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राजनीति

कहीं जाट लैंड के किसानों ने BJP से बदला तो नहीं ले लिया, जानें कम वोटिंग के मायने

Janjwar Desk
10 Feb 2022 5:21 PM GMT
UP Election 2022 :   गऊ और मऊ को सताने वाले 10 मार्च को धुआं—धुआं हो जाएंगे।
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गऊ और मऊ को सताने वाले 10 मार्च को धुआं-धुआं हो जाएंगे।

UP Election 2022 Phase : 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में इस जाट लैंड पर इससे ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे में सवाल यह है क्या जाट समुदाय के लोगों ने मोदी-योगी सरकार से किसान आंदोलन का बदला ले लिया।

UP Election 2022 Phase 1: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण में 58 सीओं पर मतदान समाप्त हो चुका है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक वेस्ट यूपी के इस जाट लैंड ( Jat Land ) में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ है। खास बात यह है कि 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में इस जाट लैंड पर इससे ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे में सवाल यह है क्या जाट समुदाय के लोगों ने मोदी-योगी सरकार ( Yogi-Modi Government ) से किसान आंदोलन ( Kisan Andolan ) का बदला ले लिया। इस इलाके में पिछले चुनाव के मुकाबले करीब दो से चार फीसदी कम मत पड़ा है। चुनाव में इतने प्रतिशत वोट कम पड़ने का असर बहुत ज्यादा होता है।

2017 के मुकाबले 4% कम मतदान

जाट लैंड के इस इलाके में 2017 के चुनाव में पहले चरण में 64 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था। भाजपा ( BJP ) की लहर, पीएम मोदी का जादू, उसके बाद सीएम फेस के रूप में योगी आदित्यनाथ जैसा कट्टर हिंदुवादी चेहरे ने भाजपा को 312 से सीटें दिलाई थी। इस इलाके में 53 सीटों पर कब्जा जमाकर भाजपा ने सभी पार्टियों के समीकरण को ध्वस्त कर दिया था, लेकिन किसान बिल के बाद शुरू हुए आंदोलन और उसके बाद बजट में भी किसानों को कुछ खास तवज्जों न लगता है भाजपा ( BJP ) को भारी पड़ गया है। 60 फीसदी मतदान इस बात की ओर संकेत है कि भाजपा इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में थोड़ी पिछड़ती हुई दिखाई दे सकती है। ऐसा इसलिए कि इस बार ध्रुवीकरण के संकेत नहीं मिले हैं।

2012 में 62% तक पड़े थे वोट

साल 2012 के चुनावों की बात करें तो जाट लैंड में चुनाव का फेज सबसे आखिरी था। यानी 7वें चरण में मतदान होते थे। उस समय इस राज्य की राजनीति और लोगों के वोट करने तरीका और सोच थोड़ा अलग था। 6 चरणों के मतदान के बाद यहां के लोग डिसाइड करते थे कि किस ओर जाना है। वहीं तब तक पॉलिटिकल पार्टी और नेता की हवा का अंदाजा हो जाता था। 2012 में सपा की वेस्ट यूपी में बेहतर प्रदर्शन भी इसी वजह से कर पाई थी। 7वें चरण में मुस्लिम, ओबीसी और जाट बाहुल्य इलाकों के मतदाताओं का रुझान सपा के पक्ष में गया और 62 फीसदी तक मतदान हुआ था।

UP Election 2022 Phase : यही वजह है कि पहले चरण में 58 सीटों पर मतदान के बाद अब सियासी जानकार इस बात के कयास लगा रह हैं कि कहीं किसानों से भाजपा से अपना बदला तो नहीं चुका लिया। अगर ऐसा है तो यह न तो योगी के लिए और न ही मोदी के लिए शुभ संकेत हैं। कहने का मतलब यह है कि यूपी लूज करने का असर सीधे लोकसभा चुनाव 2024 पर भी होगा।

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