Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

नोटबंदी के बाद 500 की नकली नोटों में 121 प्रतिशत का इजाफा

Prema Negi
31 Aug 2019 1:31 PM IST
Loan After Death : लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाए तो किसे चुकानी पड़ेगी बकाया राशि ? इस खबर में पढ़े सारी जानकारियां
x

Loan After Death : लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाए तो किसे चुकानी पड़ेगी बकाया राशि ? इस खबर में पढ़े सारी जानकारियां

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से हुआ खुलासा, जाली नोटों के चलन में उछाल सिर्फ नोट का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से नहीं आ रहा है। बैंकिंग रेगुलेटर के आंकड़ों से पता चलता है कि समान मूल्य वाले पुराने नोटों के मामले में नकली होने की आशंका ज्यादा थी....

जेपी सिंह की रिपोर्ट

ह आंकड़ा तमाम रिपोर्टों में सामने आ चुका है कि 2016 में की गई नोटबंदी से न कालाधन बाहर आया, न आतंकियों की कमर टूटी और न ही जाली नोटों के प्रचलन पर अंकुश लग सका। उलटे देश में अर्थव्यवस्था में मंडी के लिए भी नोटबंदी को प्रमुख कारण माना जा रहा है।

दो हजार के नए नोटों की नकली नोट तो उनके जारी किए जाने के कुछ दिनों के भीतर यानी नोटबंदी के बाद ही सामने आ गये थे, जब जम्मू कश्मीर में गिरफ्तार व मारे गए आतंकियों के पास से उनकी बरामदगी हुई थी। अब तो रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) ने भी स्वीकार कर लिया है कि 200, 500 और 2000 रुपये के नकली नोट बढ़े हैं।

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार इन नोटों की नकल में तेज बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद इन्हें जारी किया था। 500 रुपये के नए डिजाइन वाले नोट 2017 में जारी हुए थे। वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले जहां पिछले वित्त वर्ष में 500 के नकली नोटों में 121 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, वहीं 2000 रुपये के नोट के मामले में यह आंकड़ा 21.9 फीसद है। सरकार ने 200 रुपये के नए नोट 2017 में जारी किये थे।

रबीआई के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान 500 और 2000 रुपये के नोट का चलन क्रमश: 18 और 21 फीसदी बढ़ा था। इससे पता चलता है कि जाली नोटों के चलन में उछाल सिर्फ नोट का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से नहीं आ रहा है। बैंकिंग रेगुलेटर के आंकड़ों से पता चलता है कि समान मूल्य वाले पुराने नोटों के मामले में नकली होने की आशंका ज्यादा थी। नए नोटों के नकल से बैकिंग सिस्टम की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

रबीआई की 29 अगस्त को जारी सालाना रिपोर्ट के अनुसार 2018-19 के दौरान बैंकिंग सेक्टर में जब्त कुल नकली नोटों में से 5.6 फीसदी की रिजर्व बैंक और 94.4 फीसदी की अन्य बैंकों ने पहचान की थी। रिजर्व बैंक नए नोटों को चरणबद्ध तीरके से पुराने नोटों की जगह लेने के लिए लाया था। उस वक्त यह दावा किया गया था कि पुरानों नोटों की नकल करने का खतरा ज्यादा है। इसके तुरंत बाद नवंबर 2016 में नोटबंदी हुई थी। हालाँकि उन दावों की रिजर्व बैंक रिपोर्ट ने हवा निकाल दी है।

पिछले वित्त वर्ष में नए 2000 रुपये के नोटों की संख्या 336 करोड़ से घटकर 329 करोड़ इकाई रह गई। वहीं, 500 रुपये के नोट की संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 1546 करोड़ के मुकाबले 2018-19 में बढ़कर 2151 करोड़ इकाई थी। वैल्यू के लिहाज से मार्च 2019 के अंत तक 500 और 2000 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी कुल वैल्यू में 82.2 फीसदी थी।

रबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा मार्च 2018 के अंत में 80.2 फीसद था। इसके अलावा समान अवधि में 10, 20 और 50 रुपये में पाए गए नकली नोटों में क्रमशः 20.2 फीसद, 87.2 फीसद और 57.3 फीसद की बढ़ोतरी हुई। सिर्फ 100 रुपये के मूल्य वर्ग में पाए गए नकली नोटों में 7.5 फीसद की गिरावट देखी गई।

Next Story

विविध