शराब तस्करी मामला: क्या हरियाणा सरकार में सबकुछ ठीक नहीं, गृहमंत्री अनिल विज की इस सिफारिश के बाद शुरू हुआ अटकलों का दौर
गृहमंत्री अनिल विज ने एसआईटी के लिए जिन तीन नामों की सिफारिश की है उनमें IAS अशोक खेमका का नाम भी शामिल....
जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़ः सोनीपत के खरखौदा बाईपास पर शराब गोदाम में से 5500 पेटी शराब गायब हो जाने के मामले में गृह विभाग ने एसआईटी का गठन शुरू कर दिया है। गृह मंत्री अनिल विज ने एसआईटी के लिए तीन अधिकारियों के नाम का चयन करके सीएम मनोहर लाल खट्टर के पास भेज दिए हैं।
इन तीन में से एक अधिकारी का नाम तय होते ही इस मामले की जांच शुरू हो जाएगी। गृहमंत्री ने जिन तीन अधिकारियों के नाम भेजे हैं उनमें - अशोक खेमका, संजीव कौशल और टीसी गुप्ता का नाम शामिल है।
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अब देखना यह है कि सीएम किस नाम को फाइनल करते हैं। अशोक खेमका हरियाणा के सीनियर आईएएस आफिसर है। अपनी इमानदार छवि की वजह से वह लगभग हर सरकार के निशाने पर रहते हैं। खेमका ने हुड्डा सरकार में वाड्रा डीएलएफ डील को उजागर कर कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका दिया था। वह लगभग हर सरकार के निशाने पर रहे हैं। भाजपा सरकार में भी उन्हें साइड लाइन कर रखा है। लेकिन अब अचानक ही गृह मंत्री ने शराब के स्टॉक के गायब मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी में उनका नाम शामिल करने की सिफारिश कर दी है।
गृहमंत्री अनिल विज बताया कि पुलिस के गोदाम से 5500 पेटी शराब चोरी हुई है। जिसकी एफआईआर दर्ज हो चुकी है। पुलिस की तरफ से एडीजीपी सुभाष यादव,आबकारी एवं कराधान विभाग की तरफ से अतिरिक्त आयुक्त विजय सिंह को एसआईटी सदस्य के रूप में फाइनल किया गया है। विज ने आईएएस अशोक खेमका, संजीव कोशल वटीसी गुप्ता का नाम भेजा है। एक नाम तय होते ही जांच शुरू हो जाएगी।
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अब सीएम के सामने सवाल यह है कि यदि वह अशोक खेमका का नाम काटते हैं तो उन पर सवाल उठेंगे, यदि खेमका का नाम फाइनल करते हैं तो रिपोर्ट यदि उन्नीस इक्कीस आ गयी तो बड़ी फजीहत हो सकती है। यहीं वजह है कि सीएम नामों को लेकर पशोपेश में हैं।
इधर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला इस मामले को लेकर पहले ही सवालों के घेरे में हैं। अब यदि एसआईटी की जांच टीम में अशोक खेमका शामिल हो जाते हैं तो जाहिर है, वह किसी की सुनेंगे नहीं। वहीं रिपोर्ट देंगे तो सही होगा? ऐसे में यदि किसी भी तरह की अनियमितता मिली तो वह बिना किसी दबाव के अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख कर देंगे। बता दें आबकारी विभाग उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास ही है.
इतना ही नहीं खेमका की रिपोर्ट को सरकार भी हलके में नहीं ले सकती। क्योंकि तब वह खुद ही सवाल खड़ा कर सकते हैं। यहीं वजह है कि विज ने खेमका का नाम एसआईटी के सदस्यों की लिस्ट में डाल कर सीएम के पास भेज कर बड़ा दाव खेल दिया है।
इस मामले में प्रदेश के पहुंच वाले लोग शामिल हो सकते हैं। जिनके तार उपर तक जुड़े हुए हैं। गोदामों में दूसरे राज्यों में बनी शराब भी रखी हुई थी। ऐसे ब्रांड की शराब मिली है,जो हरियाणा में बनती नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इन गोदामों से शराब की तस्करी दूसरी जगह होती थी। गोदामों को ट्रांजिट सेंटर बनाया गया। गृहमंत्री विज ने माना कि पुलिस और एक्साइज डिपार्टमेंट के कर्मचारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।
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इस मामले में जहां विपक्ष लगभग चुप है, वहीं सरकार में ही भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा है। विज ने यह भी बताया कि विभाग के मंत्री और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इस मामले की जांच की सिफारिश नहीं की है। ऐसे में सवाल यह उठ रह है कि क्यों मंत्री ने इस तरह की मांग नहीं की। दूसरा सवाल यह भी उठ रहा है कि मुख्यमंत्री इस मामले में चुप क्यों है?
विज ने यह भी बताया कि खरखौदा में एक्साइज डिपार्टमेंट के गोदाम से शराब गायब होने के मामले में न तो रिपोर्ट दर्ज करायी गयी, न ही उन्हें किसी तरह की जानकारी दी गयी है। हालांकि दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सरकार ने जो एसआईटी बनायी है, इसमें उनकी सहमति है।
माना जा रहा है कि प्रदेश में यह बहुत बड़ा घोटाला है। यहां से शराब निकाल कर लॉकडाउन के दौरान महंगे दाम पर बेची गयी है। इस मामले का खुलासा होते ही सरकार लगातार निशाने पर है। अब देखना यह है कि सीएम एसआईटी के सदस्य के तौर पर खेमका का नाम रखते है या फिर किसी दूसरे आईएएस को एसआईटी में शामिल करते हैं।