Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

पंजाब में हिंदू नेताओं पर 80 के दशक की तरह क्या फिर से बढ़ रहे सिख हमले?

Janjwar Team
11 March 2020 3:13 PM IST
पंजाब में हिंदू नेताओं पर 80 के दशक की तरह क्या फिर से बढ़ रहे सिख हमले?
x

इस साल फरवरी में शिवसेना नेता हनी महाजन पर जानलेवा हमला, लुधियाना शिवसेना पंजाब के अमित अरोड़ा पर हमला, मार्च में शिव सेना पंजाब के धर्मगुरू कश्मीर गिरी पर हमला...

चंडीगढ़ से मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। पंजाब में हिंदुनेताओं पर सिलसिलेवार जानलेवा हमले हो रहे हैं। हमला करने का तरीका एक। हमलावर भी एक जैसे । फिर भी पंजाब पुलिस की पहुंच से हत्यारे बाहर हैं। सीबीआई, स्थानीय पुलिस की एसआईटी और अब एनआईए को जांच सौंपी गई। इन जांच एजेसियों ने वारदात के आस पास 1500 सीसीटीवी कैमरे खंगाले। हत्यारों की फुटेज के सिवाय कोई सुराग जांच टीम के पास नहीं है। उनका एक ही जवाब। सुराग नहीं लग रहा है।

पंजाब में पहले जहां आतंकी संगठन वारदात को अंजाम देकर इसकी जिम्मेदारी लेते थे। अब ऐसा नहीं है। अब लोकल शूटर से वारदात को अंजाम दिलवाया जाता है। यह शूटर वारदात के बाद लोगों के बीच में घुलमिल जाते हैं। इससे इनकी पहचान होना मुश्किल हो रहा है। इन हमलों की जांच कर रही टीम के एक सीनियर सदस्य ने बताया कि ऐसे युवा जो कम उम्र के हैं, सिख धर्म में गहरी आस्था रखते हैं। जो करियर की बजाय धर्म को ज्यादा तवज्जो देते हैं, ऐसे युवाओं को विदेश में बैठ के सिख संगठन अपने जाल में फंसा रहे हैं।

संबंधित खबर : सहारनपुर में मुसलमानों और सिखों ने खत्म किया 10 साल पुराना भूमि विवाद

तंकवाद का यह दूसरा चरण है। रेडिकल सिख संगठन ने पहले चरण की नाकामी के बाद अब बहुत ही सधे हुए तरीके से दूसरा चरण शुरू किया। इसमें भी टारगेट वहीं हिंदू संगठन है। पहले जहां हिंदुओं की मास किलिंग होती थी। अब उन हिंदू फेस को निशाना बनाया जा रहा है, जो सॉफ्ट टारगेट बन सकते हैं। यानी कम से कम रिस्क लेकर ज्यादा से ज्यादा दहशत फैलाई जाए।

हत्याओं की अनसुझली पहेली

*अप्रैल 2016: प्रमुख नामधारी संप्रदाय से माता चांद कौर (88), लुधियाना के निकट भैनी साहिब में पंथ मुख्यालय के बाहर मारे गए थे। सीबीआई ने जांच की है, लेकिन कोई सुराग नहीं।

*पंजाब शिवसेना के श्रमिक दल के प्रमुख दुर्गा प्रसाद गुप्ता को लुधियाना के खन्ना में गोली मार दी गई थी।

* 6 अगस्त: पंजाब में आरएसएस के कमांडर ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा (रिटायर्ड) को जालंधर बाजार में र में गोली मार दी गई। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है।

* जनवरी 2017: अमित शर्मा, 35, श्री हिंदू तख्त के प्रचार प्रबंधक, लुधियाना में मोटरसाइकिल सवार हत्यारों ने गोली मार दी। हत्यारों ने 7.65 बोर पिस्तौल का इस्तेमाल किया है।

* जनवरी में बठिंडा में मौर मंडी में दो बम विस्फोट भी इस वर्ष अनसुलझी हैं। डेरा सच्चा सौदा गुरमीत राम रहीम के रिश्तेदार कांग्रेस उम्मीदवार हर्मिंदर सिंह जस्सी टारगेट थे। वे तो बच लेकिन इस विस्फोट में छह लोग मारे गए।

* फरवरी: डेरा सच्चा सौदा के दोनों अनुयायियों के पिता-पुत्र, सतपाल और रमेश, लुधियाना के पास खन्ना में दो हमलावरों की हत्या कर दी गई। वारदात सीसीटीवी कैमरे में रिकार्ड है। हत्यारों ने यहां 32-बोर रिवॉल्वर प्रयोग किया क्योंकि इसके कारतूस मौके से बरामद किया गया थे। लेकिन मामला सुलझा नहीं।

सभी वारदातों में समानता है, ऐसा लगता है एक ही तरीके से हत्याएं हुई: डीजीपी

जांच टीम के एक सीनियर सदस्य ने बताया कि सभी हत्याओं को लेकर 1500 कैमरे के फुटोज खंगाले गए। एफएसएल विशेषज्ञो ने मौके से जो तथ्य जुटाए इससे प्राथमिक तौर पर यहीं लगता है कि इन वारदातों में कहीं न कहीं समानता है। हत्यारे 32 बोर व 9 एमएम पिस्टल यूज करते हैं। उनका पगड़ी डालने का तरीका एक जैसा है। टारगेट को पहले नजदीक बुलाते हैं, फिर नजदीक से गोली मारते है। वारदात के बाद हवा में हाथ हिलाते हुए जाते हैं। इससे लगता है कि वे नारे लगा रहे हैं। वारदात में बाइक चोरी की यूज करते है लेकिन कोशिश रहती है कि वह हाईस्पीड हो। सभी हत्यारों का बॉडी पोस्चर एक जैसा है।

ने फॉरेसिक एक्सपर्ट से जो इनपुट जुटाया, इसमें लगता है कि उनके शरीर की बनावट ऐसी होती नहीं है, उसे पैड आदि लगा कर बनाया जाता है। यह इसलिए किया जाता है कि जिससे वें शरीर से भी पहचाने न जाए। ऐसा लगता है कि वे बाडी में कुछ फोम टाइप या ऐसा ही कुछ डालते हैं जिससे उनका शरीर थोड़ा मोटा और डीलडोल नजर आए। जबकि सामान्य वें ऐसे होते नहीं है।

सुराग कैसे मिलेगा, जांच की दिशा ही सही नहीं: पूर्व डीजीपी

धर पूर्व डीजीपी सर्बजीत सिंह वर्क ने बताया कि जांच के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है। कुछ केस सीबीआई को सौंप दिए। कुछ केस एसआईटी को दे दिए। ऐसे उलझे मामलों की जांच नहीं होती। इससे कुछ नहीं मिलने वाला। विर्क ने बताया कि जांच ऐसे अधिकारियों के हवाले हैं, जो सक्षम ही नहीं है। ऐसा नहीं है पंजाब में अच्छे आफिसर नहीं है। लेकिन जांच में जिन्हें लगाया गया उनकी काबिलियत पर सवाल उठ रहे हैं। जांच को लेकर तो एक रूपता नहीं है। अलग अलग टीम जांच करेगी तो मामला क्या सुलझेगा।

डीजीपी अरोड़ा जब यह कहते है कि सारे मामले एक जैसे है तेा इनकी जांच भी एक तरह से होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। डेरा सच्चा सौदा के दोनों अनुयायियों के पिता-पुत्र , सतपाल और रमेश की हत्या की जांच कर रहे एसआईटी के सदस्य पुलिस आफिसर रूपेंद्र पाल सिंह ने बताया कि अभी तक इस हत्याकांड में वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। क्यो? इसका जवाब में वें कहते हैँ कि जांच चल ही है। जांच पूरी होगी तभी तो कुछ पता चलेगा। उन्होंने बताया कि अलग अलग जांच से कोई दिक्क्त नहीं आती, बल्कि ज्यादा लोग जांच करेंगे तो बहुत सारे तथ्य जुटाए जा सकत हैं। रूपेंद्र सिंह को भी अब एनआइए की जांच से उम्मीद है कि शायद वहां से कुछ क्लू पता चले।

सभी हत्याएं साफ्ट टारगेट है

पुलिस यह मान रही है कि सभी वारदात ऐसे लोगों की हुई जिन्हें आसानी से टारगेट किया जा सकता है। लुधियाना में डेरा सच्चा सौदा की मैनेजमेँट कमेटी के सदस्य श्रवण सिंह (50) ने बताया कि जितनी भी हत्याएं हुई, उनके पास कोई सिक्योरिटी नहीं है। इस बात की पुष्टि लुधियाना के संघ प्रचारक रविंद्र गौसाई के बेटे अमित (32) ने की भी की है।

न्होंने बताया कि उनके पिता जी को वारदात से पहले किसी तरह की धमकी नही दी गई। उन्हें किसी से खतरा नहीं था। इसलिए वे हत्यारों के लिए आसान शिकार थे, जांलधर में पिछले साल कमांडर ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा (रिटायर्ड) की धर्मपत्नी सुदेश (68) ने बताया कि गगनेजा को किसी तरह की धमकी नहीं मिली थी। बस एक दिन कुछ शुटर आए और गोली मार कर चले गए। उन्हें लगता ही नहीं था कि उनकी हत्या हो सकती है। हम इसलिए हैरान है क्योंकि हमारी तो किसी से दुश्मनी भी नहीं है। बस मेरे पिता आरएसएस के पिता प्रचारक भर थे। उनका पूरा दिन सामाजिक कार्य करने में ही बीतता था। हालांकि पंजाब में आतंकी टारगेट पर रहे हिंदू नेताओं को सुरक्षा भी मिली हुई है।

समें शिव सेना नेता पवन गुप्ता के पास बुलेट प्रूफ गाड़ी, जिप्सी और करीब 25 गनमैन, पंचानंद गिरी के पास बुलेटप्रूफ गाड़ी, जिप्सी और 30 से ज्यादा गनमैन व कमांडो, शिवसेना पंजाब के प्रधान संजीव घनौली के पास बुलेटप्रूफ गाड़ी, जिप्सी और 18 गनमैन व कमांडो, राजीव टंडन के पास बुलेटप्रूफ गाड़ी, जिप्सी, 18 गनमैन और कमांडो, शिवसेना बाल ठाकरे नेता हरविंदर सोनी के पास बुलेट प्रूफ स्कॉर्पियो और 25 गनमैन, शिवसेना हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष निशांत शर्मा के पास जिप्सी और 10 गनमैन, सुधीर सूरी के पास जिप्सी और 12 गनमैन, अमित घई के में पास 7 गनमैन, जबकि पहले 12 थे, कमलेश भारद्वाज के पास जिप्सी और 7 गनमैन हैं।

कैसे फंसते हैँ सिख युवा इनके जाल में

हले चरण में सोशल मीडिया पर सिख धर्म के खिलाफ टिप्प्णी की जाती है। इसके बाद देखा जाता है कि पंजाब से इस टिप्प्णी पर कौन कौन अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। इस प्रतिक्रिया का लेवल क्या है। गुस्सा है, या बात समझाने की कोशिश है। इससे ऐसे युवाओं की पहचान होती है जो कट्‌टर होते है और टिप्पणी देने वाले को देखने की धमकी देते हैं। लुधियाना में जो सात युवक पकड़ गए उन्हें बब्बर खालसा दल ने इसी तरह से अपने साथ मिलाया था। यह कहना है इस मामले की जांच कर रही टीम ने किया। उन्हेांने बताया कि ऐसे लोग युवाओं को टारगेट करते हैं। जो धर्म के नाम पर कुछ भी करने के लिए किसी भी हद तक कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखते हो।

के परिजन बोले हम जांच से संतुष्ट नहीं है, लेकिन क्या करें ?

6 अगस्त: पंजाब में आरएसएस के कमांडर ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा (रिटायर्ड) की हत्या हो गई। उनकी पत्नी सुदेश ने ओपिनियन पोस्ट को बताया कि सीबीआई केस की जांच कर रही है। तीन अधिकारी अभी तक बदले गए हैं। पिछले माह नया अधिकारी जांच करने आया। हर बार वहीं पूछताछ। उन्हें नहीं लगता कि परिवार को इंसाफ मिल जाएगा। क्योंकि जिस तरह से जांच चल रही है इससे वे कतई संतुष्ट नहीं है।

न्होंने बताया कि वारदात के बाद पूरा परिवार दहशत में हैं। अब तो शाम के वक्त घर से बाहर निकलने में भी डर लगा रहता है। पता नही कब उनके साथ क्या हो जाए। उन्होंने बताया कि हालांकि वारदात के बाद उन्हें घर के आस पास या बाहर जाने पर कोई संदिग्ध नजर तो नहीं आया। फिर भी जितनी बड़ी वारदात उनके साथ हो गई, इससे डर तो लगा ही रहता है।

मृतक अमित शर्मा ने दोस्त अनुज (31) जो कि उसके चाय की दुकान चलाता है ने बताया कि अमित के परिवार वाले इस वारदात के बाद दूसरी जगह चले गए। उन्हें हर वक्त् डर लगा रहता था। पुलिस के लिए तो यह आम हत्या का केस है। जबकि सभी जानते हैं अमित को किस वजह से और किसने मारा है? उन्हें मारने के पीछे सिख कट्‌टरपंथी है। लेकिन हम यहां यह बात खुल कर नहीं बोलसकते। क्या पता हत्यारे यहीं आस पास घूम रहे है। हालांकि रविंद्र गौसाइं के बेटे अमित ने बताया कि पुलिस उन्हेंपूरा सहयोग कर रही है। उनकी मांग पर मामला जांच के लिए एनआईए को दे दिया है। शायद यह पहला हत्या का मामला है जो एनआईए को दिया गया है। उन्हेोंने बताया कि अभी तक तो यहीं लग रहा है कि पुरा सहयोग मिल रहा है। आगे देखते हैं।

संबंधित खबर : सिख धर्म के संतों में ठनी, ढडरियांवाला ने अकाल तख्त के जत्थेदारों को दी बहस की चुनौती

हमलों से गैर सिख सुरक्षा को लेकर चिंतित है

पंजाब में क्या इन हमलों से गैर सिख डरे हुए हैं। इस ।सवाल का जवाब जब खोजने की कोशिश की तो खुल कर तो लोग कुछ बोले नही, फिर भी उन्होंने बहुत ही धीमे से कहा कि जी अब डर तो लगता है। लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं। यहां जमा जमाया काम है, इसे कैसे छोड़ कर जो सकते हैं। जाएंगे भी कहां जाए? यह बड़ा सवाल है। लुधियाना में दुकान चलाने वाले सतबीर ने बताया डर तो लगता है। हम इस वजह से अपने धार्मिक पर्व बहुत धूमधाम से नहीं मनाते। यदि कोई धार्मिक आयोजन करना है तो घर के अंदर ही आयोजन करते हैं।

कोशिश करते हैं कि आवाज भी बाहर न जाए। यहां तक की दीवाली पर भी वें घर के अंदर ही रहे थे। आतंकवाद के दौर में आतंकवादी हर गैर सिख को निशाना बनाते थे। वारदात के बाद वे इसकी जिम्मेदारी भी लेते थे। लेकिन अब वे सिलेक्टिव लोगों को निशाना बना रहे हैं। मसलन उनके निशाने पर वह हिंदू है, जो अपने धर्म या अपनी विचारधारा के लिए कुछ कर रहे हैं। ऐसा कर वें हिंदुओं में यह डर पैदा करना चाह रहे है कि पंजाब में रहना है तो उन्हें बैकफुट पर ही रहना होगा। धर्म या विचारधारा को लेकर वे फ्रंटफुट पर नही आ सकते।

Next Story

विविध