असम चुनाव जीतने के बाद BJP के लिए असल चुनौती मुख्यमंत्री का चेहरा
जनज्वार ब्यूरो, गुवाहाटी। असम चुनाव में भाजपा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है। इसके बावजूद ऐसा लगता है कि पार्टी को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुनने के लिए कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। आमतौर पर भाजपा उन स्थानों पर एक मुख्यमंत्री का नाम प्रोजेक्ट करती है, जहां वह सत्ता बनाए रखने की कोशिश करती है, लेकिन उसने असम में सर्बानंद सोनोवाल को असम में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। नेतृत्व से प्रश्न पूछने पर आमतौर पर यह जवाब मिलता है कि पार्टी संसदीय बोर्ड एक निर्णय करेगा।
रविवार 2 मई को जैसे ही पार्टी ने काउंटिंग में स्पष्ट बढ़त हासिल की, भाजपा के उपाध्यक्ष और असम के प्रभारी जय पंडा ने मुख्यमंत्री के नाम को लेकर यह दोहराया कि हमारा संसदीय बोर्ड एक निर्णय लेगा।
जहां सोनोवाल अपनी सरकार के खिलाफ तथाकथित असंतोष को शांत करने में कामयाब रहे, वहीं हिमंत बिस्वा सरमा भी पिछले कुछ वर्षों में भाजपा के चेहरे के रूप में उभरे हैं। कोविड-19 महामारी की स्थिति के उनके प्रबंधन और वित्त मंत्री के रूप में उनके नेतृत्व ने भाजपा को राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन पर स्पष्ट बढ़त दिलाने में मदद की है।
जब भाजपा की जीत के पीछे कारणों को गिनाने के लिए कहा गया तो पंडा ने संतुलन बनाते हुए कहा, "असम के हालात का जायजा लेने वाला कोई भी व्यक्ति राज्य में सत्ता-समर्थक माहौल पर गौर कर सकता है - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान उत्तर-पूर्व से लेकर असम सरकार पर केंद्रित है। बुनियादी ढांचा, कानून और व्यवस्था के मामले में व्यापक सुधार हुआ है। पांच साल में कोई सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई है है और सरकारी योजनाओं को लागू करने में कोई भेदभाव नहीं किया गया है। बोडो विवाद का समाधान किया गया है और घुसपैठ को नियंत्रित किया गया है।"
पंडा ने आगे कहा, "इन मुद्दों में से कई में गृहमंत्री अमित शाह का जबरदस्त योगदान रहा है और जेपी नड्डाजी के नेतृत्व में महामारी के दौरान लोगों को पार्टी की जमीनी स्तर पर मदद मिली और लोगों को आश्वस्त किया गया कि भाजपा हमेशा उनके साथ खड़ी रहेगी।
हालांकि मुख्यमंत्री को चुनना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। राज्य इकाई और भाजपा में समग्र रूप से सरमा ने प्रभाव डाला है। उन्हें उत्तर-पूर्व क्षेत्र में भाजपा की रीढ़ माना जाता है और माना जाता है कि इस क्षेत्र में पार्टी के मामलों में वे शाह के विश्वासपात्र हैं, लेकिन पार्टी के पास सोनोवाल को हटाने की कोई वजह भी होनी चाहिए, जिन्होंने अपने कार्यकाल में बढ़िया प्रदर्शन किया है।
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि सोनोवाल को एक साफ सुथरी छवि वाला नेता माना जाता है, लेकिन पार्टी के अंदर सरमा की तरह उनका दबदबा नहीं है। पार्टी नेतृत्व को सरमा को पुरस्कृत करना होगा, जिनसे स्पष्ट रूप से राज्य और क्षेत्र में भाजपा के हित में उनके योगदान को देखते हुए शीर्ष पद का वादा किया गया था।