President Election 2022 : इस वजह से शरद पवार नहीं बनना चहते राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार
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President Election 2022 : देश के नये राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी खेमे में सरगर्मी तेज हो गई है। सत्ताधारी पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ विपक्षी दलों ने संयुक्त प्रत्याशी उतारने पर भी सहमति जताई है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बुलावे पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ( Sharad Pawar ) की अध्यक्षता में कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में बुधवार यानि 15 जून को विपक्षी दलों की बैठक भी हुई। शरद पवार के नाम पर पूरा विपक्ष एकजुट दिखा और उन्हें राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने की इच्छा जाहिर की लेकिन पवार खुद ही तैयार नहीं हैं।
अब चर्चा इस बात की है कि शरद पवार ( Sharad Pawar ) ने उम्मीदवार बनने से इंकार क्यों किया। वह क्या चाहते हैं। एनसपी प्रमुख किस सियासी उधेड़बुन में फंसे हैंं। उनके इस रुख से विपक्ष की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आखिर पवार खुद अपने कदम पीछे क्यों खींच रहे हैं? आइए हम आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह।
एक्टिव पॉलिटिक्स में बने रहने की ख्वाहिश
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ( Sharad Pawar ) खुद को एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर नहीं करना चाहते। यह कोई पहला मौका नहीं है जब शरद पवार ने खुद को राष्ट्रपति पद के चुनाव से अलग किया हो। इससे पहले भी शरद पवार बीते कई सालों से राष्ट्रपति चुनाव में शामिल न होने की बात कहते रहे हैं। कुछ साल पहले भी पवार ने कहा था कि मैं राष्ट्रपति पद ( President Post ) की दौड़ में नहीं हूं। मुझे राजनीति से इतनी जल्दी रिटायर नहीं होना है। उनका कहना है कि अगर आप राष्ट्रपति बनते हैं तो आपको अच्छी हवेली मिलती है लेकिन आपको लोगों मीडिया वालों से मिलने का मौका नहीं मिलता।
विपक्ष के पक्ष में नहीं है नंबर गेम
शरद पवार एक अनुभवी नेता हैं। उन्हें पता है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के लिए विपक्ष के पक्ष में समीकरण नहीं हैं। यानि नंबर गेम में विपक्ष कमजोर है। भाजपा की अगुवाई वाला एनडीए भले ही अपने दम पर राष्ट्रपति चुनाव जीतने की स्थिति में न हो, लेकिन वोटों का अंतर इतना नहीं है कि उसे मात ही मिले। राष्ट्रपति चुनाव में कुल वैल्यू वोट 10,86,431 है। चुनाव जीतने के लिए 5,43,216 वोट चाहिए। एनडीए के पास कुल 5.26 लाख वोट हैं। दूसरी तरफ पूरे विपक्ष व निर्दलियों को मिलाकर 5.60 लाख वोट हैं। इस अंतर को सत्ताधारी पार्टी आसानी से पाट सकता है। फिर, पवार को पता है कि विपक्ष का पूरी तरह से एकजुट होना मुश्किल है। यानि शरद पवार किसी तरह का कोई सियासी जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं।
बीजेडी, वाईएसआर, टीआरएस, आप और बसपा नहीं खोल रहे पत्ते
दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बैठक में टीआरएस, आम आदमी पार्टी, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और अकाली दल के नेता शामिल नहीं हुए। इनमें से बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ऐसे दल हैं जो राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं। इन दलों के समर्थन के बिना विपक्ष का राष्ट्रपति चुनाव जीतना नामुमकिन है। इनमें से एक भी दल के साथ न आने की सूरत में वोट बंट जाएंगे और विपक्ष की स्थिति बुरी हो जाएगी। एनसीपी प्रमुख जानते हैं कि बीजेडी, वाईएसआर, टीएसआर, बसपा, एसएडी कई मौके पर भाजपा के साथ खड़े रहे हैं।
बेटी के सियासी करिअर की चिंता
भारतीय राजनीति में शरद पवार ( Sharad Pawar ) लंबी सियासी पारी खेल चुके हैं। अपनी सियासी वारिस का उत्तराधिकारी वो अजित पवार के बदले बेटी सुप्रिया सुले को बनाना चाहते हैं। सुप्रिया सुले कई बार से सांसद हैं लेकिन महाराष्ट्र और एनसीपी की राजनीति में खुद को मजबूत नहीं कर पाई हैं। एनसीपी में कई तरह से गुट सक्रिय हैं, जिसमें अजित पवार अपने आपको शरद पवार के वारिस के तौर पर देखते हैं। इस स्थिति में अगर शरद पवार राष्ट्रपति की पारी खेलने उतरते हैं तो एनसीपी में फूट पड़ सकती है।
2 साल में लोकसभा का चुनाव
President Election 2022 : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के बाद सरकार गठन के दौरान अजित पवार सियासी पल्टी मारकर अपना तेवर दिखा चुके हैं। इसलिए शरद पवार की नजर 2024 के लोकसभा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव पर है, जिसके लिए किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। वह विपक्ष के बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं।
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