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EXCLUSIVE : गाजीपुर के गिरफ्तार सत्याग्रहियों पर योगी सरकार ने जमानत की रखी ऐसी शर्त कि उन्हें नहीं मिल पाएगी बेल

Nirmal kant
13 Feb 2020 8:17 AM GMT
EXCLUSIVE : गाजीपुर के गिरफ्तार सत्याग्रहियों पर योगी सरकार ने जमानत की रखी ऐसी शर्त कि उन्हें नहीं मिल पाएगी बेल
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गाजीपुर के जिला कारागार में बंद 10 सत्याग्रहियों के खिलाफ एसडीएम (सदर) गाजीपुर ने जमानत की बहुत अजीब सी शर्त रखी है। इस शर्त के मुताबिक, जमानत के लिए प्रतिव्यक्ति 2.5 लाख के दो बेल बॉन्ड भरे जाएं और साथ ही हर बंदी के लिए गारंटर के तौर पर दो राजपत्रित अधिकारी जमानत दें..

गाजीपुर से रिज़वाना तबस्सुम की रिपोर्ट

जनज्वार। चौरीचौरा गोरखपुर से राजघाट नई दिल्ली के लिए निकली ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा करके मंगलवार 11 फरवरी को गाजीपुर पहुंची। जहां पर पुलिस ने सत्याग्रही पदयात्रियों को शांतिभंग की धाराओं में जेल भेज दिया था। बुधवार को जब इनकी ज़मानत की अर्जी स्थानीय एसडीएम के यहां लगायी गयी तो उन्होंने बेल बॉल्ड भरने का जो आदेश दिया, वह अपने आप में बेहद खतरनाक और चौंकाने वाला है।

गाजीपुर के जिला कारागार में बंद 10 सत्याग्रहियों के खिलाफ एसडीएम (सदर) गाजीपुर ने जमानत की बहुत अजीब सी शर्त रखी है। इस शर्त के मुताबिक, जमानत के लिए प्रतिव्यक्ति 2.5 लाख के दो बेल बॉन्ड भरे जाएं और साथ ही हर बंदी के लिए गारंटर के तौर पर दो राजपत्रित अधिकारी जमानत दें। मालूम हो कि इन दस सत्याग्रहियों को आइपीसी की धारा 107/16 और 151 के तहत गिरफ्तार किया गया था। बुधवार को जब बेल की अर्जी लगायी गयी तो एसडीएम ने इतनी सख्त शर्तें थोप दीं।

की इस शर्त के बारे में गाजीपुर के वकील प्रदीप कुमार बताते हैं, 'सभी लोगों को 151 सीआरपीसी में गिरफ्तार किया गया है। इस सीआरपीसी में जमानत दो श्योरिटीज के आधार पर बेल आउट किया जाता है। इस सीआरपीसी में बेल देने के लिए मजिस्ट्रेट बाउंड है। मजिस्ट्रेट केवल एक ही स्थिति पर बेल रोक सकता है कि बेल बांड के जो गारंटर हैं उसे वैरीफिकेशन के लिए भेज दे। इसमें दो चार दिन का समय लगता है। ये सब जमानत नहीं देने और जमानत को रोकने के लिए किया जाता है। यहाँ पर भी वही वही हो रहा है, जमानत नहीं देने के लिए ये सब किया जा रहा है। इसका मतलब है कि इन सभी लोगों को हिरासत में लेना सरकार की अपनी मंशा है।

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कील बताते हैं, 'आज सबसे पहले महिला पत्रकार प्रदीपिका की जमानत के लिए बेल पेश किया गया लेकिन यहां (एसडीएम ऑफिस) के बाबू ने कहा कि हम बेल नहीं ले पाएंगे। आप पहले अधिकारी से बात करिए। अगर वो आपके कागजात लेने के लिए कहेंगे तभी हम बेल ग्रांट करेंगे। वकील कहते हैं कि सीआरपीसी 111 में कंडीशन लगा दी गयी है कि हर बंदी पर ढाई-ढाई लाख रुपए की दो श्योरिटीज और जमानत लेने वाले दो राजपत्रित अधिकारी होने चाहिए, जो कि बिलकुल इम्पॉसिबल है कि किसी भी व्यक्ति के लिए कोई राजपत्रित अधिकारी आकर उनकी जमानत ले।

सडीएम से बात करने पर एसडीएम ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 111 को फुलफिल कर दीजिए तभी हम जमानत कर पाएंगे। जबकि 111 सीआरपीसी का फुलफिल होना संभव ही नहीं है क्योंकि कोई राजपत्रित अधिकारी जमानत देने को तैयार नहीं होगा।

जिले के एक अन्य वरिष्ठ वकील ओम प्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं, 'मजिस्ट्रेट ने जमानत के लिए जो शर्तें रखी हैं वो उनकी गलत मंशा को जाहिर करता है। कोई भी राजपत्रित अकधिकारी किसी के भी जमानतदार नहीं होंगे। वकील कहते हैं कि अपनी 25 साल की वकालत की ज़िंदगी में मैंने कभी भी ऐसा कोई ऑर्डर नहीं देखा है। इस गिरफ्तारी में सरकारी मंशा है कि 'कोई भी व्यक्ति लोकतान्त्रिक ढंग से अपनी आवाज उठाता ही तो उसको कुचलने का काम ये सरकार कर रही है।'

क्या कहती है सीआरपीसी की धारा 107, 151

'धारा 107 -दण्ड प्रक्रिया संहिता (Section 107(1) जब किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को इतिला मिलती है कि संभाव्य है कि कोई व्यक्ति परिशांति भंग करेगा या लोक प्रशांति विक्षुब्ध करेगा या कोई ऐसा सदोष कार्य करेगा जिससे सम्भाव्यतः परिशांति भंग हो जाएगी या लोक प्रशांति विक्षुब्ध हो जाएगी तब यदि उसकी राय में कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है तो वह, ऐसे व्यक्ति इसमें इसके पश्चात उपबंधित रीति से अपेक्षा कर सकता है कि वह कारण दर्शित करे कि एक वर्ष से अनधिक की इतनी अवधि के लिए, जितनी मजिस्ट्रेट नियत करना ठीक समझे, परिशांति कायम रखने के लिए उसे प्रतिभूओं सहित या रहित बंधपत्र निष्पादित करने के लिए आदेश क्यों न दिया जाए। (2) इस धारा के अधीन कार्यवाही किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष तब की जा सकती है जब या तो वह स्थान जहां परिशांति भंग या विक्षोभ की आशंका है, उसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर है, या ऐसी अधिकारिता के अंदर कोई ऐसा व्यक्ति है जो ऐसी अधिकारिता के परे सम्भाव्यतः परिशांति भंग करेगा या लोक परिशांति विक्षुब्ध करेगा या यथापूर्वोक्त कोई सदोष कार्य करेगा।' - राकेश गुप्ता, अधिवक्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट

गिरफ्तार किए गए लोगों में अधिकतर बीएचयू के छात्र हैं जिनमें प्रियेश पांडे, मुरारी कुमार, राज अभिषेक, अनंत प्रकाश शुक्ल, नीरज राय, अतुल यादव शामिल हैं। इनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा, शेष नारायण ओझा, रविंद्र कुमार रवि और जानी मानी महिला पत्रकार प्रदीपिका सारस्वत भी शामिल हैं।

गिरफ्तार होने से पहले प्रदीपिका ने 10 फरवरी को फेसबुक पर लिखा था- 'कल शाम से लोकल इंटेलीजेंस और पुलिस यात्रियों के चक्कर काट रही है, तस्वीरें खींच रही है, वीडियो उतार रही है। स्टेट इतना डरा हुआ है कि चंद लोगों को शांति और सौहार्द की बात करते हुए नहीं देख पा रहा है। यह यात्रा एक पाठशाला है, जहां महज पैदल चलते हुए हम सीखते हैं कि कोई जगह कश्मीर कैसे बनती है।'

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नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत चौरी-चौरा के शहीद स्मारक से गत 2 फरवरी 2020 को हुई थी। यात्रा का प्रथम चरण बनारस में 16 फरवरी 2020 को बनारस में सम्पन्न होना तय था। पदयात्री विकास सिंह के अनुसार, यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई क्योंकि ‘यह वो जगह थी जहां 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। उस दिन ऐसे आज़ाद हिंदुस्तान की तासीर तय हो गई थी जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी, फिर चाहे वो हमारा शोषक, हमारा दुश्मन ही क्यों न हो। विकास गिरफ्तारी से एक दिन पहले किसी जरूरी काम से यात्रा छोड़कर बनारस लौटे थे।

तरह के बेलबॉन्ड और शर्तों के बारे में जब गाजीपुर जिले के एसडीएम से मिलने की कोशिश की गई तो वो बुधवार की देर शाम तक अपने ऑफिस में नहीं थे, बाबू से पूछने पर वो भी उनके बारे में नहीं बता पाये। एसडीएम को कई बार कॉल किया गया लेकिन उनका फोन नहीं लगा। इन सबके बाद गाजीपुर ज़िले के जिलाधिकारी से बात करने और मिलने की कोशिश की गई, डीएम ने कहा कि वो बीजी हैं और नहीं मिल पाएंगे, उन से गुजारिश की गई कि, पत्रकार दूसरे जिले से आई है और उनकी बाइट लेनी है इस मुद्दे पर, उन्होने व्यस्तता कहकर बात करने और मिलने से मना कर दिया।

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