The Kashmir Files : संजय राउत का दावा, कश्मीर फाइल से नहीं होगा किसी का फायदा?
फिल्म कश्मीर फाइल का किसी को नहीं मिलेगा लाभ।
The Kashmir Files : कश्मीरी पंडितों के नरसंहार ( Kashmiri pandit Massacre ) पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर सियासी विवाद जारी है। रविवार को इस फिल्म को लेकर शिव सेना सांसद व प्रवक्ता संजय राउत ( Sanjay Raut ) ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर फाइल्स जैसे मुद्दे पर राजनीति करना ठीक नहीं हैं द कश्मीर फाइल्स केवल एक फिल्म है।
शिव सेना के राजयसभा सांसद संजय राउत ( Sanjay Raut ) ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इससे आने वाले चुनावों में किसी को कोई राजनीतिक फायदा होगा। चुनाव आने तक फिल्म चली जाएगी। साथ की उसका असर भी लोग भूल जाएंगें। आगामी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ किसी भी राजनीतिक दलों के नेता नहीं उठा पाएंगे। दो दिन पहले यह पूछे जाने पर कि कश्मीरी पंडितों की घर वापसी कब होगी, इस पर संजय राउत ने कहा कि पीएम मोदी ने 2014 में कश्मीरी पंडितों ( Kashmiri Pandits ) की घर वापसी और पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लाने का वादा किया था। अभी तक पीओके का वापस आने का इंतजार कर रहे हैं।
नफरत फैलाने वाली फिल्म है कश्मीर फाइल
दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता लगातार कश्मीर फाइलस को लेकर बयान दे रहे हैं। आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ( Jay Ram Ramesh ) ने ट्विट कर लिखा है कि फिल्में परिवर्तन को प्रेरित करती हैं। लेकिन कश्मीर फाइलें नफरत को उकसाती हैं। सत्य न्याय, पुनर्वास, सुलह और शांति की ओर ले जा सकता है। प्रचार तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है। क्रोध को भड़काने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए इतिहास को विकृत करता है। राजनेता घावों को ठीक करते हैं। प्रचारक विभाजित और शासन करने के लिए भय और पूर्वाग्रह का फायदा उठाते हैं।
कश्मीर फाइल्स की आड़ में न हो मुसलमानों का दमन
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ( Shashi Tharoor ) ने कहा है कि यह फिल्म काफी हद तक सही है। कश्मीरी पंडितों को बहुत नुकसान हुआ। हमें उनके अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि इसकी आड़ में आप कश्मीरी मुसलमानों का दमन करें। इस बात का सभी ध्यान रखें कि नफरत बांटती है और मारती है। कश्मीरियों को न्याय चाहिए। सभी को इसके लिए प्रयास करने की जरूरत है।
बता दें कि कश्मीर फाइल जब से रिलीज हुई है तभी से इसके वजूद को लेकर विवाद जारी है। पक्ष और विपक्ष की ओर से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का काम भी जारी है।