देश के ख्यात पत्रकारों में शुमार कुलदीप नैयर की कल देर रात 12.30 बजे निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे, आज दिन के 1 बजे दिल्ली के लोधी रोड स्थित लोधी श्मशान गृह पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा...
जनज्वार। देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और पूर्व हाई कमिश्नर #कुलदीप नैयर की कल देर रात दिल्ली के अस्पताल में मौत हो गयी। वे पिछले तीन दिनों से अस्पताल में भर्ती थे।
नैयर का जन्म 14 अगस्त 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। उन्होंने उर्दू पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया था। उन्होंने द स्टेट्समैन के साथ संपादक के रूप में काम किया। वह शांति और मानवाधिकार के प्रबल सममर्थक थे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री #अरविंदकेजरीवाल ने उनके निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता और जनतांत्रिक मूल्यों के प्रबल पक्षधर कुलदीप नायर एक ऐसे समय में चले गए जब उनकी सबसे ज्यादा आवश्यकता थी।
कुलदीप नैयर के दोस्त रहे वरिष्ठ नेता #शरदयादव उन्हें याद करते हुए लिखते हैं कि मैंने अपना एक ऐसा नजदीकी दोस्त खो दिया जो देशभक्त, सीधा—सपाट बोलने वाला और अदभुत इंसान था। वह बिना भयभीत हुए धर्मनिरपेक्षता के सशक्त सिपाही बने रहे चाहे जिसकी और जैसी सरकार रही हो।
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि नैयर एक ऐसे पत्रकार थे जो कभी ऐश्वर्य और वैभव के प्रति लालायित नहीं रहे, बल्कि विवेक के निर्देशों का पालन किया।
इतिहासकार इरफान हबीब ने नैयर को याद करते हुए कहा कि वह धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकारों के बड़े प्रचारक थे। उन्होंने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंधों की प्रबल वकालत की और इसके लिए प्रयासरत भी रहे।
कुलदीप नैयर 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य चुने गए थे। वर्ष 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था और अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था।
कुलदीप नैयर डेक्कन हेराल्ड (बेंगलुरु), द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान, प्रभासाक्षी सहित 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ऑप-एड लिखते रहे हैं।
उन्होंने 'बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कॉनण्टीनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' ‘द डे लुक्स ओल्ड' जैसी कई किताबें लिखी थीं। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते थे।