सरकारी कर्मचारियों के लिए 7वां वेतन आयोग और मजदूरों के लिए चार साल से 177 रुपए
पिछले चार सालों से मनरेगा मजदूरों को मिल रही अकुशल मजदूरों से भी कम मजदूरी, इस बार भी नहीं की गई कोई बढ़ोत्तरी
पटना, जनज्वार। केंद्र सरकार ने बिहार समेत नौ राज्यों के करोड़ों मनरेगा मजदूरों के हकों पर एक बार फिर से डाका डाला है। 2018-19 में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी दर में कोई इजाफा नहीं किया गया है। पिछले चार सालों से मनरेगा मजदूरी में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा देश के हर राज्य के लिए 1 अप्रैल 2018 से मजदूरी की नई दर घोषित की जाती है। पिछले चार सालों की तरह मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। पिछले साल भी बिहार में मजदूरी दर 168 रुपए निर्धारित की गई थी और 2017-18 में भी मजदूरी दर 168 रुपए ही है।
जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, नरेगा संघष मोर्चा और जन जागरण शक्ति संगठन ने केंद्र सरकार और बिहार के इस रवैये का पुरजोर विरोध करते हुए कहा है कि एक तरफ जहां केंद्र और बिहार सरकार अपने कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में जे आती है और दूसरी तरफ गरीब मेहनतकश लोगों की मजदूरी दर पिछले चार सालों से एकसमान बनी हुई है।
महंगाई जहां दिन—ब—दिन सुरसा की तरह मुंह फाड़े जा रही है, उसमें मात्र 168 रुपए में एक परिवार अपना गुजारा कैसे करता होगा, यह सोचने वाली बात है। वह भी तब जबकि मनरेगा मजदूरों को रोज काम नहीं मिलता है। सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते मनरेगा मजदूर न्यूनतम मजदूरी से भी कम पर जीने को मजबूर हैं।
सरकार की नीति से स्पष्ट है कि उसका ध्यान देश के गरीबों की ओर नहीं है, बल्कि वह हमेशा धन्नासेठों और पूंजीपतियों के हितों के बारे में सोचती रहती है। मनरेगा मजदूरों के संघर्ष को आवाज देने वाले मंच, नरेगा संघष मोर्चा ने इस बाबत केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को खुला पत्र लिखकर मजदूरी दर में संशोधन की मांग की है।
जहां बिहार में अकुशल मजदूर की न्यूनतम मजदूरी दर 237 रुपए है वहीं मनरेगा मजदूर को उससे भी कम भुगतान किया जाता है। ऐसी नीतियों से सरकार करोड़ों मजदूरों के पेट पर लात मारती है।
गौरतलब है कि बिहार सरकार केंद्र सरकार के द्वारा तय की गयी रकम 168 में कुछ रकम जोड़कर 177 रुपए के दर से मजदूरों को भुगतान करती है। पिछले चार सालों से यानी 1 अप्रैल 2014 से बिहार सरकार ने केंद्र सरकार की मजदूरी दर में अपनी तरफ से कोई बढ़ोतरी नहीं की है, जिसके कारण 1 अप्रैल 2014 से मनरेगा मजदूरों को सिर्फ 177 रु की मजदूरी मिल रही है।
मजदूर मांग कर रहे हैं कि कम से कम उनकी न्यूनतम मजदूरी अकुशल मजदूरों के बराबर तो कर ही दी जाए, जिससे वो अपने परिवार के दो जून के रोटी—पानी का जुगाड़ कर सकें।