विधानसभा में उठा प्रयागराज में तोड़फोड़ मामले में गरीबों को मुआवजा न देने का मामला
प्रयागराज में सड़क चौड़ीकरण एवं स्मार्ट सिटी के नाम पर हजारों मध्यमवर्गीय व गरीबों के परिवारों को विधि विरूद्ध ढंग से बलपूर्वक उनके भूमि एवं भवन को ध्वस्त करा एवं वर्तमान में भी उस कार्यवाही को जारी रखने के सम्बन्ध में अविलम्ब लोक महत्व की सूचना दी थी...
जेपी सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं विधायक कुशीनगर अजय कुमार लल्लू ने विधानसभा अध्यक्ष को नियम 51 (3) के तहत पत्र देकर सवाल उठाया है कि स्मार्ट सिटी एवं सड़क चौड़ीकरण के नाम पर महाकुम्भ 2019 के पूर्व प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा सड़क चौड़ीकरण के लिए सम्पूर्ण नगर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 तथा उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 की धारा 17 का अनुपालन करते हुए विस्थापित लोगों को भूमि एवं भवन का कोई मुआवजा दिया गया एवं पुनर्वासन कराया गया क्या?
अजय कुमार लल्लू ने सवाल उठाया कि प्रयागराज में म्योर रोड, स्टैनली रोड यातायात पुलिस लाइन चौराहे से क्लाइव रोड म्योर रोड हनुमान मंदिर चौराहे तक सड़क चौड़ीकरण करने हेतु यहाँ पर निवासित लोगों को उक्त पुराने निर्मित क्षेत्र राजापुर देहमाफी क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 तथा उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 के धारा 17 के अनुपालन में भूमि एवं भवन का अधिग्रहण, मुआवजा तथा पुनर्वसन की कोई व्यवस्था की गयी क्या?
यह भी पढ़ें : प्रयागराज विकास प्राधिकरण गरीबों को उजाड़ नियम विरूद्ध कर रहा सड़क चौड़ीकरण, विरोध में जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना
अजय कुमार लल्लू ने पूछा कि उक्त सड़क का पिछले लगभग 40 वर्षों से निर्माण व नवीनीकरण का कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है। इसके पूर्व लगभग 100 वर्षों से भी अधिक समय से उक्त सड़क का निर्माण व मरम्मत का कार्य म्युनसिपल कॉर्पोरेशन/नगर महापालिका द्वारा उपलब्ध सरकारी भूमि अन्तिम बन्दोबस्त 1320 फसली (सन 1913) के राजस्व भू-अभिलेख राजस्व ग्राम राजापुर देहमाफी में प्लाट सं. 374 क्षेत्रफल 5 बीघा 6 बिस्वा सड़क व पटरी सहित दर्ज है।
यह राजस्व ग्राम बेली मुस्तखरजा से आकर राजस्व ग्राम राजापुर देहमाफी से गुजरते हुए राजस्व ग्राम नसीबपुर बख्तियारा एवं अन्त में कैन्ट तक जाती है। उक्त सड़क का नवीनीकरण का कार्य नवम्बर 2018 में लोक निर्माण विभाग द्वारा उपलब्ध सरकारी भूमि पर कराया जा चुका है। इस सत्यता को प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा क्यों नहीं बताया गया?
गौरतलब है कि उल्लेखित स्थान पर सड़क के दोनों ओर निवासित लोग मध्यम, कमजोर एवं अधिकांश दलित वर्ग के हैं। उनके पास निवास व आजीविका का कोई दूसरा स्थान एवं साधन नहीं है। सड़क के उत्तर की ओर भारी ढलान, अति लोलैण्ड पर पुराने निर्माण निर्मित हैं।
यह भी पढ़ें : प्रयागराज में लोक निर्माण विभाग ने जिस रोड को बनाया 50 लाख में, 8 महीने के अंदर उसी रोड को दोबारा पीडीए बनाएगा 7.70 करोड़ में
महायोजना 2021 के मानचित्र नं. 9 में उक्त सड़क की चौड़ाई व गहराई यथावत रखने का आदेश लागू है एवं महायोजना 2021 के अन्तर्गत उक्त क्षेत्र का जोनल प्लान नहीं बना है, क्योंकि उक्त क्षेत्र जोन बी-5 में आता है (इलाहाबाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने राजेन्द्र प्रसाद अरोरा बनाम उप्र सरकार आदि के, याचिका संख्या 4633/2019 के मामले में दिनांक 16 नवम्बर 2019 को अपने निर्णय के पेज नं. 29, 30 व 31 में स्पष्ट रूप से आदेशित किया है।)
इसी प्रकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने शिव वाटिका बारात घर आदि बनाम उप्र राज्य सरकार आदि, याचिका सं0 37797/2018 में दिनांक 24 सितम्बर 2019 के अपने आदेश के पृष्ठ सं0 13 पर निम्नलिखित टिप्पणी की है—
“During the course of hearing, learned counsel for the Devolopment Authority has produced the Master Plan before us. In respect of the zonal plan of the city, learned counsel has made a statement that so far only one zonal plan has been prepared for Civil Lines and the adjoining area.
Regard being had to the fact that the Master Plan of city was published on 13.07.2006 and the Zonal Development Plan could be prepared of only one sub-zone i.e. B-4 on 07.03.2011 which was enforced from 18.03.2011. It is amazing that after 19 years of enforcement of Master Plan the zonal plan for entire city is yet to be made except one area.”
सड़क चौड़ीकरण में मुआवजा न देने की प्रवृत्ति पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गायत्री देवी आदि बनाम उप्र राज्य सरकार आदि, याचिका सं. 14473/2019 में जस्टिस शशिकान्त गुप्ता एवं जस्टिस पंकज भाटिया ने दिनांक 09 मई 2019 को सड़क चौड़ीकरण के लिए नागरिकों के निजी भूमि को बिना अधिग्रहण किये व बिना मुआवजा दिये विधि विरूद्ध ढंग से नागरिकों की निजी भूमि पर अवैध कब्जा करके सड़क बनाने पर घोर आपत्ति दर्शायी है। सम्बन्धित अधिकारियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने के लिए मुख्य सचिव उप्र को आदेशित भी किया है, इस आदेश के पैरा नं0 7, 8, 9 व 11 में स्पष्ट है।
प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा शासन को दिये गये उत्तर को ही माननीय मुख्यमंत्री जी ने सदन में वक्तव्य दिया, जिसमें केवल योजना ही बताई गयी है, मगर कार्यान्वयन के सम्बन्ध में जो कानून हैं, उनके अनुपालन के विषय में कुछ नहीं कहा है। जिस क्षेत्र को यह अवैध एवं अतिक्रमण बता रहे हैं, वह पूर्णतः असत्य व निराधार है क्योंकि प्रयागराज विकास प्राधिकरण के पास कोई भी सरकारी दस्तावेज सड़क के विषय में नहीं है, जिसको इन्होंने स्वयं सूचना के अधिकार में स्वीकार किया है।
स्मार्टसिटी बनाने का यह मतलब नहीं है कि मनमाने ढंग से नागरिकों की निजी भूमि एवं भवन पर अवैध कब्जा करके उजाड़ दिया जाये। सत्यता यह है कि इनके पास मुआवजा देने व पुनर्वासन कराने के लिए कोई वजट नहीं है।
विधायक कुशीनगर अजय कुमार लल्लू ने दिनांक 23 जुलाई 2019 को नियम 51 के अन्तर्गत जनपद प्रयागराज में सड़क चौड़ीकरण एवं स्मार्ट सिटी के नाम पर हजारों मध्यम वर्गीय व गरीबों के परिवारों को विधि विरूद्ध ढंग से बलपूर्वक उनके भूमि एवं भवन को ध्वस्त कराकर एवं वर्तमान में भी उस कार्यवाही को जारी रखने के सम्बन्ध में अविलम्ब लोक महत्व की सूचना दी थी।
विधानसभा अध्यक्ष ने शासन को सदन में वक्तव्य देने का निर्देश दिया था, किन्तु शासन ने निर्धारित तिथि पर उत्तर नहीं दिया था। 17 दिसम्बर 2019 को मुख्यमंत्री का वक्तव्य शोर शराबे के बीच में आया, जिसमें सूचना में उठाये गये बिन्दुओं का सही एवं स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया था, बल्कि काफी तथ्यों को छिपाकर और आगे की कार्यवाही नियमानुसार करने का कोई आश्वासन नहीं दिया गया। अजय कुमार लल्लू ने विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि उक्त बिन्दुओं पर शासन से स्पष्टीकरण दिलाएं।