Zee News की मालिक कंपनी एस्सेल ग्रुप और सुभाष चंद्रा दिवालिया होने के कगार पर?
पिछले डेढ़-दो सालों से मीडिया में सुर्खियां बन रही उन ख़बरों को नहीं नकारा जा सकता, जो ताक़ीद करती रही हैं कि ज़ी समूह के चैनलों के सेहतमंद रहने के बावजूद सुभाष चंद्रा के एस्सेल समूह की नींव दरक रही है, वरिष्ठ पत्रकार पीयूष पंत का विश्लेषण
जनज्वार। एस्सेल समूह के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद और जी समूह के सर्वेसर्वा सुभाष चंद्रा उर्फ़ सुभाष चंद्र गोयनका एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कभी मीडिया मुग़ल के नाम से जाने जाने वाले सुभाष चंद्रा के बारे में अटकलों का बाजार गर्म है कि वे देश छोड़कर भागने की फ़िराक़ में हैं।
ख़बरें तो ये भी आ रहीं हैं कि वे देश छोड़कर जा चुके हैं और ललित मोदी, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी जैसे तमाम भगौड़ों की श्रेणी में शामिल हो चुके हैं, लेकिन इन खबरों को उनके पुत्र ललित गोयनका ने खारिज़ करते हुए रविवार, 29 सितम्बर को ट्विटर के माध्यम से कहा कि एस्सेल समूह अध्यक्ष सुभाष चंद्रा देश छोड़कर नहीं गए हैं, वे मुंबई में अपने घर पर ही हैं।
सुभाष चंद्रा के देश छोड़कर भागने की खबर को हवा सोशल मीडिया से मिली। M Shiddharth नाम के फेसबुक यूजर ने अपनी वॉल पर पोस्ट किया था, राज्यसभा सांसद और जी टीवी के मालिक सुभाष चंद्र गोयनका 35 हजार करोड़ का घोटाला कर देश थोड़कर फरार हो गये हैं। और इसे लेकर एक प्राथमिकी भी दर्ज की गयी है।
M Shiddharth नामक फेसबुक यूजर ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'हंसता हुआ नूरानी चेहरा, हाय गज़ब, आओ अब इसमें से भी देशभक्ति छान कर निकालो, वैसे कोई भरोसा नहीं निकाल भी दें, गज़ब भाजपा राज्यसभा सांसद और “Zee टीवी” के मालिक “सुभाष चंद्रा” देश छोड़कर कर “फरार”। FIR हुई दर्ज. “35 हजार करोड़” घोटाले का मामला।”
ललित ने अपने ट्वीट में आगे लिखा है कि मेरे पिता जुझारू प्रवृत्ति के और देशभक्त हैं, वे चुनौतियों से भागने वाले कतई नहीं हैं।' इसी दिन खुद सुभाष चंद्रा नने भी ट्विट के जरिये एक फोटो साझा की है, जिसमें वे अपनी आँख के ऑपरेशन के बाद अपने समधी के साथ अपने घर पर बैठे दिखाई दे रहे हैं।
भले ही देश छोड़ बाहर जाने की ख़बरें सुभाष चंद्रा और उनके पुत्र ने ख़ारिज कर दी हों, लेकिन वे पिछले डेढ़-दो सालों से मीडिया में सुर्खियां बन रही उन ख़बरों से पल्ला नहीं झाड़ सकते, जो इस बात की ताक़ीद करती रही हैं कि ज़ी समूह के चैनलों के सेहतमंद रहने के बावजूद उनके एस्सेल समूह की नींव दरक रही है।
जनवरी 2019 की बात करें तो एस्सेल समूह की कंपनियों के शेयर धड़ाम गिरते हुए दिखाई दिए। इसी माह मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में जहां ज़ी के शेयरों में 26.43 फीसद की गिरावट आई, वहीं समूह की डिश टीवी जैसी दूसरी कम्पनी के शेयर में 32.74 फीसद की गिरावट दर्ज़ की गई।
इकोनोमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एस्सेल कंपनियों के शेयरों में गिरावट के चलते निवेशकों का 13 हजार 686 करोड़ रुपया डूब गया। दरअसल शेयर बाजार में एस्सेल समूह की कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला लगातार जारी है। जनवरी 2019 में ही खुद सुभाष चंद्रा ने अपने समूह के खस्ता होते हालात की बात स्वीकार की थी।
जी प्रमुख सुभाष चंद्रा ने कहा था कि उनकी कंपनी वित्तीय गड़बड़झाले में फंसी हुई है, लेकिन गड़बड़ियों का ठीकरा उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर लीसिंग एन्ड फाइनेंसियल सर्विसेज़ के संकट के चलते ढांचागत कंपनियों के शेयरों में लगाई जा रही आक्रामक बोलियों के सिर फोड़ दिया। साथ ही उन्होंने वीडियोकॉन के डी 2 एच बिज़नेस के अधिग्रहण को भी अपने समूह की गिरती सेहत के लिए ज़िम्मेदार ठहरा दिया।
अंदरखाने से जिस तरह की खबरें छनकर आ रही हैं उनकी मानें तो एस्सेल समूह गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है। इस पर भारी कर्ज़ा चढ़ गया है जिसका भुगतान करना इसके लिए मुश्किल हो रहा है। इस पर 9,500 करोड़ रुपयों का क़र्ज़ हो चुका था। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि कर्ज़दाता एसल समूह की कंपनियों को दिवालिया घोषित करने पर उतारू हैं। यही वजह है कि फ़रवरी 2019 के आरंभ में समूह के प्रबंधन ने क़र्ज़ दाताओं से 30 सितम्बर 2019 तक एस्सेल समूह को दिवालिया न घोषित किये जाने की औपचारिक स्वीकृति हासिल कर ली थी।
इसके पूर्व एस्सेल समूह ने जुलाई 2019 में ज़ी टीवी में प्रमोटरों के 11 फ़ीसदी हिस्सेदारी को इन्वेस्को-ओपनहाइमर कंपनी को बेच कर 4,500 करोड़ रुपयों की देनदारी पूरी की।
लेकिन 25 सितंबर को मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में ज़ी समूह के शेयरों में फिर भारी गिरावट देखी गयी। ये गिरावट 2.7 फीसद थी। उधर कुछ म्यूचल फंड्स ने अपने पास एस्सेल समूह द्वारा गिरवी के रूप में रखे गए ज़ी एंटरटेनमेंट के शेयरों को बेचना शुरू कर दिया। एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट और कोटक म्यूचल फंड ने खुले बाज़ार में ज़ी के शेयरों को बेच डाला। बिरला सनलाइफ़ म्यूचल फंड, फ्रैंकलिन टेम्पलटन, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल फंड और एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट दूसरे वे फंड हाउसेज़ हैं, जिनका कर्ज़ एस्सेल समूह पर बकाया है। यह बकाया लगभग 2000 करोड़ रुपये है।
उधर 26 सितम्बर को यह खबर आई कि अपनी सम्पत्तियों को बेच कर क़र्ज़ चुकता करने के एस्सेल समूह के वादे के एवज में कर्ज़दाता कर्ज़ लौटाने की समय सीमा बढ़ाने के लिए तैयार हो गए हैं।
अब तक कर्ज़दारों से लिए गए बकाया के भुगतान की ख़बर दिखाई नहीं पड़ी है। तो क्या यह मान लिया जाये कि इसी धर्मसंकट के चलते एस्सेल समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा के भगोड़ा बन जाने की सच्ची-झूठी ख़बरों को भारतीय मीडिया में जगह मिली?
ग़ौरतलब है कि सुभाष चंद्रा भारतीय जनता पार्टी के कोटे से राज्यसभा सांसद हैं। वैसे भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कार्यकाल के दौरान ही ललित मोदी, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या बैंकों की भारी देनदानी के चलते देश से भाग निकले थे।