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राजनीति

Religious Discrimination : अमित शाह रतन लाल पर गरम, नुपुर शर्मा पर नरम क्यों?

Janjwar Desk
8 Jun 2022 3:33 PM IST
Religious Discrimination : अमित शाह रतन लाल पर गरम, नुपुर शर्मा पर नरम क्यों?
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Religious Discrimination : डीयू के प्रोफेसर रतन लाल के खिलाफ तो अमित शाह तत्काल सख्त रवैया अख्तियार करते हैं, लेकिन जब बात भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा की आई तो भारी दबाव के बावजूद अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, ऐसा क्यों?

Religious Discrimination : देश का कानून बिना भेदभाव के एक समान सभी पर लागू होता है। इस बात का दावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) भी करते हैं, लेकिन ऐसा व्यवहार में देखने को नहीं मिलता। इसका सबूत यही है कि भड़काऊ बयान या हिंदुओं के धार्मिक भावनाओं ( Provocative statement ) को आहत करने पर डीयू के प्रोफेसर रतन लाल के खिलाफ तो अमित शाह तत्काल सख्त रवैया अख्तियार करते हैं, लेकिन जब बात भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा की आई तो देश के अंदर और बाहर दोनों स्तर पर भारी दबाव के बावजूद उनके खिलाफ अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

यही वजह है कि अब केंद्रीय गृह मंत्री ( Amit Shah ) पर की नीयत पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उनसे पूछे जा रहे हैं कि भारत एक समान कानून से संचालित राष्ट्र है, लेकिन गृह मंत्री एक मसले पर दोहरे मानदंडों का परिचय देते हैं। हाल ही में इस मुद्दे पर एक टीवी डिबेट के दौरान जामिया की प्रोफेसर ने सवाल उठाया था कि DU के प्रोफेसर रतन लाल ( Ratan Lal ) पर एक्शन लिया गया, मगर BJP की नुपुर शर्मा पर नहीं?

हुकूमत रखे इस बात का ख्याल

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जुनैद हारिस ने कहा था कि हुकूमत को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल ( Ratan Lal ) पर तो कार्रवाई होती है मगर भाजपा की नेता की नुपुर शर्मा ( Nupur Sharma ) पर नहीं। प्रोफेसर ने कहा, इसमें उनकी नहीं बल्कि उनकी पूरी एप्रोच की गलती है। अगर ऐसा नहीं है तो हुकूमत किसी एक धर्म विशेष के खिलाफ ( Provocative statement ) कुछ बोलने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती है? जामिया के प्रोफेसर जुनैद हारिस का कहना था कि जो भी दंगाई हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए, लेकिन उसकी जड़ों को पानी देने वालों, उसे बढ़ावा देने वालों को हम कैसे माफ कर सकते हैं? नुपुर शर्मा के खिलाफ क्यों नहीं एक्शन लिया गया?

दूसरी ओर भाजपा ने नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है, जिसे पार्टी की ओर से मामले को ठंडा करने की कोशिश माना गया है। कानपुर में हुई हिंसा के बाद भाजपा ने रविवार को कहा कि वो सभी धर्मों का सम्मान करती है। भाजपा किसी भी धार्मिक व्यक्तित्व के अपमान की कड़ी निंदा करती है। इसके उलट भाजपा के विरोधियों का कहना है कि ऐसा तो तो नुपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं? इसके उलट काशी के ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनलाल को दिल्ली पुलिस ने तत्काल गिरफ्तार कर लिया है।

रतन लाल, दानिश कुरैशी सहित अन्य नाम भी हैं लिस्ट में शामिल

दरअसल, मोदी राज में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में केवल डीयू के रतन के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए/295ए के तहत एक तरफा कार्रवाई नहीं हुई बल्कि AIMIM के प्रवक्ता और नेता दानिश कुरैशी को अहमदाबाद की साइबर क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था। दानिश कुरैशी ने शिवलिंग को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट लिखी थी।

इन दोनों के अलावा स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी तथा चार अन्य लोगों- नलिन यादव, प्रखर व्यास, एडविन एंथन और प्रियम व्यास- के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन पर आरोप लगाया गया था कि इंदौर में नव वर्ष के मौके पर एक कार्यक्रम के दौरान इन्होंने हिंदू देवताओं और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ 'अपमानजनक टिप्पणी' की थी। फारूकी को एक जनवरी को गिरफ्तार किया गया था और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पांच फरवरी को जमानत दी गई। तांडव वेब सीरीज को लेकर अमेजन प्राइम वीडियो की इंडिया हेड अपर्णा पुरोहित के खिलाफ धारा 295ए के तहत मामला दर्ज किया गया था। हाथरस गैंगरेप और मर्डर केस कवर करने जा रहे दिल्ली स्थित मलयालम पत्रकार सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य लोगों को मथुरा में गिरफ्तार किया गया और उन पर कठोर यूएपीए समेत आईपीसी की धारा 295(ए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। कप्पन को पिछले साल पांच अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।

TMC सांसद ने भी शाह पर उठाये सवाल

Religious Discrimination : 7 जून को टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रे भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति, किसी विशेष समूह या वर्ग के धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि पर या धर्म के संस्थापकों और पैगम्बरों पर हमला करता है, उसे दंडित किया जाना चाहिए। अगर आरोप सही है तो तीन साल कारावास की सजा भी मिलनी चाहिए। उन्होंने अमित शाह ( Amit Shah ) का नाम लिए बगैर गृह मंत्रालय से पूछा है कि नफरत फैलाने के दोषी भाजपा प्रवक्ताओं पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की?


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