज में आज पेट्रोल डीजल की कीमतें मनमोहन राज को भी पीछे छोड़कर आल टाइम हाइ पर पहुंच गयी हैं, किसी भी पेपर या मीडिया में यह हेडलाइन नहीं है।
इससे पहले 14 सितंबर 2013 को दिल्ली पेट्रोल की कीमत 76.06 रुपये थी, आज वह रिकॉर्ड भी टूट गया है। पेट्रोल 76.24 रुपये प्रति लीटर और डीजल 67.57 रुपये प्रति लीटर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। यह अब तक का उच्चतम स्तर है। देश में पेट्रोल मुंबई में सबसे महंगा है, जहां इसके दाम 84.07 रुपये प्रति लीटर हो गया है।
दिल्ली में कल रविवार 20 मई को पेट्रोल के दाम में 33 पैसा प्रति लीटर के हिसाब से इजाफा हुआ जो कि पिछले साल जून में डेली प्राइज रिविजन लागू होने के बाद 1 दिन में सबसे अधिक वृध्दि है।
पिछले सात दिनों में पेट्रोल के दाम कुल 1.61 रुपये और डीजल के दाम कुल 1.64 रुपये बढ़े हैं जबकि इन्ही कीमतों को कर्नाटक चुनाव को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने 19 दिनों तक बढ़ने नहीं दिया था।
इस वृद्धि से आम आदमी की कमर टूट जाएगी, कुछ दिनों महंगाई में चौतरफा इजाफा होगा क्योंकि डीजल कभी इतना महंगा नहीं रहा।
आज कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल पर पुहंच गए है, ऐसा नवंबर 2014 के बाद पहली बार हुआ है। जनवरी से लेकर अब तक कच्चे तेल के दामों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कभी यह था मोदी का नारा सत्ता में आने से पहले |
2015-16 में जब अंतराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड के दाम लगातार कम हो रहे थे, तब सरकार का फर्ज यह नहीं था क्या कि वह इन घटते दामों का फायदा लेकर देश में एक रिजर्व फण्ड तैयार करे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
सरकार के पास अच्छा मौका था, लेकिन मुनाफे को 'पास थ्रू' करने के बजाय वह अपनी जेब भरने लगी. बीते वर्षों के दौरान करीब आठ बार ऐसे मौके आये, जब सरकार मुनाफे को 'पास थ्रू' कर सकती थी, लेकिन उसने इस पर 'एक्साइज' लगा कर अपनी झोली भर ली.
पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत सरकार ने तेल पर लगाये गये टैक्स के जरिये 2,83,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है. दूसरी ओर, राज्य सरकारों ने इसके जरिये 1,74,000 करोड़ रुपये की कमाई की है।
यह पैसा कहा गया यदि इतनी बड़ी रकम का कुछ हिस्सा बचाकर रिजर्व फंड में डाला होता तो आज सब्सिडी देने के काम आता।