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समाज

प्रेरणा : लड़ते रहो, गिरते रहो और आगे बढ़ते रहो

Janjwar Desk
16 Dec 2020 3:33 AM GMT
प्रेरणा : लड़ते रहो, गिरते रहो और आगे बढ़ते रहो
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समझने की बात यह है कि कुछ लोगों को सिर्फ निगेटिव सोचने और बुराइयाँ निकालने की आदत होती है। उन पर ध्यान मत दीजिए। कई हुनरमंद युवाओं के प्रयासों में बाधा डालने का काम ये लोग करते हैं। जीवन का रास्ता खुद चुनना होता है और उस रास्ते पर खुद के साथ ईमानदार रहकर सफर करना चाहिए।

रमेश घोलप, जिलाधिकारी, कोडरमा (झारखंड)

लोग क्या कहेंगे? यह सोच कई लोगों की प्रगति में बाधा बनी है। मैनें तस्वीर के माध्यम से बतायी गयी एक कहानी पढ़ी थी। एक गधे को लेकर पति-पत्नी रास्ते से कही जा रहे थे। पहली तस्वीर में पति-पत्नी और गधा तीनों चल रहे थे। उनको देखकर लोग बोल रहे थे, कितने मूर्ख हैं ये! चलकर ही जाना था तो गधे का क्या उपयोग? दूसरी तस्वीर में वह दोनों गधे पर बैठ कर जा रहे थे। उस पर लोग बोल रहे थे, कितने निर्दयी लोग हैं? दोनों एक गधे पर बैठे हैं। उस बेचारे जानवर के बारे में कुछ भी नहीं सोचा। बीवी को गधे पर बिठाकर खुद साथ में चल रहे तीसरी तस्वीर में लोग कह रहे थे। देखो, बीवी का कितना गुलाम है। और, चौथी तस्वीर में पति गधे पर बैठा था, बीवी साथ में चल रही थी। उस तस्वीर पर लोगों की प्रतिक्रिया थी, देखो कितना सेल्फीश है। बीवी को चला रहा है और खुद गधे पर बैठकर आराम से जा रहा है।

समझने की बात यह है कि कुछ लोगों को सिर्फ निगेटिव सोचने और बुराइयाँ निकालने की आदत होती है। उन पर ध्यान मत दीजिए। कई हुनरमंद युवाओं के प्रयासों में बाधा डालने का काम ये लोग करते हैं। जीवन का रास्ता खुद चुनना होता है और उस रास्ते पर खुद के साथ ईमानदार रहकर सफर करना चाहिए। जो मैं कर रहा हूं वह काम सही है, और लोगों के भले के लिए है ऐसा खुद को लगा तो उसका स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए। जैसे गलत काम को गलत कहनेवाले लोग हैं वैसे ही सही काम को भी गलत कहकर हर कदम पर उसका गलत प्रचार करनेवाले लोग भी समाज में बहुत हैं। वो हर जगह आपको मिलेंगे। उनके साथ बिना बहस किये आगे बढ़ते रहना चहिए, अपना काम करते रहना चाहिए। क्योंकि, अगर आप किसी मूर्ख व्यक्ति के साथ बहस करेंगे तो वह आपको उसकी लेवल पर लाकर छोडेगा। अगर कोई आपके खिलाफ प्रचार कर रहा है तो उसको नजरअंदाज करके खुद की सफलता के लिए शिद्दत से मेहनत करना यही सबसे अच्छा जवाब है।

जब मैं सरकारी शिक्षक बना था तो सिविल सेवा परिक्षा की तैयारी करने के लिए 2010 में नौकरी का इस्तीफ़ा दिया था। उस समय लोग कहते थे, पागल हो गया है ये, इसे रहने के लिए घर नहीं है, माँ चूड़ियाँ बेचती हैं और इसने अच्छी खासी सरकारी नौकरी का इस्तीफ़ा दे दिया। और आगे जाकर 2012 में जब मैं आइएएस बना तो यही लोग बोलने लगे, हिम्मत और खुद के उपर का भरोसा क्या होता है ये रमेश घोलप से सीखो। सरकारी नौकरी का इस्तीफ़ा देने की हिम्मत दिखायी थी उसने। जो ठान लिया वह हासिल किया। ऐसे होते हैं कुछ लोग। लोग क्या कहेंगे यही सोचता रहता तो आज मैं आइएएस नहीं होता।

भला आपकी ज़िंदगी के सपने और उसे सच कर दिखाने का साहस कोई और कर सकता है? नहीं न... तो फिर औरों के हिसाब से क्यों चलना...आपकी योग्यता, क्षमता, पसंद, सपने, ऊर्जा ये सब सिर्फ आपको पता होते हैं। उसके अनुसार निर्णय लेना चाहिए। लोग चाहे कुछ भी कहें, खुद के परिश्रम से वह निर्णय सही था यह साबित करके दिखाना चाहिए। आपकी सफलता कभी न गिरने में नहीं है बल्कि गिर कर उठने में है। जब कोई बात आपके बस की नहीं है ऐसा लोग कह रहे होते हैं, तभी वह कर के दिखाने में असली मजा होता है।

दोस्तो,

मेहनत करना मत छोड़ो। प्रयास जारी रखो।

लड़ते रहो, गिरते रहो और आगे बढ़ते रहो।

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