गुरु नानकदेव के 550वें प्रकाशोत्सव को समर्पित पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में लिया गया एक बड़ा फैसला, दरबार साहिब में महिलाओं को कीर्तन करने की इजाजत
चंडीगढ़ से शिखा शर्मा की रिपोर्ट
जनज्वार। गुरु नानकदेव के 550वें प्रकाशोत्सव को समर्पित पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान आज बृहस्पतिवार 7 नवंबर को ऐसा अभूतपूर्व प्रस्ताव पारित हुआ, जिसके बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस तथा विपक्षी अकाली दल में विवाद बढ़ेगा। पंजाब विधानसभा ने विपक्षी आम आदमी पार्टी के सहयोग से दरबार साहिब में महिलाओं को कीर्तन करने की इजाजत प्रदान करने के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर दिया।
इस मुद्दे पर दुविधा में फंसे अकाली दल ने सरकार का मूक समर्थन किया। किसी भी वैधानिक संस्था द्वारा सिखों के धार्मिक मामलों को लेकर प्रस्ताव पारित करने का यह पहला मामला है। इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा लिया जाएगा।
पंजाब सरकार द्वारा गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को समर्पित विशेष सत्र का आयोजन किया जा रहा है। इस सत्र के पहले दिन भारत के उपराष्ट्रपति एम वैंकया नायडू तथा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विशेष रूप से भाग लिया था। आज 7 नवंबर को विधानसभा सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने गुरू नानक देव जी द्वारा महिलाओं को समानता का दर्जा दिए जाने का तर्क सदन में रखते हुए कहा कि दरबार साहिब में भी महिलाओं को कीर्तन करने की इजाजत दी जानी चाहिए। एसजीपीसी को इस फैसले का रिव्यू करने की जरूरत है।
बाजवा के इस प्रस्ताव पर अकाली दल ने विरोध शुरू कर दिया। अकाली दल के विधायकों ने तर्क दिया कि यह धार्मिक मान्यताओं का मामला है और वर्षों पुरानी परंपरा इसके साथ जुड़ी हुई है। सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सरकार ने अकाली दल पर पलटवार करते हुए कहा कि एक तरफ गुरूनानक देव का प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा और गुरुओं के संदेश को माना नहीं जा रही है।
पंजाब सरकार द्वारा सदन में रखे प्रस्ताव का समर्थन करते हुए आम आदमी पार्टी विधायक अमन अरोड़ा ने कहा कि जब एक महिला को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रधान बनाया जा सकता है तो दरबार साहिब में महिलाओं को कीर्तन की इजाजत क्यों नहीं दी जा सकती। आप विधायक दल की उपनेता सरबजीत कौर माणुके ने कहा कि समय बदल चुका है। महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। महिलाओं को कीर्तन न करने देने के पीछे न तो कोई मान्यता है और न ही कोई नियम है।
इसे खत्म करना समय की मांग है। सदन में इस मुद्दे पर खासी देर तक हंगामा होता रहा। विधानसभा स्पीकर राणा केपी ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि महिलाओं को कीर्तन करने में भेदभाव नहीं होना चाहिए। इस प्रस्ताव के साथ प्रदेश सरकार शिरोमणि कमेटी को किसी तरह की चुनौती नहीं दे रही है। अकाली दल इसे गलत दिशा में न लेकर जाए। स्पीकर ने सदन में प्रस्ताव पेश किया जिसे बहुमत के साथ पास कर दिया गया।
वर्षों से चला आ रहा है यह विवाद
दरबार साहिब समेत सिखों के सभी तख्तों पर महिलाओं के कीर्तन करने की इजाजत देने का मामला लंबे समय से चल रहा है। सिखों के धार्मिक फैसले तख्त श्री पटना साहिब, तख्त श्री केसगढ़ साहिब, तख्त श्री हजूर साहिब, तख्त श्री दमदमा साहिब तथा अकाल तख्त साहिब से होते हैं।
सिख इतिहासकार गुरप्रीत सिंह नियामियां बताते हैं कि महिलाओं के कीर्तन मामले में केवल एक मान्यता है, कोई फैसला नहीं। उन्होंने बताया कि गुरु अर्जुन देव जी ने जब दरबार साहिब की स्थापना की थी तो उस समय में महिलाएं कीर्तन नहीं करती थी। गुरु की बाणी का कीर्तन मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता था। महिलाएं एक सीमा तक ही बाहर निकलती थीं। स्थापना के समय गुरू अर्जुन देव जो परंपरा शुरू की वही आज भी बरकरार है। इसे बदलने को लेकर सिख संगठन एकमत नहीं हैं।