धारचूला में कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में मालपा में बादल फटने से छह लोगों की मौत हो गई, जबकि सेना के आठ जवान लापता हैं। दो जवान और एक जेसीओ को मलबे से सकुशल निकाल लिया गया....
पिथौरागढ़। मालपा नाला उफान में आने से तीन होटल बह गए। साथ ही दर्जनों लोग घायल हैं। घायलों में दो पुलिस के जवान भी शामिल हैं। अब तक छह लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं।
जिला आपदा कंट्रोल रूम को आज सुबह तड़के करीब चार बजे आपदा की सूचना दी गई। कंट्रोल रूम प्रभारी के अनुसार, बादल फटने की घटना तडक़े करीब पौने तीन बजे की है। धारचूला से आठ किमी दूर ऐलागाड से हाइवे बंद है। मांगती और सिमखोला में मोटर पुल क्षतिग्रस्त हो गए।
गरबाधार में सेना सहित अन्य वाहन बहने की सूचना है। साथ ही खच्चर भी बह गए हैं। काली नदी का जलस्तर बढ़ गया है। इससे नदी किनारे अलर्ट जारी कर दिया है। धारचूला के मांगती मालपा क्षेत्र में बादल फटने से मची तबाही में मांगती नाले के पास सेना के तीन ट्रक मय सामान के बह गए हैं। चार अन्य वाहन भी गायब है। कुमाऊं बटालियन का एक जवान लापता है। सेना के एक जेसीओ का शव मिल चुका है और एक स्थानीय महिला का शव भी मिला है। एक वृद्धा भी लापता बताई जा रही है।
अब तक छह लोगों के शव नाले से निकाले गए हैं। शव सेना के जवानों के हैं या किसके पता नहीं चल सका है। एक महिला काली नदी पार नेपाल में नजर आई। वह घायल बताई जा रही है। छंकंडे में 50 मीटर कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग बह गया है। यह क्षेत्र संचार विहीन है। इस कारण सूचनाएं भी प्रशासन को समय से नहीं मिल पा रही है।
गौरतलब है कि धारचूला तहसील से आगे पांगला से लेकर मालपा तक जगह-जगह भूस्खलन से भारी तबाही मची थी। यह मार्ग कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग है। तहसील मुख्यालय से एसडीएम के नेतृत्व में राजस्व दल और पुलिस मालपा को रवाना हो चुकी है। तबाही के बाद मालपा नाले के दूसरी तरफ फिर से लोग बसने लगे हैं और कुछ होटल भी खुल गए हैं। कैलास मानसरोवर यात्रियों को दिन का भोजन यही पर कराया जाता है।
भारत-चीन व्यापार में जाने वाले और उच्च हिमालयी गांवों के लोग धारचूला आने जाने के दौरान रात्रि विश्राम भी करते हैं। मालपा स्थान भारत नेपाल सीमा पर मालपा नाले के किनारे है। यहां से काली नदी मात्र 50 मीटर दूर पर बहती है। पिथौरागढ़ के धारचूला में भी देर शाम बादल फटने से ढुंगातोली गांव के कई घरों और खेतों में मलबा घुस गया। दहशतजदा 15 परिवारों ने गांव छोड़ दिया है। प्रशासन ने उन्हें सुरक्षित स्थान में शरण दी है।
दूसरी ओर इसी जिले के मदकोट गांव में 12 अगस्त की रात बादल फटने से ध्वस्त हुए दो मकानों के मलबे से दो शव रिपोर्ट लिखे जाने तक नहीं निकाले जा सके थे। हादसे में तीन लोगों की मौत हुई है, जबकि तीन घायल हो गए। वहीं, कोटद्वार में बरसाती नदी के उफान में दो पुलिया बहने से तीन गांव अलग-थलग पड़ गए हैं। कोटद्वार में एक सप्ताह में तीसरी बार बादल फटने से ग्रामीणों में घबराए हुए हैं।
हालांकि पिथौरागढ़ जिले के मालपा में भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद कैलास मानसरोवर व आदि कैलास यात्रा के दल सुरक्षित हैं। जो दल जहां पर हैं, उन्हें वहीं रोक दिया गया है। कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने बताया कि कैलास मानसरोवर यात्रा का 16वें दल को सिरखा पड़ाव में, वापस लौट रहे 12वें दल को धारचूला में, 13वें, 14 व 15वें दल को गूंजी व चीन में तथा आदि कैलास के दल को बूंदी में रोक दिया गया है। संचार सेवा प्रभावित होने की वजह से संदेशवाहक के जरिये कई दलों को रोका गया। जीएम के अनुसार यात्रियों के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं।
कैलास मानसरोवर मार्ग पर स्थित मालपा पहले से ही बेहद संवेदनशील रहा है। 19 साल पहले 1998 में भी 17-18 अगस्त की रात इस इलाके पर आपदा आई थी। भयंकर लैंड स्लाइड होने से पूरा मालपा ही मलबे में तब्दील हो गया था। तब कैलास यात्रियों समेत करीब 261 लोग मौत के मुंह में चले गए थे। हालात यहां तक बिगड़े थे कि सरकार को कैलास मानसरोवर यात्रा तक स्थगित करनी पड़ी थी। तब फंसे यात्रियों को बमुश्किल रेस्क्यू किया गया था।