प्रेस रिलीज

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ रिहाई मंच समेत कई संगठनों ने दिया धरना, कहा देश का विभाजन करने पर उतारु मोदी सरकार

Nirmal kant
5 Dec 2019 3:04 PM GMT
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ रिहाई मंच समेत कई संगठनों ने दिया धरना, कहा देश का विभाजन करने पर उतारु मोदी सरकार
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लखनऊ में रिहाई मंच, सामाजिक न्याय मंच,खुदाई खिदमतगार समेत कई संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ दिया धरना, संगठनों ने कहा इस विधेयक के खिलाफ लामबंद होगी देश की जनता...

जनज्वार। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज में अंबेडकर प्रतिमा के सामने विवादास्पद नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ रिहाई मंच समेत कई सामाजिक- राजनीतिक संगठनों ने धरना दिया। इन संगठनों ने आरोप लगाया कि संविधान संविधान के विपरीत जाकर इस विधेयक के जरिए भाजपा सरकार देश का विभाजन करने पर उतारु है। इस दौरान इन सभी संगठनों की सहमति बनी कि इस विधेयकर के खिलाफ जनता को लामबंद करेंगे।

रना देने वाले संगठनों में रिहाई मंच, एनएपीएम, नागरिक परिषद, इंसानी बिरादरी, ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, हम सफ़र, सामाजिक न्याय मंच, जन मंच, युवा शक्ति संगठन, पसमांदा मुस्लिम महाज, जमात ए इस्लामी हिन्द, खुदाई खिदमतगार, उत्तर प्रदेश छात्र सभा, मुस्लिम यूथ ब्रदर्स उत्तर प्रदेश, जेआईएच, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) आदि सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ लखनऊ में अम्बेडकर प्रतिमा, हजरतगंज शामिल थे।

स दौरान वक्ताओं ने कहा कि यह नागरिकता संशोधन विधेयक संघीय ढांचे को कमज़ोर करने वाला और महात्मा गांधी और बाबा साहब अम्बेडकर के सपनों को तोड़ने वाला है। यह विधेयक दो राष्ट्र के सिद्धांत वाली विघटनकारी, ब्राह्मणवादी और मनुवादी राजनीति के इसी सिद्धांत पर आधारित है। इससे पहले ऐसे ही षड़यंत्र के तहत बाबा साहब के महापरिनिर्वाण दिवस पर बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया जिसके चलते देश में बड़े पैमाने पर टकराव हुआ और लोग मारे गए। अब उसी दुष्चक्र को दोहराने की साजिश है। इसे संसद में पेश नहीं होना चाहिए।

क्ताओं ने आगे कहा, 'विपक्ष की ज़िम्मेदारी है कि वह इस विधेयक को सदन में किसी भी हालत में पारित न होने दे, वरना देश नए तरह के विभाजन की तरफ बढ़ेगा। जिस तरह लगातार संविधान संशोधन की प्रक्रिया चल रही है उससे न केवल संविधान का मूल रूप बदल रहा है बल्कि उसके कई प्रावधानों की प्रासंगिकता ही खत्म होने की तरफ है। देश की ऐसी विकृत तस्वीर उभर रही है जिसमें सह-अस्तित्व और सहिष्णुता के लिए कोई स्थान नहीं।'

क्ताओं ने चेतावनी कि इससे 1947 से भी भयावह तस्वीर उभरेगी। जो पीढ़ियों से एक साथ रहे हैं उनको बेदखल किया जाएगा। यह राजनीतिक तौर पर मुसलमानों के लिए तो खतरा है ही लेकिन उससे बड़ा खतरा आदिवासी, ओबीसी, दलित, महिलाओं और बच्चों के लिए होगा। नागरिकता का मतलब केवल किसी रजिस्टर में नाम लिख लेने भर से नहीं है। इसका मतलब होता है प्रत्येक नागरिक को शिक्षा और रोज़गार देना, सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन की गारंटी देना, मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना। सरकार इन बिंदुओं पर पूरी तरह असफल है। यह सरकार न तो देश में धर्म और जाति के नाम पर लिंचिंग को रोक पा रही है और न ही महिलाओं को सुरक्षा दे पा रही है।'

हिलाओं को डायन बताकर मार डाला जा रहा है। लगातार बलात्कार और महिलाओं के साथ अभद्रता के चलते देश महिला उत्पीड़न के लिए विश्व का सबसे खतरनाक देश बन गया है। ज़रूरत इस बात की थी कि इन दिशाओं में काम किया जाता लेकिन हर मोर्चे पर विफल सरकार नागरिकता विधेयक जैसे विभाजनकारी मुद्दों में शरण ढूंढ रही है। ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

रने में रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, जन मंच के संयोजक पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, शकील कुरैशी, सृजनयोगी आदियोग, गोपाल राय, जैद अहमद फारूकी, राजीव यादव, नितिन राज, गोलू यादव, शिवा रजवार, आयुष श्रीवास्तव, मोहमद नफीस, ओम प्रकाश भारती, तन्मय, रुबीना, अजय शर्मा, बांकेलाल, आंनद सिंह, राजीव गुप्ता, राम संजीवन, इमरान, वीरेंद्र गुप्ता, अयान गाज़ी, अहमद उल्ला, मोहम्मद ज़हीर आलम फलाही, मोहम्मद साबिर खान, नमिता जैन, एफ मुसन्ना, नाहीद अकील, शिवाजी राय, शाह आलम, इमरान अहमद, सचेंद्र प्रताप यादव, अब्दुल हजीज़ गांधी, अभिनव, आलम हुसैन, अब्सर आलम, हाफ़िज़ वारी, केके शुक्ला, प्रदीप पांडेय, अंकुश यादव, एमडी खान, एम राशिद खान, प्रयान शर्मा, जेडए खान, वीरेंद्र त्रिपाठी, नीलम भारती, दुर्गेश रावत, जैनब, आशीष, हफीज किदवई, इरफान अली, रुकैया, एम अनिल, मानस गुप्ता, गौरव सिंह, अहमद खान, सुरजीत रॉय अम्बेडकर आदि शामिल हुए।

क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक

ता दें कि मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट से विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक को मंज़ूरी मिल गई है और इस बात की संभावना है कि अगले हफ़्ते सदन में पेश किया जाएगा। इस विधेयक के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।

स विधेयक को लेकर विपक्ष का कहना है कि संविधान की भावना के विपरीत बता रहा है वहीं केंद्र की तरफ से इसे शीर्ष प्राथमिकता देते हुए इसे सदन में रखे जाने के दौरान सभी सांसदों को उपस्थित रहने को कहा गया है। इस नागरिकता संशोधन विधेयक का व्यापक रूप से विरोध होता रहा है जिसका उद्देश्य पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से गैर-मुसलमान अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नियमों में ढील देने का प्रावधान है।

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