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जिस कंपनी का सिरप पीने से 12 बच्चों की हुई मौत, उसकी ओर पत्रकारों को जाने से रोक रही पुलिस

Janjwar Team
13 March 2020 2:55 PM GMT
जिस कंपनी का सिरप पीने से 12 बच्चों की हुई मौत, उसकी ओर पत्रकारों को जाने से रोक रही पुलिस
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बद्दी की एक सिरप निर्माता कंपनी की दवा में जहरीले तत्व की मात्रा 34.97 थी। इस दवा के सेवन से 12 बच्चों की किडनी खराब हो गयी। जिससे बाद में उनकी मौत हो गयी थी....

चंडीगढ़ से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। बद्दी स्थित डिजिटल विजन फार्मा कंपनी के बनाए गए कफ सिरप पीने से जम्मू कश्मीर में 12 बच्चों की मौत हुई थी, उस कंपनी की ओर जाने वाले रास्ते को पुलिस ने सील कर दिया है। 'जनज्वार' संवाददाता जब कंपनी में जाने के लिए इस रास्ते पर पहुंचे तो हिमाचल पुलिस ने रास्ता रोकते हुए उन्हे आगे जाने से मना कर दिया। तर्क दिया कि कोरोना वायरस की वजह से बाहर के लोगों का इंडस्ट्री एरिया में प्रवेश बंद किया गया है। नाके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने फोटो लेने से भी मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि किसी तरह की फोटोग्राफी की इजाजत नहीं है। यदि फोटो खींची तो वह कैमरा जब्त कर लेंगे।

सिरप निर्माता कंपनी डिजिटल विजन फार्मा की दवा में जहरीले तत्व की मात्रा 34.97 थी। इस दवा के सेवन से 12 बच्चों की किडनी खराब हो गयी। जिससे बाद में उनकी मौत हो गयी। पीजीआई चंडीगढ़ के डाक्टरों की एक टीम ने जब मौतों की जांच की तो सिरप में जहरीले तत्व की पहचान की। इसके बाद कंपनी का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया है।

style="text-align: left;">टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दवा बनाने में कंपनी ने हद दर्जे की लापरवाही की है। दवा बनाते वक्त और बनाने के बाद पैकिंग के वक्त भी सुरक्षा मानकों की जांच नहीं की गयी। इस वजह से दवा बाजार में बिकने के लिए पहुंच गयी थी। यदि एक भी स्तर पर कंपनी ने ध्यान दिया होता तो मातों को टाला जा सकता था। रिपोर्ट में कंपनी को हर स्तर पर जिम्मेदार ठहराया गया है।

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धर बद्दी संघर्ष समिति के अध्यक्ष राकेश ठाकुर ने बताया कि यहां दवा की जो भी इकाई चल रही है, इसमें 90 प्रतिशत बहुत ही खराब तरीके से काम कर रही है। कुछ कंपनी तो मात्र छोटे छोटे कमरों में चल रही है। जहां अकुशल लेबर काम करती हैं। उन्होंने बताया कि कंपनियों पर नजर रखने वाले अधिकारी भी भ्रष्टाचार में लिप्त है। उन्हें एक तयशुदा रूपए मिल जाते हैं। वह भी आकर नहीं देखते कि चल क्या रहा है।

हां एक दवा कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि बहुत सी कंपनियां तो दूसरी कंपनियों के लिए दवा का निर्माण करती है। यह दवा सरकारी खरीद में सप्लाई होती है। उन्होंने बताया कि यहां नियमित जांच तो होती नहीं है। इसलिए कंपनी संचालक खर्च बचाने के लिए शार्टकट रास्ते अपनाने रहते हैं। यहीं वजह है कि कई बार दवा की गुणवत्ता खराब होती है तो कई बार दवा जानलेवा भी हो जाती है।

style="text-align: left;">र्मचारी ने बताया कि दव निर्माण करने वाली कंपनियों में साफ सफाई तक की उचित व्यवस्था नहीं है। दवा बनाने को लेकर सुरक्षा उपायों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां जोर इस बात पर रहता है कि कंपनी दवा तैयार कर आपूर्ति करें, यह नहीं देखा जाता कि उसकी गुणवत्ता अच्छी हो। इसके साथ ही यहां सबसे बड़ी समस्या यह है कि दवा बनाने के काम में लगे कर्मचारी प्रशिक्षित नहीं है। वह भी कई स्तर पर लापरवाही बरतते हैं। इस वजह से दवा की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।

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दूसरी ओर हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर ने बताया कि दवा कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। उन्होंने बताया कि एक टीम गठित की है, जो पता कर रही है कि कैसे कंपनी ने गड़बड़ी की है। इसके साथ ही टीम यह भी अध्ययन कर रही है कि कैसे यहां का दवा उद्योग उच्च गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करे। इसके लिए क्या इंतजाम किए जाने चाहिए। एक बार रिपोर्ट मिल जाए इसके बाद इस दिशा में ठोस कदम उठाया जाएगा।

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