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राजनीति

किसानों के हाथ से जमीन छीन अडानियों-अंबानियों को सौंपने की फिराक में मोदी सरकार : माले

Janjwar Desk
30 Nov 2020 5:35 PM IST
किसानों के हाथ से जमीन छीन अडानियों-अंबानियों को सौंपने की फिराक में मोदी सरकार : माले
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photo : social media

मंडी व्यवस्था समाप्त कर मोदी सरकार ने किसानों पर वज्रपात किया है, धान का सरकारी समर्थन मूल्य 1868 रु. क्विंटल तय है, मगर सरकारी क्रय केंद्र पर धान खरीदा नहीं जा रहा है क्योंकि सरकारी खरीद व्यवस्था ध्वस्त है....

लखनऊ, जनज्वार। भाकपा (माले) ने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा, यूपी समेत अन्य राज्यों से दिल्ली की सीमा पर पिछले चार-पांच दिनों से डटे किसानों के आंदोलन के समर्थन में सोमवार 30 नवंबर को उत्तर प्रदेश में राज्यव्यापी प्रदर्शन किया। पार्टी ने किसान आंदोलन पर दमन की निंदा की है और मांगें पूरी होने तक किसानों के समर्थन में कंधे-से-कंधा मिलाकर संघर्ष करने की प्रतिबद्धता जताई है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि मोदी सरकार खेती-किसानी को भी कॉरपोरेट के हवाले कर देना चाहती है। सरकार द्वारा जो तीन कृषि कानून बनाये गए हैं, वे इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हैं। इससे किसान कॉरपोरेट के गुलाम बन जाएंगे। खेती की जमीन किसान के हाथ से निकल कर देशी-विदेशी बड़े पूंजीपतियों अडानियों, अम्बानियों के हाथ में चली जायेगी। वे अब कॉरपोरेट खेती करेंगे। प्राकृतिक संसाधनों से लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तक मोदी सरकार पहले से ही कारपोरेट को सौंपने काम कर रही है। भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) ताजा उदाहरण है।

माले नेता ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल की खरीद से सरकार पल्ला झाड़ रही है। मंडी व्यवस्था समाप्त कर मोदी सरकार ने किसानों पर वज्रपात किया है। धान का सरकारी समर्थन मूल्य 1868 रु0 क्विंटल तय है, मगर सरकारी क्रय केंद्र पर धान खरीदा नहीं जा रहा है क्योंकि सरकारी खरीद व्यवस्था ध्वस्त है। मजबूरन किसानों को हजार-बारह सौ रुपये क्विंटल में अपना धान खुले बाजार में और आढ़तियों को बेचना पड़ रहा है। अन्य फसलों की खरीद का भी यही हाल है। रोज की रसोई में शामिल वस्तुओं अनाज, आलू, प्याज आदि को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से बाहर कर कालाबाजारियों-जमाखोरों को खुली छूट दे दी गयी है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि भाजपा और मोदी सरकार अन्नदाताओं की मांगें न मानकर उनके आंदोलन को बदनाम करने का कुचक्र रच रही है, लेकिन इससे आंदोलन कमजोर पड़ने के बजाय और तेज होगा। किसानों से वार्ता के नाम पर खानापूर्ति न कर सीधे-सीधे तीनों काले कृषि कानूनों को निरस्त करने की सरकार को घोषणा करनी चाहिए।

किसान आंदोलन के समर्थन में आज गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, चंदौली, सीतापुर, जालौन, रायबरेली आदि जिलों में माले और अखिल भारतीय किसान महासभा ने संयुक्त प्रदर्शन किये और गांव-गांव में मोदी सरकार का पुतला फूंका।

इस बीच आज 30 नवंबर को एक अन्य घटनाक्रम में वाराणसी में भाकपा (माले) के केंद्रीय कमेटी सदस्य मनीष शर्मा को चेतगंज थाने की पुलिस ने उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया।

संबंधित थाने की पुलिस का कहना है कि पीएम मोदी के वाराणसी दौरे के मद्देनजर उन्हें हिरासत में लिया गया है। पार्टी राज्य सचिव सुधाकर ने इस तरह से माले नेता को गिरफ्तार करने को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन और योगी सरकार की दमनात्मक कार्रवाई बताया। उन्होंने इसकी तीखी निंदा की और अविलंब बिना शर्त रिहाई की मांग की।

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