Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

नीरव मोदी का अवैध बंगला उजाड़ने से मना कर दिया कलेक्टर ने

Prema Negi
24 Aug 2018 8:33 AM GMT
नीरव मोदी का अवैध बंगला उजाड़ने से मना कर दिया कलेक्टर ने
x

कोर्ट के आदेश के बाद कलेक्टर ने अपना हलफनामा कोर्ट में पेश किया कि नीरव मोदी के बंगले ने किसी भी नियम का नहीं किया गया है उल्लंघन....

गिरीश मालवीय का विश्लेषण

किसी गरीब की झोपड़ी को उजाड़ने में सरकार मिनट भर नही लगाती। स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर के व्यस्ततम इलाकों में तोड़फोड़ करती है, बनारस जैसे शहर में 1000 पुराने मंदिर तोड़ देती है। लेकिन जब नीरव मोदी जैसे घोटालेबाज और शाहरुख खान जैसे सेलेब्रिटी के अवैध बंगलों को ढहाने की बात आती है, तब वह कोर्ट के आदेशों का हीलाहवाली देने लगती है।

नीरव मोदी और शाहरुख खान के बंगले महाराष्ट्र के तटीय इलाके अलीबाग में बने हुए हैं और वहां केवल इन दोनों के ही बंगले नही हैं, कुल 175 बंगले बने हुए हैं जो बड़े सेलेब्रिटीज़, नेताओं और उच्च अधिकारियों के हैं। समुद्र किनारे बने इन बंगलों में साफ—साफ सीआरजेड (तटीय विनियमन क्षेत्र) के नियमों का उल्लंघन पाया गया है।

शाहरुख खान तो इस बंगले के लिए धोखाधड़ी करने पर उतारू हो गए। शाहरुख के सीए मोरेश्वर अजगांवकर ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बताया कि उनके कहने पर उन्होंने जाली डॉक्टयूमेंट्स दिखाकर वो जमीन खरीदी थी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक आईटी अधिकारियों के सामने अजगांवकर ने माना है कि उन्होंने जाली दस्तावेजों और 7/12 extract का इस्तेमाल शाहरुख के कहने पर किया।

पिछले महीने मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एएस ओक और रियाज छागला की पीठ ने रायगढ़ जिला कलेक्टर से पूछा है कि उसने अलीबाग स्थित भगौड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के बंगले को क्यों नहीं गिराया था? इस बात पर सरकार को लताड़ते हुए उन्होंने कहा कि वह सरकार को इस मुद्दे पर निर्देश दे सकती है।

दो दिन पहले सरकार को इस मामले शर्म आयी और महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने रायगढ़ के अवैध बंगलों को लेकर समीक्षा बैठक के बाद जिलाधिकारी को यह आदेश दिया है कि वह 1 महीने में इस पर रिपोर्ट दे और आवश्यक कार्यवाही करें।

लेकिन इस केस में देखने लायक बात तो यह है कि कलेक्टर तक इस अवैध निर्माण को बचाने की सिफारिश करते नजर आए। जब कलेक्टर ने अपना हलफनामा कोर्ट में पेश किया तो उसमें यह लिखा कि उनके ऑफिस ने पाया कि वहां मोदी के बंगले ने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है।

हलफनामे के अनुसार, यह बंगला 1986 से पहले बनाया गया था, जबकि समुद्री क्षेत्र मानक बाद में आए थे। इसलिए उसे मानकों का उल्लंघन करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

उसमें यह भी लिखा था कि क्योंकि बंगले को सीबीआई ने भी जब्त नहीं किया था, इसलिए उसने भी कोई कार्रवाई नहीं की। लेकिन दोनों ही जजों ने हलफनामे पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि 'हलफ‌नामे में केवल यही कहा गया है कि बंगला 1986 से पहले बनाया गया था, लेकिन इसका सबूत क्या है? क्या भूमि रिकॉर्ड या अन्य आधिकारिक दस्तावेज को देखा गया था? साथ ही इसका क्या मतलब कि सीबीआई ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो कलेक्टर ने भी कुछ नहीं किया? कलेक्टर असहाय नहीं है।'

यानी कलेक्टर ने सरकारी दबाव में पूरी कोशिश की यह बंगला किसी तरह से बच जाए और इस बहाने से सभी सेलेब्रिटीज़ के बंगले भी बच जाएं, लेकिन कोर्ट के कड़े रुख से यह सम्भव नहीं हो पाया।

अब इसके बरअक्स आप यह देखिए कि इन सरकारी अधिकारियों का रुख क्या होता है, जब वह किसी गरीब आदमी का आशियाना ढहाने की बात करते हैं। स्मार्ट सिटी के नाम पर आतंक मचा देते हैं, सड़क बनाने के नाम पर हजारों मकानों की बलि ले लेते हैं।

Next Story

विविध