Kerala News : बीमार बुजुर्ग को मिलेगा संतान का सुख, पत्नी की याचिका पर हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला, उम्र के कारण नहीं मिल रहा था इलाज
पर्सनल लॉ की आड़ में नाबालिग से संबंध बनाकर बच निकलना मुश्किल, ऐसा करना पॉक्सों के दायरे से बाहर नहीं : केरल हाईकोर्ट
Kerala News : केरल हाई कोर्ट ने संतान की चाह रखने वाले दंपती को एक मामले में बड़ी राहत दी है। संतान की चाह रखने वाले बीमार बुजुर्ग को भी अब औलाद का सुख मिल सकेगा। केरल हाई कोर्ट ने नि:संतान दंपति की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है। पत्नी की याचिका पर सुनवाई के दौरान केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि उनके पति का इलाज आईवीएफ पद्धिति से हो सकेगा।
संतान के लिए पत्नी ने किया कोर्ट का रुख
केरल हाई कोर्ट ने बीमार बुजुर्ग को आईवीएफ के माध्यम से इलाज कराने की इजाजत दी है। बता दें कि जिन दंपति की ओर से याचिका दायर की गई है, उनमें पति की उम्र 61 है साल जबकि पत्नी की उम्र 39 साल है। दंपति को औलाद का सुख प्राप्त नहीं हो सका है। संतान की चाह में पत्नी अपने पति का इलाज आईवीएफ पद्धति के तहत करवाना चाहती हैं लेकिन कानून में 55 साल से ऊपर की उम्र वाले पुरुष का आईवीएफ के जरिए इलाज करवाने की अनुमति नहीं है इसलिए अब पत्नी ने कोर्ट का रास्ता अपनाया, जिसमें अब उन्हें कामयाबी मिली है। सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि विषम परिस्थितियों में इस बात की इजाजत दी जाती है।
हाई कोर्ट ने दी बुजुर्ग को आईवीएफ इलाज की अनुमति
बता दें कि पत्नी की ओर से दायर याचिका में यह कहा गया है कि उसका पति हृदय रोग की गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इसके साथ ही उसका हृदय केवल 40 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहा है, जिसके चलते उसका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है। औलाद की चाह रखने वाले दंपती की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आदेश देते हुए आईवीएफ पद्धति से पति के वीर्य को निकालने और प्रेजर्व करने की अनुमति दे दी है, जिसके बाद अब नि:संतान दंपति पति की उम्र 61 साल हो जाने के बाद भी संतान पाने की उम्मीद जता रहे हैं।
55 तक ही करवा सकते हुई आईवीएफ के तहत इलाज
जानकरी के लिए आपको बता दें कि साल 2021 में लागू किए गए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) अधिनियम के अनुसार आईवीएफ पद्धति से इलाज के लिए नियम बनाए गए हैं, जिसके तहत अस्पतालों को इस बात की इजाजत नहीं है कि वे 50 से ऊपर की महिलाओं और 55 से ऊपर के उम्र के पुरुषों को आईवीएफ उपचार प्रदान कर सकें। जस्टिस न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश विशेष परिस्थितियों में जारी किया गया। दंपति को बुजुर्ग पति के वीर्य को सुरक्षित रखने की अनुमति देते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा कि 'अगर आगे इस मामले में किसी भी अप्रिय घटना या फिर याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य में और गिरावट पाई जाती है तो रिट याचिका में जो राहत मांगी गई है वह निष्फल हो जाएगी।'
पति संतान प्राप्ति के लिए नहीं था सक्षम
पत्नी की ओर से दायर याचिका में बताया गया है कि पहले तो पत्नी ने अपने बांझपन का इलाज का रास्ता चुना था लेकिन आर्थिक तंगी और महामारी के कारण वह इलाज जारी नहीं रख सकी। इसके बाद जब दंपति ने एक अस्पताल में दोबारा इलाज शुरू करवाने का फैसला किया तो उन्हें हैरान कर देने वाली जानकारी प्राप्त हुई। टेस्ट करवाने के बाद पता चला कि पति ही संतान प्राप्ति के लिए उपयुक्त पात्र नहीं था। इलाज के लिए आईवीएफ का रास्ता था लेकिन 61 साल के बुजुर्ग 55 साल की कटऑफ आयु को पार कर चुके थे, जिसके कारण यह इलाज करवाने की अनुमति नहीं मिली। जिसके बाद इस इलाज को करवाने के लिए दंपति को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।