थिएटर में अश्लील शब्दों से शोर मचाने वालों तक पर नियंत्रण की नहीं थी कोई व्यवस्था...
पुणे से रामदास तांबे की रिपोर्ट
पुणे और पिम्परी चिंचवड़ शहर में पुणे इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का 12 जनवरी से लेकर 18 जनवरी तक आयोजन किया गया था। इस आयोजन में हजारों प्रेक्षकों ने मराठी भाषाओं के साथ—साथ विदेशी भाषाओं की फिल्मों को देखने का भी लुत्फ उठाया। मगर इस फेस्टिवल में प्रेक्षकों को तरह—तरह की फिल्मों का लुत्फ उठाने के अलावा पछताना भी पड़ा।
गौरतलब है कि पुणे अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए 12 देशों की दर्जन भर से ज्यादा सबसे बेहतरीन फिल्मों को चुना गया था।
घटनाक्रम के मुताबिक इस फेस्टिवल के दौरान पिम्परी चिंचवड़ के बिग सिनेमा के थिएटर में फ़िल्म शौकीनों को अश्लील शब्दों का शोर सुनने को भी खूब मिला। फिल्म देखने के दौरान अश्लील शब्दों के साथ शोर करने वालों की शिकायत फिल्म प्रेमियों द्वारा की गई, मगर कोई इन शोर मचाने वाले और अश्लील शब्द बोलने वालों पर नियंत्रण करने वाला नहीं था।
पुणे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दौरान अव्यवस्था फैलाने वाले लोगों को नियंत्रण करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। इससे फिल्म प्रेमियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फिल्म फेस्टिवल में फिल्म प्रेमी अपनी मनपसंद फिल्मों का लुत्फ उठाने गए थे, न कि अश्लील—भद्दी गालियों का शोर करने।
फिल्म फेस्टिवल में गए प्रेक्षकों के मुताबिक, पिंपरी—चिंचवड़ महानगर निगम ने फ़िल्म थिएटर के रेंट और प्रचार की मुहिम के लिए लाखों रुपये खर्च किए, बावजूद इसके फिल्म प्रेमियों को इस इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में सही तरीके से फिल्मों का आनन्द लेने को नही मिला।
ऐसे महोत्सवों में अराजक तत्वों द्वारा फैलाई जाने वाली अराजकता से सवाल उठता है कि ऐसे फ़िल्म फेस्टिवल आयोजित करने का आखिर उद्देश्य क्या है, जबकि शहरवासी उसका लुत्फ ही न उठा पाएं।